Sunday, December 21, 2008

पाकिस्तान हुआ बहरा

पाकिस्तान का ध्यान अब गांधी जी के तीन बंदरों की तरफ चला गया है। तीनों बंदर मुंह, कान और आंख बंद करके संदेश देते हैं कि किसी की बुराई मत कहो, बुराई मत सुनो और बुराई मत देखो। किंतु पाकिस्तान ने इनको इस रूप में लिया है कि मुझे किसी की बात नहीं सुननी है, चाहे अमेरिका ही क्यों न हो। मुंबई में घटित हुई आतंकी घटना के बाद भारत ने इसके लिए पाकिस्तान को सीधे जिम्मेदार ठहराया है पुख्ता सबूतों के आधार पर। गिरफ्तार आतंकी कसाब ने खुद स्वीकारा है कि मैं पाकिस्तान का ही रहने वाला हूं। इससे और बढ़ा सबूत क्या चाहिए पाक को। अब अमेरिका ने भी कबूल कर लिया है कि पाक ही मुंबई घटना के लिए जिम्मेदार है। इसलिए वह भी पाक से कह चुका है कि पाक की धरती से आतंकियों का सफाया हो जाना चाहिए, इधर भारत भी कह रहा है कि पाक को आतंकियों पर जल्द से जल्द कार्यवाही कर आतंक को जड़ से उखाड़ फेंके। किंतु इन सभी की बातों का पाकिस्तान पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। पाक अच्छी तरह से जानता है कि यदि आतंकियों को जड़ से उखाड़ फेंका तो सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा। इसके पूर्ववर्ती सरकारें भी आतंकियों को पनाह देती रही हैं, चाहे वह मुर्शरफ ही क्यों न हों। नवाज शरीफ ने तो कुछ बोलने की हिम्मत दिखाई है और कहा कि कसाब पाकिस्तान की ही रहने वाला है। यहां तक कि उसके पिता का भी बयान आ चुका है जिसने कहा है कि कसाब मेरा ही बेटा है। इसके पहले पाक कहता चला आया है कि भारत पहले सबूत दे तब कार्यवाही करूंगा अब सबूत दे दिए तो फिर कार्यवाही करने में देरी क्यों हो रही है। पाक की धरती पर ही आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जब यह प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं तो इन्हें पाक सेना की मदद से भारत में प्रवेश कराया जाता है आतंक फैलाने के लिए, निर्दोषों को मारने के लिए। पाक मदरसों में प्राथमिक शिक्षा ही भारत विरोधी दी जाती है जिससे शुरू से ही वहां के लोगों में भारत के विरूद्ध गलत भावनाएं पैदा हों। वहां की शिक्षा पद्धति में भी पाक सरकार को सुधार करना चाहिए। पाक को देखना चाहिए कि हमारी अर्थव्यवस्था धरती चाटने लगी है। यदि अब भी पाक नहीं सुधरा तो वह दिन दूर नहीं जब पाक भिक्षा मांगते-मांगते तबाह हो जाएगा। मुंबई घटना के बाद विश्व का पाक पर दबाव बना है। मैं तो यही कहूंगा कि पाकिस्तान पाक नहीं रहा क्योंकि पाक शब्द का अर्थ पवित्रता से होता है। अब पाकिस्तान को अपना नाम भी बदलना होगा। उसे अब आतंकिस्तान नाम रख लेना चाहिए। अन्यथा उसे विश्व के साथ कदम ताल मिलाना ही होगा। पूरे विश्व में पाक की जो बदनामी हो रही है उससे तो अच्छा होता कि चुल्लू भर पानी में डूब कर जाना। मुझे तो लगता है पाक को चुल्लू भर पानी भी नसीब नहीं होगा मरने के लिए। गांधी के देश में हिंसा कदापि बर्दास्त नहीं होगी।

Sunday, December 14, 2008

रूसी बाला ने जीती मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता, भारत दूसरे स्थान पर


दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता में दुनियाभर की 100 से अधिक सुंदरियों ने भाग लिया था। भारत की सुंदरी पार्वती ओमानाकुट्टन के सिर पर मिस व‌र्ल्ड का ताज आते आते रह गया और रूस की क्सेया सुखिनोवा ने एक भव्य समारोह में इस खिताब को जीत लिया जबकि पार्वती को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली मिस व‌र्ल्ड कमेटी की प्रमुख जूलिया मोरली ने कहा कि मिस व‌र्ल्ड 2008 रूस है। केरल के कोट्टायम की 21 वर्षीय पार्वती इस खिताब को जीतने वाली पांच भारतीय सुंदरियों रीता फारिया- 1966, एश्वर्य राय-1994, डायना हेडन-1997, युक्ता मुखी-1999 और प्रियंका चोपड़ा-2000 की कतार में शामिल होने से चूक गयी और उन्हें दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। आठ वर्षो में यह पहला मौका है जब भारतीय सुंदरी मिस व‌र्ल्ड प्रतियोगिता के फाइनल राउंड तक पहुंची। इस प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर त्रिनिदाद और टोबैगो की गैब्रियल वालकोट रही।

Tuesday, December 9, 2008

बलात्कार मामलों में भारत का तीसरा स्थान

बलात्कार के मामलों में दुनियाभर में भारत का स्थान तीसरा है। बलात्कार के सर्वाधिक मामले अमेरिका और फिर दक्षिण अफ्रीका में दर्ज किये जाते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में इस वर्ष की पहली तीन तिमाही के दौरान बलात्कार के 18,359 मामले दर्ज किये गये थे जबकि अमेरिका में 93,934 और दक्षिण अफ्रीका में 54,926 मामले दर्ज किये गये। बलात्कार के सबसे कम मामले जार्डन में 78, लात्विया में 260, बुल्गारिया में 403 और फिनलैंड में 596 में दर्ज किये गये। जिन देशों में बलात्कार की घटनाएं अधिक दर्ज होती हैं उनमें जर्मनी 8,133, थाईलैंड 5,060, स्वीडन 3,787 और अर्जेटीना 3,447 शामिल हैं। भारत में इस अवधि के दौरान यौन उत्पीड़न के कुल 44,159 मामले दर्ज किये गये थे। कुल मामलों की संख्या में भी भारत का स्थान इंग्लैंड और जर्मनी के बाद तीसरा है जहां क्रमश: 62,100 और 47,070 मामले दर्ज किये गये थे।

Monday, December 8, 2008

चुनाव के सेमी फाइनल में कांग्रेस प्रथम श्रेणी में पास

चुनाव के सेमी फाइनल में कांग्रेस ने साठ फीसदी अंक हासिल कर प्रथम श्रेणी में चुनावी नैया पार कर ली है। पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों की गिनती में कांग्रेस ने दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान को हथिया लिया है जबकि भाजपा ने सिर्फ दो राज्यों में ही जीत हासिल की है। मतदाताओं ने सरकार विरोधी मत न देकर उनके कार्यो का आत्ममंथन कर ही वोट दिया है जोकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत ही लाभदायक है। नेताओं के बहकावे में कभी नहीं जाना चाहिए। वह सत्ता हथियाने के लिए ही खेल खेलते हैं। सत्ता पा जाने पर मतदाता मूल्यविहीन हो जाते हैं। दिल्ली के चुनाव परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को ही नहीं कांगे्रस को भी चौंकाया जरूर है लेकिन देश की राजधानी में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की उपलब्धि ने उसके उत्साह को कई गुना बढ़ा दिया है तथा अब वह कहीं अधिक विश्वास और जोश के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी। इन चुनाव परिणामों से भाजपा के सिकुड़ने तथा कांग्रेस के आगे बढ़ने की शुरूआत हो गयी है। इन चुनावों में आतंकवाद और मंहगाई का होवा खड़ा करने का प्रयास किया लेकिन देश के मतदाताओं ने उन्हें पूरी तरह ठुकरा दिया। अब वे सुशासन और विकास की बात करने लगे हैं। दिल्ली में कडे़ मुकाबले के सभी अनुमानों और भाजपा की आशाओं को झुठलाते हुए जनता ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की विकास की बात का समर्थन करते हुए कांग्रेस को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता सौंपी है। दिल्ली विधानसभा की 69 सीटों में से कांग्रेस ने 42 पर विजय प्राप्त कर हैट्रिक लगाई जबकि भाजपा को केवल 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। बहुजन समाज पार्टी दिल्ली में अपना खाता खोलने में सफल रही।

Sunday, December 7, 2008

20 हजार करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित


केंद्र सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिये आज 20 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का एलान किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने बाद आर्थिक पैकेज पर चर्चा की और इसकी घोषणा कर दी गई। इसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान योजनागत खर्च में 20 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की बात कही गई है। इस अतिरिक्त खर्च के साथ साल के बाकी बचे चार महीनों में योजना और गैर-योजनागत खर्च पर कुल करीब तीन लाख करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। उम्मीद है कि सरकार की तरफ से इतनी बड़ी राशि व्यय किये जाने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार के योजना और गैर-योजनागत व्यय में वृद्धि के अलावा सरकार ने निर्यातकों, आवास क्षेत्र, लघु एवं मझौली इकाईयों और कपड़ा क्षेत्र के उद्योगों के लिये प्रोत्साहन उपाय भी घोषित किये हैं। सरकार ने केन्द्रीय मूल्य वर्धित कर दर में सभी उत्पादों पर चालू वित्त वर्ष के बाकी बचे चार महीनों के लिये चार प्रतिशत कटौती की घोषणा की है। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों और ऐसे उत्पाद जिन पर पहले से ही सेनवैट दर चार प्रतिशत से कम है उन्हें इस कटौती से अलग रखा गया है। इस पैकेज में कहा गया है कि टर्मिनल उत्पाद शुल्क अथवा केन्द्रीय बिक्री कर का पूरी तरह रिफंड करने के लिये 1100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जायेगी। निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिये 350 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की बात भी इसमें कही गई है। निर्यातकों को कठिनाइयों वाले बाजारों में उत्पादों का निर्यात करने में मदद के लिये सरकार निर्यात ऋण गारंटी निगम को 350 करोड़ रुपये तक का गारंटी समर्थन देगी। इसके अलावा निर्यातकों को विदेशी एजेंटों के कमीशन पर दिये जाने वाले सेवाकर का 10 प्रतिशत तक रिफंड दिया जायेगा। इसके लिये निर्यात के लदान बाद मूल्य को आधार माना जायेगा। निर्यातकों को शुल्क वापसी योजना के लाभ के साथ साथ आउटपुट सेवाओं पर दिये जाने वाले सेवा कर का भी रिफंड दिया जायेगा। सरकार ने आवास क्षेत्र को अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया है। सरकार का मानना है कि आवास क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के साथ साथ जनकल्याण के लिये भी काफी अहमियत है। देश में आज भी निम्न आय और मध्यम आय वर्ग के कई लोगों के पास अपना घर नहीं है। सरकार का विचार इंदिरा आवास योजना के तहत गतिविधियां तेज करने का है। पैकेज में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय आवास बैंक को 4000 करोड़ रुपये तक की पुनर्वित्त सुविधा जल्द ही शुरू करने की बात कही है इसके अलावा आवास क्षेत्र को समर्थन देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी जल्द ही आवास ऋण की दो श्रेणियों के लिये पैकेज की घोषणा करेंगे। एक श्रेणी होगी पांच लाख रुपये तक का आवास ऋण लेने वालों की जबकि दूसरी श्रेणी पांच से लेकर 20 लाख रुपये तक का आवास ऋण लेने वालों की होगी। सरकार ने कहा है कि आवास क्षेत्र पर उसकी कड़ी निगरानी रहेगी और जब भी जरूरत होगी नए उपाय किये जायेंगे। लघु इकाइयों को ऋण गारंटी योजना में ज्यादा से ज्यादा कर्ज मिले इसके लिये योजना के तहत आने वाले कर्ज की लॉक इन अवधि 24 महीने से घटाकर 18 महीने कर दी गई पैकेज में कहा गया है कि सरकार सभी सार्वजनिक क्षेत्र के केन्द्रीय उपक्रमों और राज्य स्तरीय उपक्रमों के लिये निर्देश जारी करेगी कि वह लघु एवं मझौली इकाइयों के बिलों का भुगतान जल्द निपटायें। आर्थिक पैकेज में सरकारी विभागों से भी कहा गया है कि वह चाहें तो आवंटित बजट से सरकारी वाहनों को बदलकर नए ले सकते हैं।

Wednesday, December 3, 2008

पाक के सामने पहाड़ बनकर खड़ा होना होगा


पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा मुंबई हमले ने पूरे देश को ही नहीं अपितु अमेरिका तक को हिला कर रख दिया। तभी तो वहां की विदेश मंत्री कोंडलीजा राईस ने आज दिल्ली आकर स्पष्ट कर दिया कि भारत के साथ है अमेरिका। उन्होंने यह भी कहा कि पाक को भारत के साथ सहयोग करना ही होगा। इसके पूर्व पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि वह भारत द्वारा मांगे गए आतंकियों को नहीं सौंपेगा। मुंबई आतंकी घटना में पाक का कोई हाथ नहीं है। समस्या इस बात की है कि इस तरह के बयान इस वक्त क्यों आए। अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना ही होगा। मैं तो कहना चाहूंगा कि भारत को पाक के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर देने चाहिए। समझौता ट्रेन को भी तत्काल प्रभाव से बंद ही कर देना चाहिए। अब भारत को पाक जैसे गद्दार देश के साथ समझौता किसी भी बिंदु पर नहीं करना चाहिए। यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता तो कभी का इस पर निर्णय कर लिया गया होता। भारत को पाक के साथ दोस्ती के बदले दुश्मनी मिली। चाहे केंद्र में अटल विहारी की सरकार हो या फिर मनमोहन की, सभी ने पाक के साथ मुलायम रवैया अपनाया और पाक ने दिए कारगिल और मुंबई जैसी घटनाएं। धन्य हैं इंदिरा गांधी जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए सेना के हाथ खुले छोड़ दिए थे और सेना ने पाक के लगभग एक लाख सैनिकों को गिरफ्तार कर युद्ध जीता और पूर्वी पाकिस्तान की जगह पर बांग्लादेश का निर्माण हुआ। सोचिए जरा यदि आज पूर्वी पाक भी होता तो भारत की पूर्वी सीमा पर भी आतंकी खतरा जोरों पर होता। और यदि भारत आतंकी खतरों से ही लड़ता रहा तो फिर विकास के कामों को कौन करेगा। मुझे अब पाक के सामने झुकना नहीं होगा, सैनिकों के हौसले बुलंद करके चलना होगा। मोय कहा विश्राम की नीति अपनाकर आतंक को जड़ समेत उखाड़ फेंकना होगा। मैं देख रहा हूं कि मुंबई वाली घटना के बाद आतंक के नाम पर देश के नेताओं के जो बयान आए हैं वह आतंक को और बढ़ावा देता है। कोई भी नेता दूध का धुला नहीं है जो यह कह सके कि मुझसे से यह चूक नहीं हुई है। अब भी समय है संभलने का। भय बिन होए न प्रीत के तहत भारत को पाक के खिलाफ लड़ना होगा। पाक तो बेशर्म देश है पहले तो कहता था कि मेरे देश में आतंकी है ही नहीं, किंतु आज जरदारी के बयान से स्पष्ट होता है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि मैं भारत को आतंकी नहीं सौंपेंगे। इसका मतलब साफ है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं। और इन्हीं आतंकियों का पाक भारत के विरुद्ध प्रयोग कर रहा है। भारत को अब अपनी आंखें खोलनी होंगी। अमेरिका के बहकाबे में भी भारत को नहीं आना चाहिए। भारत खुद समर्थ है पाक पर आक्रमण कर जीतने के लिए। पाक ने हमेशा भारत के सामने घुटने टेके हैं। अब बारी है कि उसे इस तरह का कर दिया जाए कि वह घुटने टेकने लायक भी न रहे। आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सभी राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं और आतंकवाद केवल एके 47 से ही नहीं फैलाया जाता, बल्कि हर वह काम, जिससे आम आदमी के दिल में दहशत पैदा हो आतंक की श्रेणी में आता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि आतंकवादियों से किसी की जान के बदले में कोई सौदा नहीं किया जाए। आतंकवादियों के साथ कोई सौदेबाजी नहीं करनी चाहिए। आतंकवादियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि भारत आतंकवादियों से कोई समझौता वार्ता नहीं करेगा। कांगे्रस और भाजपा सरकारें आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह से नाकाम रही हैं। मुंबई पर आतंकी हमले ने कांग्रेस नीत संप्रग की अक्षमता जाहिर कर दी, जबकि भाजपा शासनकाल में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण की घटना ने सरकार को लाचार बना दिया था। हमें उस तरह से चलना होगा जैसे कि अमेरिका की एक घुड़की के सामने पाकिस्तान ढीला पड़ जाता है उसी तरह से परमाणु शक्ति संपन्न भारत को भी अपनी फिगर कुछ इसी तरह से पेश करनी होगी।

Saturday, November 29, 2008

खून का तिलक लगाकर किया था राजनीति में प्रवेश


राजा नहीं फकीर के नारों से कभी नवाजे गये राजा मांडा शुरू से ही काफी भावुक थे। इनके राजनीतिक जीवन का आगाज भी इसी अंदाज में हुआ। 1962 में इलाहाबाद में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लालबहादुर शात्री की सभा चल रही थी। उनके भाषण से वीपी इतने अभिभूत हो गये कि अपना अंगूठा चीरकर खून से शास्त्री को तिलक कर दिया। इनकी इस भावना से शास्त्री जी इतने भावुक हो गये कि उन्होंने इस नौजवान को दिल्ली आमंत्रित कर लिया। 1962 में लालबहादुर शास्त्री ने इनकी मुलाकात श्रीमती इंदिरा गांधी से करायी। इसके बाद वे राजनीति के मैदान में उतर आये। 1969 में जब विधान सभा चुनाव हुए तो श्रीमती गांधी ने इनको सोरांव विधान सभा क्षेत्र से मैदान में उतार दिया। यह चुनाव राजा मांडा काफी अच्छे मतों से जीते। इसके बाद तो उनका राजनीतिक कारवां काफी तेजी से आगे बढ़ने लगा। 1971 में वे फूलपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद बने। संसद में पहुंचने के बाद मैडम ने इनको केन्द्र में वाणिज्य उपमंत्री बना दिया। 1977 के चुनाव में उन्होंने इलाहाबाद संसदीय सीट से किस्मत आजमायी लेकिन जनेश्वर मिश्र से हार गये। लेकिन 1980 के लोकसभा चुनाव में फिर वे इलाहाबाद संसदीय सीट से चुन लिये गये। इसी दौरान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इन पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गयीं। इनको उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद इन्होंने लोकसभा से इस्तीफा देकर फतेहपुर जिले की तिंदवारी विधानसभा से उपचुनाव लड़ा और विजयी हुए। लेकिन दो साल बाद ही इनको केन्द्र में बुला लिया गया और केन्द्रीय वाणिज्य, वित्त व रक्षा मंत्री का दायित्व सौंप गया। इसके बाद वे कांग्रेस से अलग हो गये और बोफोर्स घोटाले का पर्दाफाश करने का दावा करते हुए जनमोर्चा का गठन कर लिया। 1988 में हुए उपचुनाव में जनमोर्चा प्रत्याशी के तौर पर वे इलाहाबाद संसदीय सीट से मैदान में उतरे और विजयी हुए। 1990 में हुए चुनाव में जनता दल प्रत्याशी के रूप में इलाहाबाद लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतरे और भारी मतों से विजयी हुए। इसके बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज हुए। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद वे लगातार इलाहाबाद आते रहे।पांचवा बेटा मानती थीं ललिता शास्त्रीपूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री वीपी सिंह को अपने पांचवे बेटे के रूप में मानती थीं। वीपी सिंह ने खुद उनके घर जाकर यह आग्रह किया था जिसे उन्होंने आजीवन निभाया। बाद में उन्होंने मांडा में अपने घर के समीप ही लाल बहादुर शास्त्री सेवा निकेतन की स्थापना की। इनके नाम पर बामपुर में एक इंटर कालेज की भी स्थापना की।
छात्र राजनीति में सिंहल को हराया थापूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के चुनाव में सिंहल को हराकर उपाध्यक्ष पद पर विजय हासिल की थी। यह सन 51-52 की बात है। उस समय कन्हैया लाल माणिक लाल मुंशी इविवि के कुलपति थे। उनके छात्रसंघ में अध्यक्ष पद पर बलिया के काशी नाथ मिश्र विजयी हुए थे।

60 घंटे बाद दहली मुंबई आतंकियों के बंधन से मुक्त


ताज होटल में तीन आतंकवादियों की मौत के साथ ही देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को बंधक बनाने वाले आतंकवादियों का खात्मा हो गया और पिछले 60 घंटे से चल रहे दुस्वप्न का अंत हो गया, जिसमें डेढ़ सौ से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सुरक्षाबलों ने देश के प्रति जान की बाजी लगाकर आतंकियों के नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने दिया। मुझे गर्व है इन जाबांज जवानों पर। पाक स्थित कराची से इन आतंकियों के संपर्क बने हुए थे। इससे पता चलता है पाक आतंकियों को भारत के खिलाफ उकसा रहा है। मैं तो कहना चाहूंगा कि भारत सरकार को पाक से हमेशा-हमेशा के लिए संबंध विच्छेद कर लेना चाहिए। जिस समय इसलामाबाद में भारत और पाक के विदेश सचिव-स्तरीय वार्ता चल रही थी उसी समय आतंकवादी मुंबई में प्रवेश कर रहे थे। याद आता है जब अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान गए थे शांति का संदेश लेकर तब उसी समय वे लोग कारगिल पर चढ़ाई कर रहे थे। कितने गंदे हैं ये लोग, शर्म आती है। अब भारत को पाक विरुद्ध नीति बनाकर सख्ती से पेश आना चाहिए। भारत ने सहनशीलता की परीक्षा कई बार दी है, लेकिन अब भए बिन होए न प्रीति का सूत्र अपनाना ही पड़ेगा। भारत कोई पाक जैसा छोटा देश नहीं है। भारत की सैन्य क्षमता पाक से कहीं ज्यादा है। हम उससे हर मामले में भारी हैं। मैं तो कहूंगा कि राजनयिक संबंध तत्काल प्रभाव से खत्म कर लेना चाहिए। अब बहुत हो चुका है। होटल ताज में 60 घंटे तक चली मुठभेड़ की काली छाया और अपनों को खोने का दर्द लंबे समय तक रहेगा। इस होटल के 529 कमरों में से आतंकवादियों ने कई कमरों को आग के हवाले कर दिया। आतंकवादियों द्वारा कब्जे में लिये इस होटल में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जांबाज जवानों और दहशतगर्दो के बीच आज सुबह करीब 8.30 बजे अंतिम लड़ाई खत्म हुई। अतिविशिष्ट लोगों की सुरक्षा और आतंकवाद से मोर्चा लेने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड को इतना गहन प्रशिक्षण दिया जाता है कि वे पलक झपकते ही दुश्मन का सफाया कर देते हैं। एनएसजी ने पंजाब, जम्मू कश्मीर सहित देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवाद से लोहा लिया है और बंधकों को सफलतापूर्वक मुक्त कराया है। चुस्ती, फुर्ती, अचूक निशाना और देश पर न्यौछावर होने का उनका जज्बा उनकी बुलेटप्रूफ जैकेट से भी दृढ़ होता है जिसे एके 47 तक की गोलियां नहीं छेद पातीं। मुंबई में आतंकी हमले की काली छाया भारत पाकिस्तान संबंधों पर गहरा गयी, जबभारत ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस तरह के आतंकवादी हमलों से द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ा पाना असंभव हो जायेगा। एनएसजी के कमांडो 529 कमरों वाले ताज होटल के चप्पे-चप्पे की तलाशी ले रहे हैं और पूरी तरह से तसल्ली होने से पहले एनएसजी इस अभियान को समाप्त घोषित करने के हक में नहीं है। तलाशी इसलिए ली जा रही है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वहां कोई आतंकवादी या विस्फोटक बाकी नहीं बचा है। इस आतंकवादी हमले में मरने वालों की तादाद 192 का आंकड़ा पार कर चुकी है, जिनमें पुलिस और एनएसजी के 14 जांबाज भी शामिल हैं। अभियान में 14 आतंकवादी मारे गए और एक को जिंदा पकड़ लिया गया। उनके कब्जे से एक एके 47 असाल्ट राइफल भी मिली। अभियान के दौरान भारी गोलाबारी हुई। ग्रेनेड दागे गए और आतंकवादियों ने विस्फोटक का इस्तेमाल किया।

Saturday, November 22, 2008

मायावती की पोल खुली

वैसे तो उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती मंच से अनुसूचित जाति के खिलाफ अत्याचार न होने का संकल्प दोहराती रहती हैं, पर वास्तविकता यह है कि सब दिखावटी है क्योंकि उन्होंने इसी जाति के कई लोगों को कानूनन नौकरी देने में देरी कर रही हैं। अनुसूचित जाति की भलाई के लिए वह कदम उठाने से वह कोसों दूर हैं। इसका पर्दाफास राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने एक आदेश में किया। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के 165 उम्मीदवारों की नियुक्ति में देरी को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) को तलब कर उनसे स्पष्टीकरण चाहा है। मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता और प्रमुख सचिव (गृह) कुंवर फतेह बहादुर से आयोग के समक्ष 12 दिसंबर को मौजूद रहने को कहा गया है। आयोग के सदस्य सत्य बहिन ने कहा कि अनुसूचित जाति से जुड़े मामलों में अयोग को कार्रवाई का अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत दो अधिकारियों को समन जारी करने के आदेश दिये गये हैं। राज्य के प्रमुख सचिव (गृह) के 20 नवंबर को आयोग के समक्ष सुनवाई के लिये उपस्थित नहीं होने पर अधिकारियों को तलब करने का फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि आयोग ने इस मुद्दे पर उनकी टिप्पणियां चाही थीं लेकिन राज्य सरकार की ओर से जवाब नहीं दिया गया। उत्तर प्रदेश में मायावती के नेतृत्व वाली बसपा-भाजपा सरकार के शासन के दौरान अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के 165 उम्मीदवारों को कांस्टेबल के पद पर चुना गया था। इसके लिये चयन प्रक्रिया 18 अगस्त 2003 को पूरी हो चुकी थी। फिरी वहां सरकार बदली और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने अपने चार वर्ष के शासन के दौरान चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं दिये।

Saturday, November 8, 2008

ओबामा का संघर्ष काम आया


संघर्षशील व्यक्ति अपना रास्ता स्वयं ही खोज लेता है। वैसे तो महत्वाकांक्षी हर प्राणी होता है लेकिन सफलता सिर्फ उन्हीं को मिलती है जो संकट काल में भी धैर्य बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हैं। क्योंकि उस पथ की पथिक पथिकता क्या, जिस पर बिखरे शूल न हों। उस नाविक की धैर्य कुशलता क्या जिसकी मझधार प्रतिकूल न हो। यह कर दिखाया अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार 47 वर्षीय ओबामा अश्वेत नागरिक अधिकार नेता मार्टिन लूथर किंग द्वारा अमेरिकियों को समानता के उनके सपने को स्वीकार करने की चुनौती दिये जाने के ठीक 45 साल बाद व्हाइट हाउस की दौड़ में विजेता बने हैं। राष्ट्रपति ओबामा उनकी पत्नी मिशेल और उनकी सुंदल लड़कियों को व्हाइट हाउस के दरवाजों से दाखिल होते देखना जबर्दस्त होगा। मैं जानता हूं कि लाखों अमेरिकी इस प्रेरणादायी क्षण पर गर्व से भर जायेंगे जिसके लिए कई ने इतने लंबे समय तक इंतजार किया। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा निश्चित ही मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक राहत योजना बनाएंगे। अमेरिका इस समय सबसे गंभीर आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। हमें इससे निजात पाने के लिए तेजी से काम करना होगा। ओबामा ने एक पीढ़ी के सपने को पूरा किया जिसने नस्लीय बराबरी के लिए नागरिक अधिकार आंदोलन को देखा। यह क्षण विशेष तौर पर अमेरिकियों की एक पीढ़ी के लिए बड़ा है जिन्होंने अपनी आखों से नागरिक अधिकार आंदोलन को देखा और चार दशक बाद एक सपने को पूरा होने देख रहे हैं। वैसे देखा जाए अन्याय पर न्याय की और असत्य पर सत्य की ही जीत हुई है। भारत और दक्षिण अफ्रीका में भी श्वेत और अश्वेत की लड़ाईयां लड़नी पड़ी, अपने अधिकार के लिए। निश्चत है कि जब किसी जाति विशेष पर जुल्म होने लगते हैं तो एक न एक दिन यही जाति राज्य पर शासन भी करती है। इसलिए मेरा तो यही कहना है कि सभी को समानता का अधिकार मिलना चाहिए। रंग भेद की नीति को हमेशा-हमेशा के लिए दभन कर देना चाहिए।

Monday, October 27, 2008

प्रकाश पर्व के महत्व को बनाए रखें

दीपावली का पर्व प्रकाश का प्रतीक है। यह पर्व हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने के साथ ही राष्ट्रीय एकता बनाये रखने का संदेश देता हैं। प्रकाश का यह पर्व लोगों में भाईचारे की भावना को बढ़ाने वाला है और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमारी मिश्रित सभ्यता को सही मायने में प्रदर्शित करता है तथा शीत ऋतु और फसल बुआई की शुरूआत होने का भी संदेश देता है। अज्ञान एवं अशिक्षा के अन्धकार को दूर कर ज्ञान एवं शिक्षा का प्रकाश जन-जन के जीवन में संचित हो इसके लिये हम सबको मिल-जुल कर सेवा भाव से कार्य करने होंगे। मिल-जुल कर भाईचारे एवं मैत्री भाव से इस पर्व को मनाने से साम्प्रदायिक सदभाव सुदृढ़ होता है। सच बात तो यह है कि लंका नरेश रावण का बध करने के बाद जब भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे तब जीत का इजहार करने के लिए नगर में घर-घर दीप जलाए गए थे। राक्षस राज्य के अंत की खुशी में लोगों ने घी के दिए जलाकर राम, सीता और लक्ष्मण का जोरदार स्वागत किया। मुझे भी अपने अंदर की राक्षसी प्रवृत्ति का खात्मा करना होगा, तभी इस त्यौहार का मनाने का औचित्य है।

Tuesday, October 21, 2008

राज ठाकरे किस खेत की मूली हैं

भारत देश का ढाचा संघीय होने के कारण इसमें रहने वाले हर व्यक्ति को अधिकार है कि वह रोजगार के लिए किसी भी प्रांत में आ जा सकता है। इसे रोका नहीं जा सकता है। यदि कोई रोकने की कोशिश करता है तो इसके लिए भारतीय दंड संहिता में रोकने बालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही करने के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। भारत संघ में कानून से बढ़कर कोई भी नहीं है। संघीय ढाचे को बनाए रखने के लिए अदालत है, जिसके एक मात्र आदेश पर राज्य को कानून का उल्लंघन करने वाले के प्रति कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार है। फिर राज ठाकरे किस खेत की मूली हैं, इनसे पूछा जाए कि तुम्हें किसने यह अधिकार दिया है कि मुंबई में उत्तरी भारत के लोग रोजगार के लिए नहीं आ सकते हैं। भारतीय कानून संरक्षण भी देती है और दंड भी देती है। कोई इसके परे नहीं है। इससे और ज्यादा शर्मनाक घटना क्या हो सकती है कि जब रेलवे की परीक्षा देने गए अभ्यर्थियों को परीक्षा से रोका गया और मार-पीट भी की गई। महाराष्ट्र सरकार और उसकी पुलिस हाथ पर हाथ रखे रही। और जब झारखंड की एक कोर्ट ने हस्तक्षेप कर गैर-जमानतीय वारंट जारी किया तब मुंबई पोलिस की आंखें खुली। यह वारंट बहुत पहले जारी हुआ था लेकिन कल ही पोलिस ने स्वीकार किया कि मुझे कोर्ट का वारंट मिल गया है और उस पर तामील जल्द होगा सो उसे आज तामील किया गया। राज ठाकरे धरे गए। पुलिस को इसके खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने चाहिए जिससे अदालत से इन्हें रियायत न मिल सके। कभी राज ठाकरे कहते हैं कि मुंबई मेरे बाप की है। यह कितना बड़ा असंसदीय शब्द है, लेकिन न सरकार ने और न ही पुलिस ने इन पर कोई कार्यवाही की। मैं तो कहता हूं कि ऐसे लोगों के खिलाफ गुंडा ऐक्ट ही नहीं लगना चाहिए बल्कि राज को मुंबई छोड़ने का प्रशासनिक आदेश जारी होना चाहिए। आखिर मेरी समझ में नहीं आता कि उन पर कार्यवाही इतनी देरी से क्यों हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि कुछ राजनैतिक दल उन्हें हीरो बनाने के चक्कर में हों और बाल ठाकरे से अलग हुए धड़े का राजनैतिक दोहन किया जा सके। कुछ भी हो देश उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही चाहता है जिससे यही नहीं बल्कि और भी लोग सबक ले सकें। गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को रेलवे की परीक्षा में बैठने के लिए मुंबई आये उत्तर भारतीय परीक्षार्थियों पर उनके समर्थकों द्वारा किए गये हमले के आरोप में आज रत्नागिरी में गिरफ्तार किया गया और बांद्रा की अदालत ने उन्हें चार नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

Friday, October 17, 2008

सचिन के धमाके में हुए करोड़ों घायल

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में आज एक और पन्ना जुड़ गया। और वह पन्ना सचिन तेंदुलकर के रूप में जुड़ा जिसने ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया। मेरे विचार से सचिन द्वारा बना रिकार्ड अब जल्दी टूटने वाला भी नहीं है। सचिन की बल्लेबाजी से अनगिनत भारतीयों को रोमांचित भी किया। भारत एक बार फिर क्रिकेट जगत में विव्श्र रिकार्ड तोड़कर उभरा। टेस्ट क्रिकेट में रनों के शिखर पर काबिज होने के बाद सचिन तेंदुलकर ने 12 हजार टेस्ट रन बनाने वाला पहला बल्लेबाज बनकर एक और उपलब्धि हासिल की। यह उपलब्धि तेंदुलकर ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में 15वां रन लेते ही लारा का रिकार्ड तोड़ा और फिर 61वां रन पूरा करके 12 हजार रन का जादुई आंकड़ा छुआ। सचिन की यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट में 16 हजार से अधिक रन बनाये हैं। इस स्टार बल्लेबाज ने अपना 50वां अर्धशतक भी पूरा किया। उनसे पहले केवल एलन बोर्डर (63), राहुल द्रविड़ (53) और स्टीव (50) ही अर्धशतकों का अर्धशतक पूरा कर पाये हैं। यदि वह इस अर्धशतक को शतक में तब्दील करते हैं तो फिर भारतीय सरजमीं पर सर्वाधिक शतक बनाने वाले बल्लेबाज बन जाएंगे। अभी यह रिकार्ड संयुक्त रूप से सुनील गावस्कर और उनके नाम पर है। आस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में दूसरे क्रिकेट टेस्ट से पहले तेंदुलकर को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए 15 रन की दरकार थी और उन्होंने आज तेज गेंदबाज पीटर सिडल की गेंद पर तीन रन बनाकर ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया। यह देखकर अच्छा लगता है कि एक भारतीय दुनिया में सर्वाधिक रन बनाने वाला बल्लेबाज है। अतीत में यह उपलब्धि सुनील गावस्कर के नाम थी और आज तेंदुलकर ने एक बार फिर हमारे लिए ऐसा किया। भारतीयों के लिए यह गर्व का मौका है। पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे क्रिकेट टेस्ट मैच के पहले दिन अपने करिअर के 7000 रन पूरे कर लिए। गांगुली ने जैसे ही अपना 39वां रन बनाया उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सात हजार रनों का आंकडा पार कर लिया। इसी के साथ गांगुली ने टेस्ट क्रिकेट में सात हजार रन पूरे करने वाले दुनिया के 33 वें खिलाड़ी बनने का श्रेय हासिल कर लिया। इसके अलावा गांगुली ने सात हजार या उससे ज्यादा रन बनाने वाले भारत के चौथे बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल कर लिया है। गांगुली ने अपने 111 वें टेस्ट मैच में यह प्रतिष्ठा हासिल की है। गांगुली से आगे भारत के तीन और बल्लेबाज शामिल हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 152 टेस्ट मैचों में 12000 से ज्यादा रन बनाकर इसमें शीर्ष पर हैं। पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ 121 टेस्ट मैचों में 10,341 रन बनाकर दूसरे नंबर पर, लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर 125 टेस्ट मैचों में 10,122 रन बनाकर तीसरे नंबर पर हैं। इस सीरीज के बाद संन्यास लेने की घोषणा करने वाले गांगुली नेअब 111 टेस्ट मैचों में 42.21 के औसत से सात हजार से ज्यादा रन बना चुके हैं। उनके टेस्ट मैचों में 15 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। इसी तरह गांगुली के 311 एकदिवसीय मैचों में 41.02 के औसत से 11,363 रन हैं। गांगुली ने वनडे मैचों में 22 शतक और 72 अर्धशतक लगाए हैं1 वह एकदिवसीय मैचों में 11 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले दुनिया के चौथे बल्लेबाज हैं। उनसे ऊपर हमवतन सचिन (16,361),श्रीलंका के आक्रामक बल्लेबाज सनत जयसूर्या (12,785) और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक (11739) हैं।

Thursday, October 16, 2008

कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है

मंदी से निपटने के लिए कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है। यदि अच्छी तरह से होम वर्क किया गया होता तो आज छंटनी करने की नौबत नहीं आती। जेट एयरवेज को ही ले लीजिए, पहले तो इस कंपनी ने ढेर सारे विमान खरीद लिए और अब कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। भारत अभी विव्श्र की मंदी की चपेट में नहीं है, लेकिन कुछ शरारती कंपनियां इसी बहाने अपने कर्मियों की छंटनी कर रही हैं, जो सरासर गलत है और राष्ट्र हित में नहीं है। इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा। जगह-जगह प्रदर्शन होंगे, रास्ते जाम होंगे। वायुयानों की उड़ाने प्रभावित होंगी, क्योंकि आज ही जेट एयरवेज से निकाले गए कर्मियों ने प्रदर्शन किया और मुंबई में तो विमानों को उतरने भी नहीं दिया गया। इससे क्या सरकारी राजस्व में कमी नहीं आएगी। मंदी की समस्या से निपटने के लिए कंपनी कर्मचारियों की संख्या में कटौती का रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहिए। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मंदी के असर से एयरवेज न हो, लेकिन इसका विकल्प छंटनी नही है। मंदी का सामना कोई नहीं बात नहीं है। पहले भी सफलतापूर्वक मंदी का सामना करते रहे हैं और इस बार भी हम इससे उबरने का रास्ता ढूंढना होगा। इस्पात उत्पादक टाटा स्टील के विश्वभर में लगभग 82 हजार कर्मी हैं जबकि भारत में इसके कर्मियों की संख्या 33 हजार है लेकिन वह तो छंटनी नहीं कर रही है। एयरवेज के बहुत सारे कर्मचारियों ने आज यहां इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें कंपनी द्वारा नौकरी से हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया और एयर लाइंस प्रमुख नरेश गोयल और किंगफिशर एयर लाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के खिलाफ नारे लगाये। इसके साथ ही इन्होंने जेट एयरवेज द्वारा अपने करीब 1,900 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिए जाने के फैसले पर सरकार की चुप्पी की भी काफी भत्र्सना की। गौरतलब है कि जेट एयरवेज से हटा दिए गये कर्मचारियों में अधिकांश प्रोबेशनर और ट्रेनीज शामिल हैं। कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण घरेलू टर्मिनल पर जेट एयरवेज के काउंटर पर कार्य काफी देर तक बाधित रहा। नागरिक उड्डन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट किया कि एयर इंडिया में कोई छंटनी नहीं की जाएगी और वह अन्य एयरलाइंस से बातचीत करेंगे कि जेट एयरवेज की तरह उनमें बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त न की जाए।

Tuesday, October 7, 2008

'नैनो' हुई गुजरात की, टाटा ने मोदी से लड़ाए नैन


'नैनो' के नैन जब बुद्धदेव भट्टाचार्य से न लड़ सके, तो नैन लड़ाने के लिए कई लोग आगे आने की होड़ में लगे। इनमें प्रमुख कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड राज्य रहे। अंत में नैन लड़ाने के माहिर गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी टाटा की 'नैनो' से नैन लड़ा ही बैठे। मोदी इस बात को जानते हैं कि जब लखटकिया नैनो कार बाजार में उतरेगी तब गुजरात विव्श्र के मानचित्र पर उभरेगा और राज्य को कर के रूप में अधिक मुद्रा मिलेगी, क्योंकि इतना तो तय है कि इस कार की मांग अधिक होगी और जब मांग अधिक होगी तो कार का निर्माण भी तेजी से होगा, मांग-पूर्ति का ग्राफ को संतुलित करने के लिए। अधिक कारें जब बाजार में उतरेगी तो अधिक राजस्व भी राज्य को मिलेगा। क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नैनो परियोजना गुजरात प्रांत के सानंद में स्थापित होने जा रही है। गुजरात के सानंद जिले से जुड़े गांवों के किसानों ने टाटा द्वारा लखटकिया कार नैनो परियोजना को यहां स्थापित करने के निर्णय का स्वागत किया है। यहां के किसान इस परियोजना स्थल के लिए संपर्क मार्ग के निर्माण के संबंध में जमीन देने को तैयार हैं। राज्य सरकार यहां आनंद कृषि विश्वविद्यालय की 1,000 एकड़ जमीन कंपनी को देगी।

Monday, October 6, 2008

दुष्कर्म पीड़िता स्कूल से भी वंचित

आखिर उस लड़की का क्या कसूर था कि उसकी स्कूल से छुट्टी कर दी। कसूर तो उन छात्रों का है जिन्होंने अपने स्कूल की छात्रा को ही हबस का शिकार बना डाला। स्कूल से छात्रों को निकालना सही लगता है। अध्यापक भी कसूरवार हैं, क्योंकि अच्छे संस्कार घर व स्कूल से ही मिलते हैं। क्यों नहीं छात्रों को सांस्कारिक बनाया। अवश्य ही अध्यापक को भी अच्छे संस्कार देने में गलती हुई। अपना कसूर छिपाने के लिए खुद अध्यापक ने छात्रा पर आरोप लगाया कि वह शरारती हरकतों के लिए जानी जाती है। दिल को दहला देने वाली एक घटना हरियाणा के पंचकूला में घटित हुई है। जहां पर कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म और प्रताड़ना की शिकार एक लड़की को उसके स्कूल से निकाल दिया गया। पीड़िता चंडीगढ़ के निकट एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा है। स्कूल प्रबंधन कह रहा है कि मामले के निपटने और पूरी तस्वीर साफ होने के बाद हम उसे स्कूल में दोबारा प्रवेश देंगे। पीड़िता के एक रिश्तेदार का कहना है कि लड़की को अज्ञात नंबरों से कई धमकी भरे फोन आए हैं और लड़की को सुलह की एवज में लाखों रुपये के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं।

Sunday, October 5, 2008

जब अपने हो जायें बेवफा तो दिल टूटे

अच्छा ही हुआ कि पाकिस्तान की जेलों से लौटने तक वे अपनी सुध बुध खो बैठे अन्यथा वे अपनों की बेवफाई बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसी साल मई में पाकिस्तान जिन भारतीय बंदियों की रिहाई हुई थी उनमें से ही कुछ ऐसे बदनसीब कैदी हैं जिनका नाम लेवा कोई नहीं। इन बंदियों में कुछ मूर्छारोग से पीड़ित है तो कई मूक तथा बधिर तथा याददाश्त खो बैठे। इन्हें पंजाब के पिंगलवाडा अनाथालय में बाकी जिन्दगी काटनी पड़ रही है। ऐसा ही एक अभागा मूर्छारोग से पीड़ित रिषीपाल मानावाला के समीप भगतपुरन सिंह पिंगलवाडा में अपनों के आने की आस लिये हुये कई महीने गुजार चुका लेकिन हिमाचल में उसके गांव से अब तक कोई उससे मिलने तक नहीं आया। किस्मत क्या रूठी अपने भी बेगाने हो गये। पिंगलवाडा के मनोचिकित्सक डा0 गुलशन कुमार के अनुसार प्रशासन ने हिमाचल सरकार से कई बार रिशीपाल के परिवार का पता लगाने के बारे में संपर्क किया लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहंी लगी। धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति खराब होती जा रही है। उसे अपने परिवार के किसी सदस्य की याद तक नहीं है। वह इतना ही कहता है कि वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। वह पाक जेल में कैसे पहुंचा इसकी कोई याद नहीं। ऐसे ही तीन और बदनसीब हैं जिन्हें उनके अपनों ने भुला दिया। पिंगलवाडा की मुखिया डा0 इंद्रजीत कौर का कहना है कि हम उनकी देखभाल कर रहे हैं तथा उन्हें घर की कमी खले नहीं ऐसा हमारा प्रयास है। तीन और भी हैं जो स्वदेश लौटकर अपने घर का अता पता भूल गये हैं।

Saturday, October 4, 2008

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

Thursday, October 2, 2008

अहिंसा के पुजारी ही बने हिंसा के शिकार


देश और दुनिया को हिंसा और आतंक से मुक्ति तथा समृद्धि के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ने वाला खुद ही हिंसा का शिकार हुआ। रामराज्य का ले आउट तैयार कर चुके थे, किंतु यह ले आउट लागू नहीं हो सका। दिमाग में परिकल्पनाएं राष्ट्रहित की थी, किंतु उनके देहावसान के बाद सारी की सारी योजनाएं धरी की धरी रह गयीं। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जन्म तिथि है। नेता लोग उनकी समाधि पर जाकर दो फूल चढ़ा देते हैं। स्कूलों, बाजारों में बंदी रहती है। क्या कभी किसी नेता ने सोचा कि वह उसी समय आतंक, हिंसा को खत्म करना चाहते थे। इसका मतलब साफ है कि उस समय भी इस तरह की घटनाएं हो रही थीं। गांधी जी इनकी समाप्ति चाहते थे किंतु वह खुद भी हिंसा के शिकार हुए। गांधी जी के बाद कोई ऐसा ताकतवर नहीं मिला देश को जिसने हिंसा और आतंक की जड़ों का नामोनिशान मिटा दिया हो। उसके बाद तो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी हिंसा की शिकार हुए। आज भी देश में ही नही बल्कि विश्‍व में हिंसा और आतंक की घटनाएं जारी हैं। क्या कारण है कि विश्‍व स्तर पर भी कोई ऐसा नेता पैदा नहीं हुआ जिसने निर्दोंषों की हत्या करने वाले आतंकी संगठन का पूरी तरह तहस नहस कर दिया हो। आखिर ऐसा क्यों नहीं हो सका। इसमें अब तक क्यों सफल नहीं हो सके। विश्‍व को जबाव देना पड़ेगा। यदि गांधी जी के द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्यो को तभी से पूरा कार्य करने का एक अभियान चलाया होता तो अब तक पूरे हो गए होते। योजनाएं तो बनी किंतु उन्हें सफलतापूर्वक क्रियांवित नहीं हुयीं। गांधी जी के नाम पर लोगों को ठगा गया और लोग ठगते चले गए। आखिर कब तक लोग ठगते रहेंगे। हिंसा, आतंकवाद, गरीबी, अशिक्षा, गांवों में आधे अधूरे विकास यह सब मुंह जबानी बोल रहें हैं कि देश अभी भी इन्हीं सबसे पिछड़ा हुआ है। आखिर कब तक पिछड़ा रहेगा। क्या नेता लोगों को संतुष्ट कर पाएंगे। मुझे उम्मीद है सत्य अहिंसा दया करूणा और परोपकार जैसे सर्वश्रेष्ठ मानवीय मूल्यों पर आधारित गांधी जी के विचार और आदर्श सम्पूर्ण मानवता के लिए हमेशा उपयोगी और प्रासंगिक बने रहेंगे।

Wednesday, October 1, 2008

गांधी जी महान थे, लेकिन सफल नहीं




ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में पहली बार किसी राजनेता पर डाक टिकट जारी किया था पह थे महात्मा गांधी जी। जबकि यही गांधी जी भारत में अंग्रेजों के खिलाफ देश छोड़ो अभियान में लगे हुए थे। गोरे लोगों की भारत में हुकूमत थी। विरोध करने पर नेताओं को जेल में बंद कर दिया जाता था, उनमें गांधी जी सबसे आगे थे और ब्रिटिश सरकार ने उन्हीं पर डाक टिकट जारी किया। यह उनकी महानता का प्रतीक था। उनके व्यक्तित्व का प्रतीक था। महात्मा गांधी की महानता पर कभी संदेह नहीं किया गया, लेकिन उनकी सफलता पर जरूर किया गया। मनुष्य को उसकी दुष्टता से मुक्त कराने में वह उसी तरह असफल रहें जैसे बुद्ध रहे, जैसे ईसा रहे। मगर उन्हें हमेशा ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जायेगा जिसने अपना जीवन आगे आने वाले सभी युगों के लिए एक शिक्षा की तरह बना दिया। महात्मा गांधी ने हरिजन पत्रिका में लिखा था कि मैं प्रकृति के नियमों के बारे में अपने पूर्ण अज्ञान को स्वीकार करता हूं। लेकिन जिस प्रकार मैं संशयवादियों के समक्ष ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने में असमर्थ होने के बावजूद उसमें विश्वास करना नहीं छोड़ सकता। उसी प्रकार मैं बिहार के साथ अस्पृश्यता के पाप के संबंध को सिद्ध नहीं कर सकता। हालांकि मैं सहज ज्ञान के द्वारा इस संबंध को महसूस करता हूं।दो अक्टूबर एक और महान नेता की याद दिलाता है, वह हैं देश के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी। इन्होंने ही जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद किया था। सादा जीवन और ईमानदारी तो इनमें कूट-कूटकर भरी थी। जब देश में आस्ट्रेलिया व अन्य देशों से बमुश्किल लाल गेंहू ही आ पाता था क्योंकि भारत में खाद्यान्न संकट था। जनसंख्या के हिसाब से गेंहू की मांग अधिक होने से शास्त्री जी परेशान थे। उन्होंने ही कहा था कि देश का हर व्यक्ति एक दिन व्रत रहे जिससे गेंहू की बचत हो सके। और यही नहीं सर्वप्रथम उन्होंने ही व्रत रखना शुरू किया। और देश के सामने एक उदाहरण पेश किया। ताशकंद समझौते में जाने के लिए वह जिद पकड़े थे कि वह धोती, कुर्ता में ही जाएंगे, क्योंकि परिस्थितियों ने इनकी पोशाक को धोती, कुर्ता पर समेट दिया था। लेकिन अधिक दबाव में ही रातों रात उनके लिए कोट-पेंट सिला गया तब वह ताशकंद पहुंचे। एक बार की बात है जब उनकी सरकारी गाड़ी उनके पुत्र सुनील शास्त्री घूमने के लिए ले गए थे जब वह वापस आए तो ड्राइवर से कहा कि गाड़ी की लोग बुक में इसकी इंट्री है, तो ड्राइवर घबराया। उन्होंने ड्राइवर को सख्त निर्देश दिया कि जितनी दूर घूमने गए उसका पैसा मैं खुद भरूंगा और याद रहे यह गाड़ी मुझे सरकारी कार्यो को निपटाने के लिए दी गयीं हैं, निजी कामों के लिए नहीं। उस दिन के बाद से सुनील शास्त्री ने कभी भी सरकारी गाड़ी का अपने लिए प्रयोग नहीं किया। यह थे उनके विचार और सिद्धांत। मुझे इस तरह के नेताओं को नमन करना चाहिए और मैं करता हूं। दो अक्टूबर गांधी जी और शास्त्री जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Tuesday, September 30, 2008

जोधपुर भगदड़: अव्यवस्था का परिणाम


सरकारों की जिम्मेदारी बनती थी कि शरदीय नवरात्रि के आरंभ के पूर्व ही सुरक्षा व्यवस्था का ठीक तरह से जायजा लिया जाता, लेकिन जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में हुई भगदड़ ने सरकार की कानून-व्यवस्था के समक्ष सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आज नवरात्रि का पहला दिन था और पहले दिन ही रोंगटे खड़े करने वाली घटना घटित हो गई। यदि जिला व पुलिस प्रशासन ने आने व जाने वालों के रास्ते अलग-अलग कर दिए होते और साथ में एक बात और ध्यान देने की है कि जब भी भीड़ होने की आशंका हो तब कोशिश करनी चाहिए कि भीड़ को कम आने दें और अंदर आए हुए श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा बाहर निकालना चाहिए। पूजा स्थल पर ज्यादा देर तक किसी को रोककर खड़ा नहीं करना चाहिए। मैं विव्श्रास के साथ कह सकता हूं कि भीड़ वाले जगहों को आराम से नियंत्रण में किया जा सकता है। इलाहाबाद कुंभ मेले में इसी पद्धति को अपनाया जाता है। आपने देखा होगा कि करोड़ों लोग बिना किसी अनहोनी घटना के स्नान करते हैं। आज की घटना राजस्थान प्रांत के जोधपुर में पहाड़ी की चोटी पर स्थित विख्यात मेहरानगढ़ किले में बने चामुंडा मंदिर में भगदड़ में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए। सरकार और प्रशासन का वही रटा-रटाया वाक्य कि राहत कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ूगा और प्रभावित लोगों तथा परिवारों की हर संभव सहायता की जाएगी। यह स्तब्धकारी घटना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पवित्र स्थल पर और त्योहार के मौके पर ऐसी घटना हुई। इस व्यवस्था को संभालने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो।

Sunday, September 28, 2008

दिल्ली बनी आतंकी नगरी

दिल्ली में कब तक बम धमाके गूंजते रहेंगे। कब तक निर्दोषों की हत्याएं होती रहेंगी। कब तक आतंकी यहां शरण लिए रहेंगे। दिल्ली के माथे पर काले शनिवार के धब्बे का लगा कलंक कब मिटेगा। मैं आप को बता दूं कि यहां तीनों बम धमाके शनिवार के ही दिन हुए हैं। आखिर आतंकियों ने शनिवार का ही दिन क्यों चुना। दो सप्ताह पहले ही यहां सीरियल बम धमाके हुए थे। इसकी गुत्थी अभी तक सुलझ भी नहीं पाई थी कि दिल्ली के खाते में एक और धमाका आया। पुलिस के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिस को इस चुनौती को स्वीकार करनी पड़ेगी। उन्हें इसकी लड़ाई एक नई रूप रेखा बनाकर लड़नी पड़ेगी। योग्य व अनुभवी पुलिस वालों को इस टीम में शामिल कर एक योद्धा के रूप में काम करना होगा। मेरा आतंकियों के लिए भी एक सुझाव है कि वो अपने सारे हथियारों को जल्द से जल्द डाल दें। अच्छे मार्गो को अपनाएं। इस मार्ग पर चलने से न सिर्फ सुख शांति मिलती है बल्कि उम्र भी बढ़ती है। क्योंकि तब आप किसी का अहित नहीं करते हैं।

Tuesday, September 23, 2008

पैर की जूतियां भी घिस जाती हैं

देश में लोग न सिर्फ मंहगाई की मार झेल रहे हैं बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं के यहां चक्कर काटते-काटते पैर की जूतियां भी घिस जाती हैं पर काम नहीं होता। यदि आपको अपनी जूतियां नहीं घिसवानी हों तो काम के बदले पैसा देना पड़ेगा। करोड़ों रुपयों की सरकारी योजनाओं को विकास के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन गांवों तक पूरा पैसा पहुंचता ही नहीं है। सूखा, बाढ़ के नाम पर भी केंद्रीय सहायता राज्यों को दी जाती है, उसको भी नेता व अधिकारी मिलकर बंदर बांट कर लेते हैं और दिखावे के नाम पर जनता को पैसा दे दिया जाता है। जनता के नुकशान की भरपाई होना तो दूर की बात है, जीने के लिए भी पैसा नहीं मिल पाता। विकास कि नाम पर देश में कई योजनाएं चल रही हैं लेकिन जनता को सीधे लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांवों के विकास के नाम पर बनी योजनाओं का पैसा कहां चला गया। बीस साल पहले गांव जहां थे आज भी वहीं पर हैं। गांव में न तो पानी निकासी के लिए समुचित नालियां हैं, न ही पक्की सड़कें हैं, न ही स्कूलों और अस्पतालों की समुचित व्यवस्था है, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है। हम बात करते हैं गांवों के समुचित विकास की। लाल किले के प्राचीर से भाषण दिया जाता है गांवों के विकास पर। आम बजट पेश होता है गांवों के विकास पर साठ फीसदी खर्च होगा। आप खुद ही देखिए क्या गांवों में वास्तव में इतना बड़ा बजट पहुंचा है। यदि पहुंचा होता तो आज गांवों की वह दुर्गति नहीं होती जो आज है। लोग गांव छोड़कर शहरों की तरफ आ रहे हैं बेहतर जीवन यापन के लिए। बेहतर जीवन जीना किसे अच्छा नहीं लगता है। जब वोट मांगने का समय आता है तभी ढ़ेर सारे नेताओं के दर्शन ढ़ेर सारे वायदों के साथ गांवों में होते हैं। अपना उल्लू सीधा करने के बाद फिर वही ढाक के तीन पात। तभी तो भारत भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में 12 पायदान और चढ़ गया है। दुनिया भर में भ्रष्टाचार का सूचकांक तैयार करने वाली संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी सूची में भारत में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी की जानकारी दी गयी। रिपोर्ट में दुनिया भर के 180 देशों की सूची में भारत इस वर्ष 85 वें स्थान पर रहा। जबकि पिछले वर्ष भारत का 72वां स्थान था। इसके अलावा दुनिया का सर्वाधिक भ्रष्ट देश सोमालिया रहा। साथ ही डेनमार्क, न्यूजीलैंड और स्वीडन सूची में पहले स्थान पर रहने के कारण विश्व के सबसे ईमानदार देशों के रूप में सामने आये। जबकि सिंगापुर दूसरे और अमेरिका 18वें और ब्रिटेन 16वें स्थान पर रहे। इसके अलावा चीन पिछले वर्ष की तरह 72 वें स्थान पर ही कायम रहा। भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान की स्थिति में सुधार नहीं आया है पाकिस्तान इस साल 134 वें स्थान पर है।

Monday, September 22, 2008

लोग आतंकवादी क्यों बनते हैं

सामान्य जन जीवन न जीने वालों में एक बात दिमाग में तब आती है जब वे शहर की चकाचौंध से इतने ज्यादा प्रभावित होने लगते हैं कि रातों रात मालामाल हो जाना चाहते हैं। बस यहीं से शुरू होने लगती है उनकी अग्नि परीक्षा। घर से शहर आते हैं उच्च शिक्षा लेने, लेकिन अधिक महत्वाकांक्षी होने के कारण उन आकाओं के घेरे में फंसने लगते हैं जो रातोंरात पैसों से मालामाल करने का सब्जबाग दिखाते हैं। बस, यहीं से शुरू होता है उन्हें अच्छे या गलत रास्ते पर ले जाने का दौर।आतंकी संगठनों को विस्तारीकरण की योजना के लिए उन्हें ऐसे युवाओं की जरूरत होती है जो उन्हीं के मजहब के हों और आकाओं के दिशानिर्देशन पर काम कर सकें। रातोंरात मालामाल हो जाने की महत्वाकांछा रखने वाले युवा लोग संगठनों के आकाओं को मिल जाते हैं, लेकिन प्रायोगिक तौर पर ऐसा होता नहीं है। एक बार संगठन में आने के बाद निकलना असंभव होता है। उन्हें ऐके 47, ऐके 56 राइफलें पकड़ा दी जाती हैं और फिर शुरू होता है उनका प्रशिक्षण कार्यक्रम। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें समाज में आतंक फैलाने के लिए विभिन्न स्थानों पर भेज दिया जाता है।आतंकवादियों के संगठनों की खास बात यह है कि उनमें मुस्लिम समुदाय के ही लोग हैं। लेकिन वे लोग यह भूल जाते हैं कि जब शहर के बाजारों में बम धमाके होंगे तो उसकी चपेट में जो भी लोग आएंगे हताहत होंगे, उनमें किसी भी जाति, धर्म के लोग हो सकते हैं। फिर कुछ समय बाद पकड़े भी जाते हैं और अदालती कार्यवाही के बाद उन्हें सजा मिलना लाजमी है। जीवन की कीमती उम्र समाप्त हो जाती है। जिन आकाओं ने मालामाल करने के सब्जबाग दिखाए थे, वह अब बहुत दूर हो जाते है। इन आकाओं को तो तुम्हारी जरूरत तभी तक रहती है जबतक कि तुम जिंदा व सुरक्षित रह कर समाज में आतंक फैलाने में लगे रहो।पड़ोसी देश हमारे देश में प्रशिक्षित आतंकवादियों को भेजकर बम धमाके करवा रहा है। निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं। उनके आका इसे सफल कामयाबी बताते हैं। वाह! समाज व राजनीति दो धड़े बन चुके हैं। धमाके होने पर लोग आक्रोश होते हैं जबकि राजनेता सिर्फ दुख व्यक्त करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। तुष्टिीकरण की राजनीति पर नेता अपना काम करने लगते हैं।मैं तो सिर्फ एक बात जानता हूं कि मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना। फिर यह तालीम किसने उन्हें दी कि मजहब ही सिखाता, आपस में बैर रखना।। कौन हैं इसके जिम्मेदार, ऐसे लोगों को फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए जिससे समाज में सुख-शांति वापस आ सके। साथ ही मैं ऐसे युवाओं का आह्वान करता हूं कि वो लोग ऐसे लोगों के बहकाबे में न आएं। समाज को स्वस्थ्य बनाएं, समाज को सुरक्षित बनाएं।

Friday, September 19, 2008

दिल्ली में पुलिस-आतंकी मुठभेड़, दिल्ली पर फिर दागा निशाना


दिल्ली पर आतंकवादियों का खतरा अभी टला नहीं है। शहर में आतंकियों की मौजूदगी ने आज पूरे दिल्ली को फिर हिला कर रख दिया। मेरे विचार से हर मस्जिद पर सुरक्षा बलों की तैनाती आवश्यक कर दी जानी चाहिए, क्योंकि यह सब नहीं किए जाने का ही परिणाम है कि आज आतंकियों ने फिर से दिल्ली को लक्ष्य बनाने की असफल कोशिश की। दक्षिणी दिल्ली के ओखला के पास जामिया नगर इलाके में स्थित खलीउल्लाह मस्जिद के पास एक घर में छिपे संदिग्ध आतंकवादियों के बीच पुलिस की मुठभेड़ में दो हुजी आतंकवादी ढेर हो चुके हैं और एक पकड़ा गया है। जबकि तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। यह मुठभेड़ दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के एक सप्ताह बाद हो रही है। मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब पुलिस अतीक नाम के आतंकी की तलाश में इलाके में गयी। ऐसा कहा जाता है कि अतीक सिमी कार्यकर्ता तौकीर का दाहिना हाथ है। इस बात की आशंका है कि तौकीर अहमदाबाद बम विस्फोट में शामिल रहा है। वह दिल्ली में हुए आतंकवादी हमले में भी वांछित है। इस सीधे मुठभेड़ से लोगों में डर पैदा हो गया है।दिल्ली दिलवालों की नहीं, बल्कि आतंकियों की नगरी बन चुकी है। यहां पर लोग आतंकियों को पनाह दे रहें हैं उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। पुलिस सहित कई सुरक्षा बलों को सदैव तत्परता से ड्यूटी निभानी होगी। मैं एक बात और स्पष्ट करना चाहता हूं कि जो नहीं कहनी चाहिए थी, लेकिन परिस्थितियां ही कुछ कह रहीं हैं कि मुसलिम समुदाय पर कड़ी निगरानी की जरूरत है। हर आतंकी संगठन के सारे के सारे सदस्य मुसलिम ही हैं। यह लोग या तो मस्जिद में छिपने का सहारा लेते हैं या फिर घरों में छिपते हैं। पुलिस को अपने गुप्त दूत पूरे शहर में बिछा दिए जाने चाहिए। सुरक्षा बलों को पूरी सतर्कता बरतनी होगी। दिल्ली अभी भी आग के गोले पर खड़ी है।

Wednesday, September 17, 2008

पाटिल के 'पर' कटेंगे पर उड़ते रहेंगे


देश में इस समय आतंकवाद से निपटने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से बहस छिड़ गई है। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष कोई नया कानून नहीं लाना चाहती है, जबकि सरकार द्वारा बनाई गई मोइली समिति ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद से निपटने के लिए देश का मौजूदा कानून काफी नहीं है। नया कानून बनाने का सुझाव दिया है। लालू ने भी सुरक्षा को लेकर सरकार पर हमला बोला। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने तो यहां तक कह डाला कि आगामी लोक सभा के चुनाव में यदि पार्टी सत्ता में आती है तो एक सौ दिन के अंदर पोटा कानून लागू कर दिया जाएगा। इसी मुद्दे को लेकर संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भी वह सूत्र अपनाने जा रहे हैं कि लाठी भी न टूटे और सांप भी मर जाए, अर्थात केंद्रीय गृह मंत्रालय को खंडित कर देश की सुरक्षा का भार उसी मंत्रालय के अधीन होगा। उस मंत्रालय का नाम होगा आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय। इससे एक लाभ अवश्य होगा कि शिवराज पाटिल गृह मंत्री बने भी रहेंगे, उनके पर भी कट जाएंगे और आंतरिक सुरक्षा को लेकर जो आवाज उठी है वह दब भी जाएगी। यदि ऐसा नहीं करते हैं तो फिर आगामी संसद के मानसून सत्र में सदन में विपक्षी लोग हंगामा खड़ा कर देंगे। शायद इसीलिए सरकार को अक्ल आयी कि इस मामले को पहले ही निपटा लिया जाए। आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय को पाने के लिए अभी से दौड़ भी शुरू हो चुकी है। अभी तक इस दौड़ में स्टील राज्य मंत्री जितिन प्रसाद और रक्षा राज्य मंत्री पल्लम राजू शामिल हैं।

Tuesday, September 16, 2008

घर मंत्री का घर ही सुरक्षित नहीं


मेट्रो शहरों में हो रहे सीरियल बम धमाकों ने तो लोगों का जीना ही मुश्किल कर दिया। कब किस शहर में धमाके हो जाएं कहना मुश्किल है। भारत के गृह मंत्री (घर मंत्री) के देश (घर) की सुरक्षा ही खतरे में पड़ी है। आए दिन हमले हो रहे हैं। दिल्ली में हमले हो रहे हैं, घर मंत्री अपने घर में पोशाकें बदलने में ध्यान दे रहे हैं। सामान्य तौर पर देखा गया है कि जब किसी पर परेशानी आती है तो लोग कपड़ों पर ध्यान नहीं देते हैं जिस भी अवस्था में लोग होते हैं उसी तरह सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं। हमारे गृह मंत्री पोशाकें बदलने में मस्त थे। शर्म आनी चाहिए थी कि निर्दोष लोग बम धमाकों की चपेट में आकर घायल होकर कराह रहे थे वह अपने घर में शरीर को संवार रहे थे। क्या ऐसा ही देश का गृह मंत्री होना चाहिए। जिसके सुरक्षा बलों तक को यह जानकारी नहीं थी कि दिल्ली भी आतंकियों की चपेट में है। सच ही है जैसा राजा वैसी प्रजा। देश की सुरक्षा-व्यवस्था के बारे में सोचने का समय जब मंत्री के पास ही नहीं है जो सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी करने की क्या पड़ी, वह भी मौत-मस्ती कर रही हैं। देश की सुरक्षा भगवान के भरोसे चल रही है। पुलिस और केंद्रीय बल मिलकर सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। और देखिए कांग्रेस पार्टी उन्हें ग्रीन सिगनल भी दे रही है। आखिर दस जनपथ के नजदीकी हैं। सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। सरकारी दामाद बन के सुख भोगिए। सरकार का कार्य बस घोषणा भर रह गया है कि मरने वालों को इतना रुपए और घायलों को इतना रुपए।

गैस कनेक्शन का खत्म हुआ इंतजार

गैस कनेक्शन चाहने वालों को अब ज्यादा इंतजार नहीं करना पडे़गा। इस महीने के अंत तक प्रतीक्षारत सभी लोगों को गैस कनेक्शन उपलब्ध करा दिये जायेंगे। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और तेल कंपनियों ने यह निर्णय लिया। रसोई गैस का नया कनेक्शन चाहने वालों की प्रतीक्षा सूची आठ लाख तक पहुंच गई थी। इसमें से 4.10 लाख लोगों को कनेक्शन दिये जा चुके हैं, बाकी 3.90 लाख को सितंबर अंत तक नया कनेक्शन मिल जायेगा। तेल कंपनियां ग्राहकों की शिकायतों को निपटाने की प्रणाली को भी और ज्यादा प्रभावी बनाने जा रही हैं। वह दो अक्टूबर तक एक टोल फ्री नंबर की शुरूआत कर सकती हैं, जिसपर देश के किसी भी कोने से ग्राहक अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे।

Sunday, September 14, 2008

दिल्ली धमाके: सुरक्षा-व्यवस्था को चुनौती


भारत की राजधानी नई दिल्ली में सीरियल बम धमाकों ने दिल्ली को फिर दहला के रख दिया। पुलिस की लचर सुरक्षा व्यवस्था ने ही आतंकियों के हौसले बुलंद किए हैं। वह मौका पाते ही देश के प्रमुख शहरों को लक्ष्य बना रहे हैं। धमाकों के बाद हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाता है। सुरक्षा के नाम पर पुलिस वाहनों की चेकिंग करने में जुट जाती है और सीमाएं सील कर वह अपनी औपचारिक पूरी कर लेती है। जब कुछ समय बाद स्थिति सामान्य हो जाती है तो पुलिस अपना कर्तव्य भूल कर अन्य कामों में लगी रहती है। क्यों नहीं सीमाओं पर हमेशा वाहनों की चेकिंग होती है। सामान्य परिस्थितियों में तो आप आराम से दिल्ली में बिना चेकिंग के आ-जा सकते हैं। यदि यही स्थिति रही तो वह नारा खत्म हो जाएगा जिसके लिए कहा जाता है कि दिल्ली दिल वालों की है। जबकि देखा जाए तो दिल्ली अब सामान्य लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है। सुरक्षा के नाम पर यहां कई प्रकार की सुरक्षा इकाईयां मौजूद हैं फिर भी आतंकी सिलसिलेवार बम धमाके करके सुरक्षित निकल गए, यह बड़े शर्म की बात है। नेताओं का तो सिर्फ एक ही रटा-रटाया वाक्य होता है कि मैं इस बम विस्फोटों की कड़े शब्दों में भ‌र्त्सना करता हूं इसके बाद फिर किसी नए शहर में बम धमाके हो जाते हैं। दिल्ली में इसके पूर्व 29 अक्टूबर 2005 में तब हुए थे जब पूरी दिल्ली दीपावली के त्यौहार को मनाने की तैयारी कर रही थी। दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पांच विस्फोटों में तीस लोग मारे जा चुके हैं। बड़ी दर्दनाक मौतें हुई हैं। एक छात्रा बैंक की परीक्षा देने के लिए बडोदरा, गुजरात से आई थी किंतु कनाट प्लेस क्षेत्र में हुए बम विस्फोट की वह शिकार हो गई। वह हमेशा के लिए सो गई। करोलबाग के गफ्फार मार्केट, कनाट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में थोडी-थोड़ी देर के अन्तराल पर विस्फोट हुए। पहला विस्फोट गफ्फार मार्केट में हुआ, इसके तत्काल बाद कनाट प्लेस कनाट प्लेस स्थित गोपालदास बिल्डिंग में दो विस्फोट हुए। एक अन्य विस्फोट दक्षिणी दिल्ली के पाश ग्रेटर कैलाश इलाके में स्थित पार्ट वन के एम ब्लाक मार्केट में हुआ। बम धमाकों की घटना को लेकर पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।अब प्रश्न उठता है कि दिल्ली आम लोगों के लिए रहने के लिए सुरक्षित रह गई। या फिर नेताओं की नगरी बन कर रह गई। पुलिस बल का अधिक हिस्सा तो नेताओं की तामीरगीरी में लगा रहता है। वह दिल्ली को क्या खाक सुरक्षा प्रदान करेंगे। यहां पर कई प्रकार के इतने अधिक सुरक्षा बल मौजूद हैं फिर भी सीरियल बम धमाके हों, यह बहुत ही शर्म का विषय है।

Wednesday, September 10, 2008

स्टैंडर्ड मार्डन थ्योरी का परीक्षण, धरती को खतरा नहीं


जिनेवा में आज धरती के गर्भ में कराए जाने वाले प्रयोग को लेकर कुछ इस तरह की हवा फैली कि इससे से छोटे-छोटे ब्लैक होल्स पैदा होंगे जो दुनिया को तबाह कर देंगे। फिजिक्स की स्टैंडर्ड मार्डन थ्योरी के अनुसार प्रोटोन विस्फोट करने पर उसमें हिक्स पार्टिकल्स निकले चाहिए। उसी की खोज के लिए यह प्रयोग हो रहा है। हिक्स पार्टिकल्स निकले तो स्टैंडर्ड मार्डन थ्योरी पक्की हो जाएगी और फिजिक्स का भविष्य सुदृढ़ हो जाएगा। नहीं निकले तो वैज्ञानिकों को इस थ्योरी पर फिर से सोचना होगा। इससे धरती को कोई खतरा नहीं है। ब्लैक होल्स में इतनी ताकत होती है कि वे आसपास की वस्तुओं को घसीट कर बड़े होते जाते हैं जिससे धरती नष्ट हो सकती है। इस प्रयोग में पहली बात ब्लैक होल्स बनेंगे ही नहीं और यदि बने भी तो इतने छोटे-छोटे होंगे कि कुछ समय बाद वे खुद नष्ट हो जाएंगे। इसलिए यह आशंका निर्मूल है कि दुनिया खत्म हो जाएगी। प्रयोग में जितनी गति से व जितनी ऊर्जा निकलती है, आकाश से उससे कहीं अधिक ऊर्जा व गति वाली कास्मिक किरणें आती रहती हैं। ये लाखों सालों से आ रही हैं। जब उनसे दुनिया खत्म नहीं हुई तो इस प्रयोग से कैसा भय। वास्तव में ब्लैक होल्स किसी तारे के विकासक्रम का अंतिम बिंदु है, जिस समय उसका आकार सूर्य से दस से पंद्रह गुना ज्यादा हो जाता है। तारे के विशाल आकार ग्रहण कर लेने पर उसमें भयंकर विस्फोट होता है। यह तारे की सुपरनोवा स्थिति कहलाती है। बाहर का कोई भी गुरुत्वाकर्षण बल इसे रोकने में समर्थ नहीं होता है। इस स्थिति में तारे का घनत्व इतना बढ़ जाता है कि कोई भी प्रकाश (फोटान) उसके गुरुत्व क्षेत्र के बाहर ही नहीं जा पाता। तारे के घनत्व के इस अनंत विस्तार को ही ब्लैक होल्स कहा जाता है। आम धारणा है कि ब्लैक होल्स किसी वैक्यूम क्लीनर की तरह हर चीज को अपने अंदर खींच लेता है, लेकिन यह धारणा नहीं है। यदि हमारा सूर्य उतने ही द्रव्यमान के ब्लैक होल्स में बदल जाए तो उससे पृथ्वी की कक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हां, पृथ्वी का तापमान जरूर बड़ जाएगा, लेकिन सौर चुंबकीय तूफान किसी भी तरह से पृथ्वी को नुकसान नहीं पहुंचा सकेंगे। कोई भी पिंड या ग्रह तभी ब्लैक होल्स में समायगा जब वह श्वार्जचाइल्ड रेडियस पार कर जाएगा। इसके पार करते ही पिंड की चाल प्रकाश की चाल 5 लाख किलो मीटर प्रति सेकेंड के बराबर हो जाएगी। स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर यह अभूतपूर्व परीक्षण हो रहा है। यह जमीन के एक सौ मीटर गहरे और 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में कई देशों के वैज्ञानिक हैं जिसमें भारत से खगोल वैज्ञानिक गए हुए हैं। इस सुरंग में तापमान माइनस 200 डिग्री सैल्सियस है। इस परियोजना पर लगभग चार खरब रुपए का खर्चा आया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 1998 में काम शुरू हो गया था।

Tuesday, September 9, 2008

दोहरी नीति में पिसते गांधी जी


सरकार का भी क्या कहना। महात्मा गांधी के देश में उन्हीं की ब्लेक मेलिंग की जा रही है। गांधी जी का अपमान तो सरे आम हो ही रहा है। यादगार दिन पर सरकारी घोषणा कर बीच का रास्ता अख्तियार करके चलती हैं सरकारें। अब सुनने में आया है कि सरकार गांधी जी के जन्म दिवस दो अक्टूबर को तंबाकू के सेवन करने पर आर्थिक दंड का प्राविधान करने जा रही है। क्या है मजाक नहीं है कि एक तरफ तो धूम्रपान पर प्रतिबंध लगाने के प्राविधान किए जा रहे हैं तो दूसरी तरफ सिगरेट, बीड़ी, अफीम, गांजा को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। सरकार को इस क्षेत्र से अधिक आमदनी होती है। सिगरेट बनाने की कई कंपनियां हमारे देश में हैं। क्यों नहीं उन पर प्रतिबंध लगाया जाता। एक समय तो क्रिकेट के मैदान पर विल्स का खूब प्रचार होता था। फौजी केंटीनों में पनामा सिगरेट की आज भरपूर मात्रा में पूर्ति की जा रही है। लेकिन सरकार को आबकारी से कर के रूप में एक अच्छी खासी कमाई होती है। इस कमाई को वह प्रभावित नहीं करना चाहती है। सिगरेट या फिर बीड़ी के रेपर पर सिर्फ इतना अवश्य लिखा रहता है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जब हानिकारिक है तो फिर वह बाजार में बिक्री के लिए क्यों उपलब्ध है। सरकार को सबसे पहले इनके उत्पादन बंद करने होंगे तब पब्लिक में जाकर घोषणा करना अच्छा भी लगता है और लोगों में इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। गांधी जी क्यों जाने जाते हैं, क्योंकि उन्होंने जो कहा वही किया। यदि सरकार की नियत में कोई खोट नहीं है तो उन्हें गांधी जी के सिद्धांतों पर चलकर दिखाना होगा कि सरकार गांधी जी के सिद्धांतों पर चल रही है। क्योंकि गांधी जी नशा सेवन के पूर्ण खिलाफ थे। वह नहीं चाहते थे कि लोग इसके आदी हो जाएं और घर-परिवार लुट जाए। उनकी सोच लोगों के प्रति सकारात्मक थी। लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करना नहीं था। लेकिन सरकार तो खिलवाड़ कर रही है। एक तरफ तो नशा के सेवन पर प्रतिबंध लगा रही है तो दूसरी तरफ इनके उत्पादनों को प्रोत्साहन दे रही है। सरकारी घोषणा के बाद गांधी जयंती के दिन से सरकारी, गैर-सरकारी इमारतों तथा सार्वजनिक स्थलों आदि में धूम्रपान करने वालों को 200 रुपये जुर्माना देना पडे़गा। देश में संशोधित सिगरेट और अन्य उत्पाद अधिनियम-2008 दो अक्टूबर से देशभर में लागू हो जायेगा। सरकारी और गैर-सरकारी भवन और इमारतों तथा सार्वजनिक स्थलों आदि में अगर कोई धूम्रपान करता है तो उसके जिम्मेदार वहां के प्रबंधक या मालिक होंगे। उनको धूम्रपान करने वालों से जुर्माना वसूल करने का अधिकार होगा। पुलिस अधिकारियों के अलावा गैर-सरकारी संगठनों तथा रेलों में चल टिकट परीक्षकों को भी धूम्रपान करने वालों पर कानूनी रूप से जुर्माना लगाने का अधिकार दिया जायेगा।

Monday, September 8, 2008

तुम जिओ हजारों साल


आशा भोसले पुरकशिश आवाज की मल्लिका और उनके गानों ने न केवल छह पीढि़यों का दिल बहलाया बल्कि गायिकी के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान भी स्थापित किया। वह आज 75 बसंत पूरे कर रहीं हैं। हर पीढ़ी के दिल की धड़कन रही बहुविध गानों को सुर देने वाली आशा भोसले के प्लेटिनम जुबली के मौके पर सारेगामा इंडिया लिमिटेड प्रिसियस प्लेटिनम नाम से नया एलबम जारी किया है। जब आशा भोसले ने 1948 में गायिकी का सफर शुरू किया था तो फिल्म जगत में शमशाद बेगम, गीता दत्त और लता मंगेशकर पा‌र्श्व गायिकी के क्षेत्र में काबिज थी। हालांकि आशा की आवाज की मधुरता, गाने की अलहदा स्टाइल और उतार चढ़ाव ने पा‌र्श्व गायन में उनका एक अलग मुकाम बना दिया। गाने की स्थिति के साथ आवाज में परिवर्तन करना उनकी एक और खासियत रही है। आशा भोसले ने हिन्दी और मराठी सहित भारतीय भाषाओं में 12 हजार से अधिक गाने गाये। उनके गाये एलबमों ने भी लोगों को बहुत लुभाया और बेहद प्रभावित किया। उन्हें देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

Saturday, September 6, 2008

भारत को मिली ऐतिहासिक सफलता


भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार से जुड़े अमेरिका परमाणु करार अधिनियम 1954 की धारा 123 में इस बात का उल्लेख है कि अमेरिका उन्हीं देशों से परमाणु करार करेगा जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हों। जबकि भारत परमाणु अप्रसार संधि से बहुत दूर है। लेकिन भारत की खास बात रही है कि उसने परमाणु ऊर्जा का उपयोग शांति के क्षेत्र में किया है। भारत शुरू से ही एक शांति प्रिय देश है। भारत को विएना में अंतरराष्ट्रीय मंच पर आज एक ऐतिहासिक सफलता मिली जब परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देश समूह (एनएसजी) ने भारत के खिलाफ पिछले 30 वर्षो से लगे प्रतिबंध हटा लिए। एनएसजी की बैठक में 45 सदस्यीय संस्था ने आज अमेरिका के उस प्रस्ताव को मंजूर कर लिया जिसमें भारत पर लगी पाबंदियों को हटाने का प्रावधान है। चीन, न्यूजीलैंड और आस्ट्रिया सहित कुछ देशों के विरोध को पार करते हुए भारत ने एनएसजी का समर्थन हासिल किया। एनएसजी के फैसले के बाद भारत अब असैन्य परमाणु कारोबार में शिरकत कर सकेगा। सन् 1974 में पोखरण परमाणु विस्फोट के चार साल बाद सन् 1978 में भारत के खिलाफ प्रतिबंध लगाये गये थे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के लिए जुलाई 2005 में हुए भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को अमल में लाने के लिए एनएसजी की सहमति अनिवार्य थी जो आज हासिल हो गयी। भारत को अंतरराष्ट्रीय परमाणु बाजार में प्रवेश दिलाने की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की लम्बी मुहिम आज सफल रही जब परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देश समूह ने भारत पर लगे प्रतिबंध हटा लिए। एनएसजी की तीन दिन तक चली जद्दोजहद भरी बैठक में गतिरोध और ऊहापोह के बावजूद भारत ने यह महत्वपूर्ण सफलता हासिल की। एनएसजी की हरी झंडी के बाद परमाणु क्षेत्र में भारत का अलगाव खत्म हो गया तथा उसे परमाणु ऊर्जा, सामग्री और तकनीक के आदान-प्रदान का अधिकार हासिल हो गया।भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु सहयोग समझौते का अब केवल एक चरण शेष है जिसेमं अमेरिकी कांग्रेस को इस समझौते का अनुमोदन करना है। भारत अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए)के साथ निगरानी समझौता पहले ही कर चुका है।1968 में भारत ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर इस आधार पर हस्ताइार करने से इंकार कर दिया कि यह भेदभावपूर्ण है। 18 मई 1974 को भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। 10 मार्च 1978 को अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने परमाणु अप्रसार अधिनियम पर हस्ताक्षर कर भारत को परमाणु सहायता बंद कर दी गई। 11 व 13 मई 1998 को भारत ने पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण किए।34 साल तक प्रतिबंधों की काली रात के बाद भारत के लिए आज तब परमाणु सवेरा हुआ जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु जगत में भारत के अलगाव को दूर करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश के साथ जुलाई 2005 में भारत-अमेरिका असैन्य सहयोग समझौता किया था। इस समझौते के एक महत्वपूर्ण चरण में 45 सदस्यीय परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देश समूह ने आज भारत से परमाणु प्रतिबंध हटाने की घोषणा की। समझौते की अंतिम औपचारिकता के रूप में अब अमेरिकी कांग्रेस इस पर इसी महीने विचार करेगी तब उसके अनुमोदन के बाद यह समझौता अमल में आएगा।

Thursday, September 4, 2008

शिक्षक समाज के पथ प्रदर्शक है


शिक्षा राष्ट्र निर्माण का आधार है और इससे ही मानव जीवन में उजियाला आ सकता है। शिक्षा के कार्य में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक शिक्षित होकर ही अपना और देश का भविष्य संवार सकता है। शिक्षक शिक्षा का आलोक गांव-गांव में पहुंचाएं। लोगों को शिक्षित करे और इस कार्य में जन भागीदारी बढ़ाने का प्रयास करें। शिक्षक दिवस पर शिक्षक समुदाय को मेरी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं। शिक्षक राष्ट्र व समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं। राष्ट्र और समाज की भावी पीढ़ी के निर्माण में शिक्षकों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास के साथ ही उनमें राष्ट्र प्रेम, सामाजिक सद्भाव, अनुशासन, नैतिक एवं चारित्रिक गुणों का विकास करके उन्हें आदर्श नागरिक बनाने मे शिक्षकों का प्रमुख योगदान है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को अज्ञान के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाकर उन्हें आदर्श एवं संस्कारवान नागरिक बनाने का संकल्प लें। असतो मां सदगमय।शिक्षक अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करें। यही महान दार्शनिक शिक्षाविद तथा पूर्व राष्ट्रपति स्व. डा.एस. राधाकृष्णन के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

Wednesday, September 3, 2008

हिंदू-मुस्लिम की एक अनूठी दास्तान


ऐसी मान्यता है कि पूजा-पाठ और सतकर्म व्यर्थ नहीं जाते और उसका फल मनुष्य को एक न एक दिन जरूर मिलता है और खासतौर से ऐसे समय में जब कोई संकट के बीच घिरा हो। मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। यही देखने को मिला है बिहार में कोसी नदी से आई बाढ़ ने जहां लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है, वहीं संकट की इस घड़ी में मानवता के धर्म के चलते सभी मजहबी दीवारें भी ढह गई हैं। सहरसा जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अपने बाढ़ पीडि़त रोजेदार मुस्लिम भाइयों को पवित्र महीने रमजान में इफ्तार करा रहे हैं। यह नजारा सहरसा के जिला स्कूल परिसर में संघ परिवार के एक घटक सेवा भारती द्वारा चलाये जा रहे एक राहत शिविर का है। यहां रमजान में रोजा रखने वाले मुस्लिम समुदाय के लगभग 100 लोगों को आरएसएस के कार्यकर्ता मगरिब की अजान होते ही मुढी और घुधनी परोस कर उन्हें रोजा इफ्तार करा रहे हैं। इसी राहत शिविर में अपने परिवार के साथ शरण लिए मधेपुरा जिले के परमा गांव निवासी मो. सलाउद्दीन बताते हैं कि वे लोग पिछले करीब एक सप्ताह से यहां हैं और उनके साथ कोई भेदभाव नहीं बरता जा रहा है। ऐसा ही नजारा मधेपुरा स्थित एक मुस्लिम मदरसा के छात्रावास का भी है जहां कुमारखंड और मुरलीगंज के विभिन्न इलाकों से अपनी जान बचाकर आए साठ से अधिक साधु शरण लिए हुए हैं। इन्हें यहां के मुस्लिम शिक्षक और छात्रों द्वारा न केवल उनके आवास और भोजन की व्यवस्था की गयी है, बल्कि उन्हें यहां पूजा पाठ करने के लिए उन्होंने एक खास स्थान भी दे रखा है। मधेपुरा स्थित मदरसा के छात्रवास में शरण लिए एक साधु महेन्द्र साह ने बताया कि उक्त छात्रावास में उन्हें किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं है और यहां के मुसलमान भाइयों ने संकट की इस घड़ी में न केवल उन्हें शरण दी, बल्कि उनकी बहुत मदद की है।

गणपति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरिया


मुंबई में 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव के पहले दिन आज गणपति का धूमधाम से जबरदस्त स्वागत किया गया। वि­नहर्ता गणेश की प्रतिमा की स्थापना के साथ ही मुंबई का आकाश गणपति बप्पा मोरिया, मंगल मूर्ति मोरिया के उद्घोष से गूंज उठा। गणेश की भीमकाय प्रतिमा को मंडप में लाया गया और भक्तों ने अपने घरों में पवित्र स्थान पर समृद्धि और बुद्धि के लिये गजराज की प्रतिमा की स्थापना कर उनका स्वागत किया। प्रार्थना के बाद भगवान के प्रिय भोग मोदक का प्रसाद के रूप में वितरण किया गया।समाज के सभी तबकों के लोगों को आपस में जोड़ने के उद्देश्य से सार्वजनिक उत्सव के रूप में गणेश उत्सव को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान शुरू किया था। बाद में यह न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में व्यापक रूप मनाया जाने लगा। सबसे प्रसिद्ध गणेश मंडल लालबाउग का राजा है। इस साल यह अपनी प्लेटिनम जुबली मना रहा है। वहीं दूसरी ओर मध्य मुंबई के किंग सर्किल में जीएसबी सेवा मंडल के गणेश भगवान महानगर में सबसे धनी माने जाते हैं। उन्हें आठ करोड़ रुपये मूल्य के 44 किलो सोने के आभूषण और 140 किलो चांदी के आभूषण चढ़ाए जाते हैं। यह मंडल पिछले 54 सालों से गणेशोत्सव आयोजित कर रहा है। गणेश भगवान के मंच तक पहुंचने के लिये हवा में 500 फुट लंबा और पांच फुट चौड़ा रास्ता बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख, केंद्रीय विद्युत मंत्री सुशील कुमार शिंदे, पूर्व लोक सभा अध्यक्ष मनोहर जोशी, स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर और अभिनेता जितेन्द्र, सलमान खान ने उत्सव के दौरान अपने घरों में गणेश भगवान की प्रतिमा स्थापित की है। इसके अलावा लोक निर्माण मंत्री छगन भुजबल मध्य मुंबई के मजगांव में अपने अंजीरवादी गणेशोत्सव मंडल की हीरक जयंती मना रहे हैं। चेंबूर स्थित आरके स्टूडियो में राजकपूर के परिवार द्वारा पारंपरिक रूप से गणेशोत्सव मनाया जाता है। इस बीच मुंबई में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

बोलती किताबें


इंटरनेट में रूचि लेने वाले बच्चों के लिए दिल्ली पुस्तक मेला एक नया तोहफा लेकर आया है। बोलती किताबें बच्चों को किताबें सुनने के नये अनुभव से रूबरू करायेंगी। इस वक्त चल रहे दिल्ली पुस्तक मेले में भारतीय भाषाओं में बोलती किताबों की नयी विचारधारा बच्चों को खासा आकर्षित कर रही हैं। मान लीजिए आपकी आंखे किताबें पढ़ने के तैयार नहीं हैं लेकिन एक बोलती किताब खरीदिए जिसमें दादी नानी की तरह कोई आपको कहानी पढ़कर सुनायेगा। आजकल बच्चे इंटरनेट और टेलीविजन से चिपके रहते हैं। अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि बच्चों में पढ़ने की आदत छूट रही है। बच्चों के जीवन से जुड़ी किताबें उन्हें किताबों की ओर आकर्षित करेंगी। यह पुस्तकें इंग्लैंड और अमेरिका में बेहद लोकप्रिय है लेकिन भारत में इसे पहली बार आरंभ किया गया है। लोग मानते हैं कि यह विचारधारा बेहतरीन है, लेकिन एक किताब की कीमत करीब 300 रुपये बहुत अधिक है।

Tuesday, September 2, 2008

होमवर्क से परेशान छात्र


आजकल पब्लिक स्कूलों में एक बात फैशन में आ चुकी है कि पढ़ाओ कम और घर से काम करके लाने को डायरी में निर्देश दे दिए जाते हैं। जब मैं स्वपोषित मान्यता प्राप्त विद्यालय में पढ़ा तब सारे अध्यापक जी जान से क्लास में न सिर्फ खुद मेहनत करते थे, बल्कि छात्रों से भी उतनी ही मेहनत कराते थे। खास तौर से साइंस के छात्रों के प्रति अध्यापक एक-एक शब्द को स्पष्ट करते हुए चलते थे। उस समय न तो ट्यूशन का बोल बाला था और न ही होम वर्क का। सारा काम प्रेक्टीकल था। हर छात्र से कक्षा में ही रोजाना टेस्ट लिया जाता था। इसके बाद नए विषय की जानकारी दी जाती थी। यदि किसी को कोई बात समझ में न आ रही हो तो वह सीधे अध्यापक से पूछ सकता था। अध्यापक खुश होकर उस छात्र को कक्षा में पूरी जानकारी देते थे। क्या मेल था उस समय छात्र और अध्यापक का।आज पब्लिक स्कूलों में फीस भी अधिक लग रही है और पढ़ाई से छात्र क्या उनके माता-पिता भी संतुष्ट नहीं दिखाई देते हैं। इन स्कूलों में महिला अध्यापिकाओं की भीड़ है। यह अध्यापिकाएं प्रशिक्षित भी नहीं होती हैं और स्कूल प्रबंध तंत्र कम वेतन पर इन लोगों को रख लेते हैं। यही अध्यापिकाएं स्कूलों में पढ़ाने के बाद घर पर ट्यूशन भी पढ़ाती हैं। और तो और ट्यूशन में भी होम वर्क दिया जाता है। छात्र होम वर्क करते-करते इतना थक जा रहा है कि वह परेशान है होम वर्क करने से। स्कूल वर्क का चलन घटता जा रहा है। इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं, स्कूल प्रबंध तंत्र या टीचर। प्रबंध तंत्र पैसे कमाने में लगा हुआ है। उसे यह देखने की फुरसत कहां कि वह हर टीचर का ब्यौरा रोज मांगे। आज जरूरत है माता-पिता की जागरूपता। लोगों की जागरूपता के साथ ही सरकार को भी कड़े कदम उठाने चाहिए।

Saturday, August 30, 2008

कोसी के कहर से मातम में डूबा बिहार


कोसी नदी के तटबंध में टूट की वजह से बिहार में तबाही मची हुई है। राज्य के बाढ़ प्रभावित जिले सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, अररिया और पूर्णिया में बाढ़ की भयावहता को देखते हुए वहां राहत कार्य चलाये जाने के लिए संकट की इस घड़ी में सभी लोगों की मदद की जरूरत है। बेघर हुए लाखों लोग न सिर्फ आर्थिक सहायता के मोहताज हैं, बल्कि मानवीय मूल्यों को जिंदा बनाए रखने के लिए सभी पहलुओं पर से गुजरना पड़ेगा। इस बाढ़ में कहीं मां से बेटा बिछुड़ रहा है, बेटे से मां बिछुड़ रही है, कहीं भाई से बहिन बिछुड़ रहा है। बाढ़ का पानी गांवों में घुसते ही लोग भाग रहे हैं अपना घर द्वार छोड़कर। ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्य बिछुड़ते जा रहे हैं, क्योंकि भागने की होड़ मची हुई है। हजारों की संख्या में लोग बह चुके हैं, जिनका अब मिलना नामुमकिन है। ऐसा मार्मिक दृश्य देखकर आंखें नम हो जाती है, उन लोगों के लिए जो बाढ़ के शिकार हो चुके हैं। यहां तक कि पालतू जानवरों गाय, भैंसों का तो अता पता ही नही है। वह तो कब के बाढ़ की बिभीषका के शिकार हो चुके हैं। ऐसी बाढ़ 300 साल के बाद देखने को मिली है।बिहार की बाढ़ को देखते हुए केंद्र सरकार ने भले ही एक हजार करोड़ की सहायता व खाद्यान्न दिया है, लेकिन स्थिति को देखते हुए यह कम लग रही है। हालांकि गैर-सरकारी संस्थाएं भी आगे आयी हैं और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अपनी जान जोखिम में डालकर सेना व अ‌र्द्धसैनिक बल युद्ध स्तर से बचाव कार्य में जुटी हुई है। नावों के द्वारा लोगों को बाढ़ क्षेत्र से निकाला जा रहा है। कहीं-कहीं तो यह भी सुनने को आया है कि इस मुसीबत में फंसे लोगों को निकालने के लिए व्यावसायिक लोग अधिक पैसा ऐंठ रहे हैं। ऐसी स्थिति में मानवता का तकाजा बनता है कि लोग निस्वार्थ भावना से बाढ़ पीडि़तों की मदद करें। बिहार पर आई इस संकट की घड़ी में लोगों को दिल खोलकर मदद करनी चाहिए। बाढ़ का पानी घटने पर महामारी फैलने का भी खतरा बन चुका है।अब हम लोगों का कर्तव्य बनता है कि मिले हुए धन व खाद्यान्न सामग्री को ईमानदारी से बाढ़ पीडि़तों में बांटें।केंद्र में वाजपेयी सरकार ने कहा था कि सभी नदियों को मिलाया जाए। यदि सभी नदियां मिल जाएं तो बाढ़ के कहर से न सिर्फ लोगों को छुटकारा मिल जाएगा, बल्कि व्यर्थ में बहरा पानी का विद्युत बनाने आदि में उपयोग किया जा सकता है।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

आओ जाओ उस ओर जाओ,मेरे यार को मेरा पैगाम सुनाओ।वो सुने या न सुने,मेरे दिल की कह सुनाओ।।लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती।कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है।चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है।मनका विश्वास रगों में साहस भरता है।चढ़कर गिरना गिरकर चढ़ना न अखरता है।मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती।कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो।क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो।जब तक न सफल हो नींद चैन की त्यागो तुम।संघर्षो का मैदान छोड़ मत भागो तुम।कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती।कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।।

Thursday, August 28, 2008

सुलगते कश्मीर को बुझाने वाला चाहिए


जम्मू और कश्मीर दो अलग नाम और दोनों के काम भी अलग-अलग। एक हिंदूवादी तो एक मुस्लिमवादी। दोनों ही जगहों पर परिवहन व्यवस्था में भी गाडि़यों के रजिस्ट्रेशन में जे-1 और जे-2 शब्द प्रयोग हो रहे हैं। जम्मू के लिए जे-1 और कश्मीर के लिए जे-2 नंबर है। भारत संघ का यही एक ऐसा राज्य है, जहां पर राष्ट्र का नहीं राज्य का झंडा फहराया जाता है, राष्ट्रपति नहीं राज्यपाल शासन लगता है, ऐसा क्यों? क्योंकि कश्मीर पाक में मिलना चाहता है, वहां पर पाकिस्तान का झंडा फहराया जा रहा है जो संवैधानिक रूप से गलत ही नहीं है संज्ञेय अपराध भी है। फिर भी भारत सरकार मौन धारण किए हुए है। यदि कश्मीर के अलावा और किसी जगह की यह घटना होती तो पुलिस तुरंत कार्यवाही कर जेल में ठूंस देती पर वहां तो पुलिस भी लाचार है। 1947 में भारत के विभाजन के बाद अनेक राजा, महाराजाओं ने सरदार बल्लभभाई पटेल की सक्रियता के कारण अपने-अपने राज्य को भारत संघ में मिला दिया लेकिन इस संबंध में जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह की हिचकिचाहट बनी रही और उन्होंने यथास्थिति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान से एक समझौता भी कर लिया था और जिन्ना ने आनन-फानन में कश्मीर को पाक में मिलाने के लिए पठानों की एक फौज को वहां भेज कर स्थानीय लोगों को डरा धमका कर पाक में शामिल होने के लिए एक माहौल बनाने लगे। राजा हरि सिंह तो डरकर श्रीनगर आ गए और भारत संघ से करार करने को दबे मन से मजबूर हो गए। यह राज्य भारत में सशर्त मिला। पटेल की कड़ी नीति वहां पर बेकार हो गई जब जवाहर लाल नेहरू ने इस राज्य का जिम्मा खुद ले लिया और इस राज्य के लिए अलग संवैधानिक व्यवस्था की गई। शेख अब्दुल्ला ने तो यहां तक कह दिया कि इस राज्य का भारत में पूर्ण विलय वास्तविकता से दूर है। जनसंघीय नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसके खिलाफ 1952 में यक आंदोलन चलाया, किंतु शेख अब्दुल्ला ने उनको गिरफ्तार करा लिया और बंदी गृह में ही उनकी संदिग्धावस्था में मौत हो गई। इसके बाद शेख अब्दुल्ला की सरकार सदरे रियासत कर्ण सिंह ने बर्खास्त कर दी। तब से आज तक इसका इतिहास घातों और प्रतिघातों से भरा पड़ा है।आज जम्मू-कश्मीर जल रहा है। अमरनाथ यात्रियों के लिए बेहतर सुविधा देने के लिए जमीन तो एक बहाना है। साठ वर्ष पूर्व पृथकता के जो बीज बो दिए गए थे आज उसी की फसल पक कर तैयार हो चुकी है। काश इस राज्य के विलय का ठेका पटेल से न लिया होता तो शायद यह नौबत नहीं आती। यदि नेहरू ने इसके विलय की जिम्मेदारी ली थी तो इसका निर्वहन करना चाहिए था जो कि नहीं किया गया। कई ऐसे मौके आए कि भारत यदि चाह लेता तो कश्मीर हमेशा-हमेशा के लिए भारत का अंग बन जाता, लेकिन यहां के नेता शक्तिशाली देशों के दबाव में आकर यह कारनामा नहीं कर सके।पाकिस्तान में किसी की भी सरकार हो उसका रवैया भारत के ही खिलाफ होगा। वहां के मदरसों में भारत विरोधी शिक्षा दी जाती है, जब खिलाफत की शिक्षा जेहन में चली जाती है तो फिर आसानी से निकलती नहीं है। भारत यह जानते हुए भी कि पाक में आतंकियों को न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जा रहा है, बल्कि उन्हें सेना की मदद से चोरी छिपे भारत में प्रवेश करवाया जा रहा है फिर भी चुप है। भारत-पाक के बीच अंतरराष्ट्रीय रेखा पर जो संधि हुई थी उसका भी पाक आए दिन उल्लंघन कर रहा है, फिर भी हम चुप हैं। भारत सिर्फ अपनी आपत्ति दर्ज करा सकता है, सो वह करता है इसके आगे उसके कदम नहीं बढ़ सकते। ऐसी क्या मजबूरी है कि हमसे हर मामले में एक छोटा सा देश, जिसकी कुल आबादी लगभग उत्तर प्रदेश के बराबर है, मुझे घूर रहा है, मुझे ललकार रहा है, मुझे आतंकित कर रहा है, नन्हें बच्चों को बम धमाकों से उड़ाया जा रहा है। हम चुप हैं। एक ओर तो हम शक्शिाली राष्ट्र होने का डंका पीटते हैं और कारनामें एक कमजोर राष्ट्र के जैसे। हमारी फौज विश्वसनीय और बहादुर हैं, हमें उन पर नाज है, फिक्र है। लेकिन उन्हें चलाने के लिए एक हिम्मत वाला सेनापति चाहिए। निर्भय होकर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। जब तक हम पाक के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाएंगे तब तक वह कश्मीर में अमन चैन कायम नहीं रहने देगा। उसका एक ही मकसद है कि वहां के लोगों में इतना भय पैदा कर दो कि लोग खुद ही मजबूर हो जाएं पाक का हिस्सा बनने के लिए।

Monday, August 25, 2008

गिरा बीजिंग ओलंपिक का पर्दा


लंदन में फिर से मिलने के वायदे के साथ गिरा बीजिंग ओलंपिक का पर्दा। आगाज जितना अद्भुत, अंजाम उतना ही अविश्वसनीय। मानो परीलोक जमीन पर उतर आया हो। बेहतरीन तकनीक, कलाकारों का हैरतअंगेज प्रदर्शन और आतिशबाजी का भव्य नजारा, सभी कुछ था बीजिंग ओलंपिक के समापन समारोह में। दिल की धड़कनों को बिजली की रफ्तार देने वाले अठारह दिनों के रोमांचक सफर के बाद चीन ने यादों के रंगबिरंगे गुलदस्तों के साथ मेहमानों को विदा किया और नए कीर्तिमानों और मीठी यादों के साथ ओलंपिक की ये विरासत लंदन को सौंप दी। चार साल बाद लंदन की मीठी शामें खेलप्रेमियों को नए रोमांच से भरेंगी। आतंकवाद, प्रदूषण और सफल आयोजन की चुनौतियों भी एशियाई सुपरपावर के संकल्प को नहीं डिगा पाई और उसने अपना वायदा बखूबी निभाया। इस खेल महाकुंभ में अमेरिकी बादशाहत को खत्म कर खेलों की नई महाशक्ति बने चीन की सफलता की धमक पूरे विश्व ने सुनी। भला किसने सोचा था कि जिस देश ने अपना पहला ओलंपिक पदक ही 1984 में जीता हो वो 24 साल में ही खेलों की दुनिया पर राज करेगा। चीन ने 51 स्वर्ण, 21 रजत, 28 कांस्य पदक सहित कुल 100 पदक अपने नाम कर ये उपलब्धि हासिल की। भारत के लिहाज से भी बीजिंग ओलंपिक यादगार रहा जब पहली बार वो किसी ओलंपिक से तीन पदकों के साथ लौटेगा। अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण, सुशील कुमार ने कुश्ती में 66 किग्रा. भारवर्ग में कांस्य और विजेंद्र कुमार ने मुक्केबाजी का पहला कांस्य भारत की झोली में डाला।समारोह की शुरुआत में चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष जैक्स रोगे रंग-बिरंगे माहौल में बर्ड नेस्ट स्टेडियम में अवतरित हुए। इसके बाद ड्रम वादकों ने अद्भुत प्रदर्शन की ऐसी छटा बिखेरी जिसे देखकर सभी ने खुद को दूसरी ही दुनिया में पाया। भव्यता के ओलंपिक की ये वो स्वप्निल दुनिया थी जहां सभी कुछ असाधारण था। कलाकारों ने जब एक के बाद एक शानदार प्रदर्शनों की झड़ी लगाई तो कोई भी आश्चर्यचकित हुए बिना न रह सका और जब सैकड़ो कुंगफू छात्र प्रदर्शन के लिए नेशनल स्टेडियम में उतरे तो पूरा स्टेडियम ही एकटक उनकी मेहनत को साकार होते हुए देखता रह गया। दुनिया के सबसे आबादी वाले देश ने मानव मीनार बनाकर अपनी पहचान को एक चेहरा दिया। इसके बाद ओलंपिक में भाग लेने वाले 204 देशों के ध्वजवाहक मैदान पर उतरे। भारतीय तिरंगा विजेंद्र के हाथों में था जो बीजिंग ओलंपिक में भारत की सफलता की कहानी बयां करता नजर आया। आयोजन समिति के अध्यक्ष लियु कुई और रोगे ने ओलंपिक ध्वज फहराए जाने और ओलंपिक गान से पहले खचाखच भरे स्टेडियम को संबोधित किया। बीजिंग से ओलंपिक ध्वज लंदन ने थाम लिया। लंदन की लाल दोमंजिली बस समूचे स्टेडियम में घूम गई। बस का ऊपरी हिस्सा खुला और टावर ब्रिज, बैटरसी बिजलीघर और पार्लियामेंट के पुतलों के बीच से लंदन मुस्कराने लगा। पाप गायक लियोना लेविस और गिटार वादक पेज ने इस शानदार शाम को यादगार बनाने में कोई कसर न छोड़ी। बस पर खड़े इंग्लैंड के पूर्व फुटबाल कप्तान डेविड बेकहम ने जैसे ही स्टैंड्स में भीड की ओर गेंद उछाली अचानक सबके सामने बर्मिघम पैलेस कौंध गया।इस एक पखवाड़े में कई ख्वाब परवान चढे़ और कितने ही धूल में मिल गए। बेशक अमेरिका के माइकल फेल्प्स ने वाटर क्यूब और जमैका के यूसैन बोल्ट ने बर्ड नेस्ट में खलबली मचा दी हो मगर उनके फौलादी इरादों को कामयाबी की जुबान चीन की धरती ने ही दी। फेल्प्स ने तरणताल में हर रिकार्ड डुबाया और रिकार्ड आठ स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास पुरुष बने जबकि बोल्ट दुनिया के सबसे तेज धावक बने और उन्होंने तीन विश्व रिकार्ड के साथ तीन सोने के तमगे अपने गले में डाले। बीजिंग के आयोजन ने लंदन के लिए आयोजन की नई चुनौती पेश कर दी है। शुक्रिया बीजिंग, गुडलक लंदन।

Sunday, August 24, 2008

मैया मैं नहीं माखन खायो




माखन चोर कन्हैया की शिकायत जब यशोदा से होती है तब कृष्ण जी कहते हैं कि मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो। जब मैया और सख्ती से पेश आती हैं तो वह कहने लगते हैं कि मैया मोरी मैं ने ही माखन खायो। यह तो तय था कि चोरी छिप नहीं सकेगी क्योंकि मुंह पर माखन लगा हुआ था और माखन खाते हुए पकड़कर मां यशोदा के पास लाया गया था। आज इन्हीं का जन्म है, जिसे जन्माष्टमी के नाम से पूरा देश जानता है। विशेषकर मथुरा में जहां पर पैदा हुए थे, वह जगह थी मथुरा नरेश कंस की जेल, जहां पर कंस की बहिन देवकी ने नवीं संतान के रूप में कृष्ण को जन्म दिया था। आज न सिर्फ मथुरा बल्कि हिंदुस्तान के प्रमुख मंदिरों को सजाया जाता है और रात के ठीक बारह बजे मंदिरों की घंटियां बजने लगती हैं और पूरा वातावरण ही कृष्णमय हो जाता है। लोगों की भीड़ अपने आप खिची चली आती है। वह तो विष्णु के अवतार थे। पृथ्वी पर जन्म लेने का मकसद तभी होता है जब धर्म का पतन होने लगता है। अन्याय की जड़ें मजबूत होने लगती हैं, तब भगवान को पृथ्वी पर मानव के रूप में जन्म लेना पड़ता है न्याय और धर्म का पालन न करने वालों को खातमें के लिए। कंस ने भी यही किया था। था तो उनका भांजा, लेकिन धर्म और न्याय से बड़ा पारिवारिक संबंध नहीं होता। दुष्ट कंस को मौत की सजा दी। न सिर्फ मथुरा बल्कि गोकुल, बृंदावन, नंदगांव में बाल लीलाओं का प्रदर्शन किया। प्रेम के इतने भूखे थे कि आदमी क्या पशु भी उनके तरफ खिंचे चले आते थे। मीराबाई ने तो यहां तक कह दिया था कि मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोय। ऐसे प्रभु को मैं आज उनके जन्म दिवस पर शत-शत बार नमन करते हैं।

Thursday, August 21, 2008

सौदेबाजी से पाक पर मंडराया खतरा


मुशर्रफ के इस्तीफे के लिये सऊदी अरब और ब्रिटेन की मध्यस्थता से हुई सौदेबाजी से पाक गठबंधन पर खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल एन के प्रमुख नवाज शरीफ ने धमकी दी कि यदि पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ द्वारा बर्खास्त जजों को कल तक बहाल नहीं किया गया तो उनकी पार्टी सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस ले लेगी और विपक्ष में बैठना पसंद करेगी। इस मामले को लेकर जरदारी पशोपेश में पड़ गए हैं, वह चाहते हैं कि लाठी भी न टूटे और सांप भी मर जाए, पर ऐसा होने वाला नहीं है। शरीफ आर-पार की लड़ाई लड़ने जा रहे हैं। उन्हीं के दबाव में जरदारी ने मुशर्रफ के खिलाफ महाभियोग लाने का फैसला किया था, किंतु उसके पहले ही एक करार के तहत मुशर्रफ ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया और गठबंधन सरकार को धर्मसंकट में डाल दिया। इसके पीछे एक बड़ी चाल यह भी है कि मैं तो गद्दी छोड़कर जा ही रहा हूं, लेकिन तुम्हें भी आराम से नहीं बैठने दूंगा। पाकिस्तानी के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ उनके इस्तीफे को लेकर हुई सौदेबाजी में एक शर्त यह भी थी कि सुप्रीम कोर्ट के बर्खास्त चीफ जस्टिस इफ्तिकार मुहम्मद चौधरी को बहाल नहीं किया जायेगा। पीपीपी के सह-अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी भी जजों की बहाली के खिलाफ हैं। इस सौदेबाजी से गठबंधन सरकार में दरार का खतरा पैदा हो गया है क्योंकि पीपीपी की सहयोगी पार्टी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन पिछले साल आपातकाल के दौरान बर्खास्त जजों की बहाली के लिये 22 अगस्त की समयसीमा तय कर रही है। दोनों दलों ने मुशर्रफ पर महाभियोग लगाने की अपनी योजना की सात अगस्त को घोषणा करते हुए कहा था कि बर्खास्त जजों को राष्ट्रपति के हटने के तुरंत बाद बहाल कर दिया जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।मुशर्रफ को डर था कि वह उनके खिलाफ मामले शुरू कर सकते हैं। जरदारी सौदेबाजी के कारण किसी शासकीय आदेश के जरिये बर्खास्त जजों की बहाली के खिलाफ हैं और उन्होंने वर्तमान और बर्खास्त जजों की जगह नये चीफ जस्टिस का प्रस्ताव रखा है।नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल.एन के गठबंधन से हटने की संभावना है और उस सूरत में मुत्तहिदा कौमी मूवमैंट और पीएमएल-क्यू के काफी सांसद गठबंधन में शामिल होने को तैयार हैं। पाकिस्तान में शीघ्र ही महत्वपूर्ण राजनीतिक फैसले किए जाएंगे।

Wednesday, August 20, 2008

ओलंपिक में भारत ने इतिहास दोहराया


दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाले व रेलवे में कार्यरत और महाबली सतपाल के शिष्य ने 2006 में दोहा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए सुशील कुमार ने इतिहास को दोहराते हुए पेइचिंग ओलम्पिक खेलों की फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पद्र्धा के 66 किलोग्राम वर्ग में कजाखस्तान के लियोनिद स्पिरिदोनोव को चित करके कांस्य पदक जीत लिया। इसके साथ ही 29वें ओलम्पिक में भारत के पदकों की संख्या एक स्वर्ण और एक कांस्य समेत दो हो गई है। इतिहास में ऐसा पहली बार है जब भारत ने एक ओलम्पिक में दो पदक हासिल किये हैं। इस ओलंपिक में ही अभिनव बिन्द्रा ने निशानेबाजी का स्वर्णपदक जीता है। सुशील ने भारत को साढ़े पांच दशक बाद कुश्ती में पदक दिलाया है। इससे पहले केडी यादव ने 56 साल पहले हुए हेलसिंकी ओलम्पिक में भारत को कुश्ती में कांस्य के रूप में एकमात्र पदक दिलाया था। ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में पदक जीतने वाले सुशील दूसरे पहलवान हैं। जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। पहलवान सुशील कुमार का बीजिंग में कुश्ती में जीता गया कांस्य पदक भारत का ओलंपिक खेलों में कांसे का छठा और कुल मिलाकर 19वां तमगा है। यही नहीं सुशील की इस उपलब्धि ने भारतीय खेलों के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ दिया। यह दूसरा अवसर है जबकि भारत ने एक ओलंपिक खेलों में दो पदक जीते लेकिन यह ऐसा पहला मौका है जबकि भारत के नाम पर दो व्यक्तिगत पदक दर्ज हुए। सुशील से पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दस मीटर एयर रायफल में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा था। भारत ने 1952 में हेलसिंकी में खेले गये ओलंपिक खेलों में भी दो पदक जीते थे। उस समय भारत ने हाकी में स्वर्ण जबकि कुश्ती में के डी जाधव ने कांस्य पदक जीता था। इस तरह से भारत कुश्ती में 56 साल बाद पदक हासिल हासिल करने में सफल रहा। बिंद्रा से पहले भारत ने आठों स्वर्ण पदक हाकी में हासिल किये थे।

Tuesday, August 19, 2008

हड़ताल से बेहाल लोग

लोगों के जीवन पर हड़ताल का इतना गलत प्रभाव पड़ता है कि पूरी दिनचर्या ही खराब हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति बैंक जाता है और ताला लटका हुआ पाते हैं तो उसका गुस्सा वहीं पर फूट पड़ता है। बैंक कर्मी अपने निहित स्वार्थ के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं, उन्हें लोगों की परेशानियों से कोई मतलब नहीं होता। सरकार को इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए। कल बैंकों में हड़ताल का दिन रहेगा। ट्रेड यूनियनों के साथ साथ सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कल हड़ताल करने की घोषणा की है। इसका असर विशेषकर सार्वजनिक बैंकिंग परिचालन पर पड़ सकता है। सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों के एक वर्ग ने विलय तथा बैंकिंग उद्योग में आऊटसोर्सिग के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की है। एसबीआई तथा रिजर्व बैंक के कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होंगे। सार्वजनिक बैंकों के साथ साथ क्षेत्रीय ग्रामीण एवं सहकारी बैंकों के कर्मचारी भी इस हड़ताल में भाग लेंगे। सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र में एक ही हफ्ते में यह दूसरी बार हड़ताल होगी। उधर देश की आठ प्रमुख श्रमिक संगठनों ने सरकार की कतिपय श्रमिक विरोधी तथा नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ कल हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल देशव्यापी होगी। एटक के अलावा सीटू ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। इसी तरह केंद्र एवं राज्य सरकारों के 40 विभिन्न कर्मचारी संगठन भी इसमें शामिल होंगे।

Monday, August 18, 2008

एक तानाशाह का अंत


इतिहास गवाह रहा है कि दुनिया के तानाशाहों और ताकतवर शासकों का अंत हमेशा बुरा हुआ है। उन्हें या तो महाभियोगों का सामना करना पड़ा है या फिर इस्तीफा देना पड़ा है। कुछ को तो फांसी दे दी गई या फिर उनकी हत्या कर दी गई। पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से पहले ही इस्तीफा देकर इतिहास को दोहराया है। मुशर्रफ से पहले हिटलर, मुसोलिनी से लेकर स्टालिन तक को इन्हीं रास्तों से गुजरना पड़ा है। हिटलर ने आत्महत्या कर ली जबकि स्टालिन को उनकी पार्टी ने उनके पद से हटा दिया। 19वीं सदी में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के बाद राष्ट्रपति बने एंड्रयू जानसन को भी 1868 में महाभियोग का सामना करना पड़ा था। 1867 में अमेरिकी कांग्रेस ने कार्यालय अवधि कानून बनाया जिसके तहत राष्ट्रपति सीनेट की अनुमति के बगैर किसी अधिकारी को बर्खास्त नहीं कर सकता था, लेकिन राष्ट्रपति जानसन ने अपने सेक्रेटरी वाफ कर एडविन एम स्टैंटन को बर्खास्त कर दिया। इसलिए उन्हें इस कानून के उल्लंघन के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ा, लेकिन एक वोट की कमी से महाभियोग पारित नहीं हो पाया और 26 मई 1868 को जानसन इस आरोप से बरी हो गए। सात अक्टूबर 1998 को प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया था। 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट कर देश की बागडोर संभाली और 2001 में खुद को पांच साल के लिए देश का सैनिक राष्ट्रपति घोषित कर दिया। 2004 में सेनाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रपति बने रहे। आज पूरे पाक में खुशी का नजारा दिखाई दे रहा है। एक तानाशाह का अंत किसे अच्छा नहीं लगता है। वह सेना के बल पर देश पर हुकूमत करता रहा। लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर रख दी थी। तानाशाह शासकों का अंत हमेशा बुरा ही हुआ है। इसका गवाह न सिर्फ पाक है बल्कि अमेरिका समेत अन्य देश हैं। अब प्रश्न उठता है कि क्या गद्दी से हटकर मुशर्रफ देश में सुरक्षित रह पाएंगे। हो सकता है कि वह देश ही छोड़ दें। यदि देश छोड़ भी देते हैं तो कब तक उस देश में सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि उनको तबाह करने वाले साए की तरह उनके पीछ पड़ेंगे और उनका मटियामेट करके ही मानेंगे। हो सकता मुशर्रफ को भी इसका आभास हो।

Sunday, August 17, 2008

प्रचंड को कांटों भरा ताज


तकरीबन एक दशक तक माओवादी हिंसा से जूझते रहे नेपाल की गिनती दुनिया के गरीब देशों में से है जहां ईधन की किल्लत और तेल तथा अनाजों की बेतहाशा मंहगायी सबसे बड़ी समस्या है। माओवादी नेता पुष्प कमल दहल प्रचंड के कल नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही नेपाल में सरकार बनाने को लेकर जारी गतिरोध तो खत्म हो जाएगा लेकिन बतौर प्रधानमंत्री उनके समक्ष कई बड़ी चुनौतियां होंगी। प्रचंड के शपथ लेने के साथ ही नये मंत्रिमंडल का गठन भी किया जाएगा लेकिन यह रास्ता सहज नहीं दीखता। अपै्रल में हुए संविधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने से चूकने के बावजूद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरे माओवादियों ने लोगों से वायदा किया था कि वह नेपाल को एक नया रूप देगें। देश से राजशाही का अंत कर लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करने का कदम उठाकर उन्होंने पहली कामयाबी तो हासिल कर ली लेकिन जनता से किए गए कयी वायदे अभी पूरे किए जाने हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो माओवादियों को नेपाल में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार और खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने की चुनौती से निबटना है। जबतक यह पूरी नहीं होतीं देश में स्थायी शांति संभव नहीं होगी। सरकार के सामने कई समस्याएं है, मसलन अगले दो वर्षो में नया संविधान तैयार करना है। माओवादियों ने देश के एकात्मक शासन व्यवस्था को संघीय रूप देने का वायदा किया है। पर इस रास्ते में देश के दक्षिणी मैदानी इलाकों में सक्रिय मधेसी समुदाय सबसे बडी मुश्किल है जो अपने लिए स्वायत्ता राज्य की मांग कर रहा है हालांकि माओवादियों कहा है कि सरकार में मधेसियों को मुख्य घटक के रूप में शामिल किया जाएगा।

Saturday, August 16, 2008

संपन्न हुई अमरनाथ यात्रा


भूमि हस्तांतरण विवाद के कारण सुलगते जम्मू-कश्मीर के बीच आखिरकार छड़ी मुबारक आज सुबह 3,880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा पहुंच गई और इसी के साथ ही दो माह तक चलने वाली सालाना अमरनाथ यात्रा संपन्न हो गई। एक मुसलमान ने श्री अमरनाथ गुफा की खोज आज से 160 साल पहले की थी। उसके बाद से आज तक वहां दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इतनी कभी नहीं रही जितनी इस साल रही। इस साल रिकार्ड साढ़े पांच लाख लोगों ने श्री अमरनाथ जी के शिवलिंग के दर्शन किये। पंजतरणी में रात्रि विश्राम के बाद छड़ी मुबारक ले कर इसके संरक्षक महंत दीपेन्द गिरि सुबह करीब नौ बजे पवित्र गुफा पहुंचे। पंजतरणी अमरनाथ गुफा के मार्ग पर पड़ने वाला तीसरा एवं अंतिम विश्राम केंद्र है। 300 क्यूबिक मीटर क्षेत्र में फैली गुफा के मंदिर में 250 से अधिक साधुओं की मौजूदगी में छड़ी मुबारक की पूजा की गई। इस वर्ष करीब 5.50 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र अमरनाथ गुफा में पूजा की। यह संख्या अब तक की सर्वाधिक संख्या है और यह एक रिकार्ड है। इससे पहले 2004 में चार लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा में पूजा की थी। इस वर्ष यात्रा के दौरान 68 व्यक्तियों की मौत हुई जिनमें से ज्यादातर के कारण प्राकृतिक थे। मृतकों में यात्रा मार्ग पर तैनात सीमा सुरक्षा बल का एक जवान और एक पुलिसकर्मी एक कुली और एक दुकानदार भी शामिल हैं। श्रद्धालुओं की अधिक संख्या के कारण प्रशासन ने इस वर्ष यह यात्रा निर्धारित समय से एक दिन पहले 17 जून से आरंभ कर दी थी।