Thursday, September 24, 2009

चंद्रयान ने खोजा चांद पर पानी

भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी की मौजूदगी के प्रमाण खोज निकाले हैं। चंद्रयान-1 के साथ भेजे गए नासा के उपकरण 'मून मिनरलोजी मैपर' ने परावर्तित प्रकाश की तरंगदै‌र्ध्य का पता लगाया जो ऊपरी मिट्टी की पतली परत पर मौजूद सामग्री में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक संबंध का संकेत देता है। चंद्रयान-1 द्वारा जुटाए गए विवरण का विश्लेषण ने चंद्रमा पर पानी के अस्तित्व की पुष्टि कर दी है। इस खोज ने चार दशक से चले आ रहे इन कयासों पर विराम लगा दिया है कि चंद्रमा पर पानी है या नहीं। यह दावा उन्होंने अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा स्मृति के रूप में धरती पर लाए गए चंद्र चट्टानों के नमूनों के अध्ययन के बाद किया था, लेकिन उन्हें अपनी इस खोज पर संदेह भी था क्योंकि जिन बक्सों में चंद्र चट्टानों के अंश लाए गए, उनमें रिसाव हो गया था। इस कारण यह नमूने वातावरण की वायु के संपर्क में आकर प्रदूषित हो गए थे।वैज्ञानिकों का मानना है कि नाभिकीय विखंडन के परिणामस्वरूप चंद्रमा पर चट्टानों और मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन की प्रोटोन्स के रूप में सूर्य द्वारा उत्सर्जित हाइड्रोजन के साथ हुई अंत:क्रिया से पानी बना होगा। जैसे ही ए प्रोटोन चंद्रमा से टकराते हैं, वे ऑक्सीजन को मृदा तत्वों से अलग कर देते हैं। जहां स्वतंत्र ऑक्सीजन और हाइड्रोजन एक साथ होते हैं, वहां इस बात का पता लगाने के अधिक अवसर होते हैं कि वहां पानी बनेगा।उपकरण ने पानी के तत्वों की पहचान के लिए इस बात का विश्लेषण किया कि चंद्रमा की सतह पर सूर्य का प्रकाश किस तरह परावर्तित होता है जिसमें वैज्ञानिकों ने पानी जैसे रासायनिक संबंधों वाले तत्वों को पाया।वैज्ञानिकों ने विभिन्न खनिजों की विभिन्न तरंदैध्र्यो में परावर्तित प्रकाश का अध्ययन किया और इन अंतरों का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि ऊपरी मिट्टी की पतली परत में क्या मौजूद है। टीम का मानना है कि उनकी खोज का खास महत्व है, क्योंकि चंद्रमा पर जाने की मानव की इच्छा लगातार बनी हुई है। भारत के पहले मून मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी ढूंढ़ लिया है। चंद्रयान अपने साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मून मैपर लेकर गया था। मून मैपर को चांद की सतह पर पानी के सबूत मिले हैं। चांद की सतह पर पानी झील या तलाब के रूप में नहीं है बल्कि चट्टान और धूलकणों में भाप के रूप में फंसा हुआ है। जाहिर है पानी की मात्रा काफी कम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद धरती के किसी भी मरुस्थल से ज्यादा शुष्क है लेकिन इसकी मिट्टी में मौजूद नमी से पानी निकाला जा सकता है। इससे पहले चांद के पास उन गड्ढों में बर्फ पाई गई थी, जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती हैं। चंद्रयान के जरिए चांद पर पानी के सुराग मिलने को भारत के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। चंद्रयान ने इसरो से संपर्क टूटने से पहले ही चांद पर पानी की तस्वीरें भेजी थीं। चांद पर पानी के बाद अब वहां जिंदगी होने की संभावना बढ़ गई है। इसरो प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान इसरो के लिए 100 फीसदी सफल रहा है। इसरो चंद्रयान द्वारा भेजे गए आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है। अब हम चंद्रयान 2 मिशन के उपर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

Sunday, September 20, 2009

चैम्पियन्स ट्राफी में भारत के आड़े आ सकती है अनुभव की कमी


दक्षिण अफ्रीका में 2007 ट्वेंटी20 विश्व कप जीतने के बाद इसी देश में एक बार फिर चैम्पियन्स ट्राफी एकदिवसीय टूर्नामेंट जीतने की सपना देखने वाली महेंद्र सिंह धोनी की टीम को सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और हरभजन सिंह की अनुभवी तिकड़ी से काफी उम्मीद होगी क्योंकि उसके कई खिलाडि़यों को इस अफ्रीकी देश में एकदिवसीय और टेस्ट मैच खेलने का अनुभव नहीं है। भारत को इसके अलावा चोटिल तेज गेंदबाज जहीर खान की कमी खल सकती है जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका की तेज गेंदबाजी की अनुकूल पिचों पर अपनी आग उगलती गेंदों के दम पर 17 मैचों में 20.35 की बेहतरीन औसत के साथ 31 विकेट चटकाए हैं। तेंदुलकर, द्रविड़ और हरभजन ने हाल में श्रीलंका में भारत को काम्पैक कप त्रिकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट जिताने में अहम भूमिका निभाई थी और टीम को उम्मीद होगी कि यह अपार अनुभवी जोड़ी एक बार फिर सभी आशाओं पर खरी उतरेगी। काम्पैक कप के तीन मैचों में एक शतक की मदद से 70.33 की औसत से सर्वाधिक 211 रन बनाने वाले मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर भारतीय टीम की ओर से सर्वाधिक 36 मैच खेले हैं और 40.40 की औसत से चार शतक और छह अर्धशतक की मदद से 1414 रन बनाए हैं।चोटिल सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग की गैरमौजूदगी में भारत को अच्छी शुरूआत दिलाने का दारोमदार एक बार फिर उन्हीं के कंधे पर होगा। सहवाग दक्षिण अफ्रीका में संपन्न इंडियन प्रीमियर लीग टू के दौरान दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से खेलते हुए चोटिल हो गए थे और इंग्लैंड में टी20 विश्व कप तथा श्रीलंका में त्रिकोणीय श्रृंखला में नहीं खेल पाए थे। तेंदुलकर के अलावा द्रविड़ ने दक्षिण अफ्रीका की सरजमीं पर 27 मैच में 44.73 की बेहतरीन औसत से 850 रन बनाए हैं जबकि हरभजन ने 18 मैचों में 33.57 की औसत से 19 विकेट चटकाए हैं। भारतीय शीर्ष क्रम के अन्य बल्लेबाजों में युवराज सिंह दक्षिण अफ्रीका में रनों के जूझते रहे हैं और 17 मैचों में 18 रन प्रति पारी की मामूली औसत से मात्र 308 रन बना पाए हैं जबकि कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, सुरेश रैना को भी यहां अधिक खेलने का अनुभव नहीं है। धोनी ने दक्षिण अफ्रीका में जहां चार एकदिवसीय मैचा खेले हैं वहीं रैना ने सिर्फ एक मैच खेला जिसमें उन्होंने चार रन बनाए। दूसरी तरफ सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर, आक्रामक बल्लेबाज यूसुफ पठान, तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा और आरपी सिंह ने दक्षिण अफ्रीकी धरती पर कभी कोई एकदिवसीय या टेस्ट मैच नहीं खेला है जो भारत के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

बढ़ता वंशवाद

विधानसभा चुनाव का सामना कर रहा महाराष्ट्र में वंशवाद कोई अपशब्द नहीं है। यहां राष्ट्रपति के पु़त्र सहित कई नेताओं के रिश्तेदार 13 अक्तूबर को होने वाले मतदान के लिए टिकट पाने की आकांक्षा रखते हैं। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पुत्र राजेंद्र उर्फ राव साहेब शेखावत अमरावती से कांग्रेस का टिकट चाह रहे हैं। इस सीट से अभी कांग्रेस के ही राज्य मंत्री सुनील देशमुख विधायक हैं। वह दोबारा टिकट पाने के लिए संघर्षरत हैं। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और राकांपा नेता छगन भुजबल के पुत्र पंकज भुजबल नासिक स्थित नंदगांव से पार्टी का नामांकन चाह रहे हैं। भुजबल के रिश्तेदार समीर नासिक से राकांपा सांसद हैं, जबकि उप मुख्यमंत्री खुद जिले की एओला सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन मुंबई की घाटकोपर पश्चिम सीट से भाजपा प्रत्याशी हैं।शिवसेना के कार्यकारी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन उन्हें पार्टी का एक धड़ा शिवसेना-भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखता है। उद्धव शिवेसना सुप्रीमो बाल ठाकरे के पुत्र हैं। उनके भतीजे राज ठाकरे ने तब अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बना ली थी जब बाल ठाकरे ने नेतृत्व संभालने के लिए अपने पुत्र को तरजीह दी। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे की अपने भतीजे धनंजय को मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड़ जिले की रेनापुर सीट से चुनावी मैदान में उतारने की योजना है। कांग्रेस की चुनाव प्रबंध समिति के अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री विलाराव देशमुख अपने पुत्र अमित को लातूर शहर से पार्टी उम्मीदवार बनाने की कोशिश कर रहे हैं। देशमुख ने कई साल इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। इसमें वह दौर शामिल था जब वह आठ वर्ष महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे अपनी पुत्री प्रणेती को सोलापुर की अपनी मजबूत पकड़ वाली सीट से टिकट दिलाना चाहते हैं।कांगे्रेस मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के नेतृत्व में चुनाव लड़ने जा रही है। वह भी दिवंगत नेता एस बी. चव्हाण के पुत्र हैं जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजीत पवार कई सालों तक बारामती में अपने चाचा के गढ़ का प्रतिनिधित्व करने के बाद मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं। राकांपा प्रमुख की पुत्री सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करती हैं। राज्य में हाल ही में गठित तीसरे मोर्चे के नेताओं में से एक राजेंद्र गवई केरल के राज्यपाल आरएस गवई के पुत्र हैं और आरपीआई के एक धड़े के अध्यक्ष रह चुके हैं। महाराष्ट्र में मंत्री नारायण राणे और विजय सिंह मोहिते पाटिल के पुत्र संसद सदस्य बन चुके हैं। राणे के पुत्र नीलेश लोकसभा सांसद और मोहिते पाटिल के पुत्र रणजीत राज्यसभा सांसद हैं। केंद्रीय मंत्री प्रतीक पाटिल दिवंगत मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पौत्र और दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाश पाटिल के पुत्र हैं।

Thursday, September 17, 2009

किसान निर्भर हैं मानसून पर


देश को आजाद हुए 62 साल हो चुके हैं। इस दौरान उसने सूचना, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक उत्पादन जैसे कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। लेकिन पानी के प्रबंधन के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किए गए। यही कारण है कि हमारे किसान आज भी मानसून पर निर्भर हैं। भारत इस समस्या का हल नहीं खोज सका। पानी नहीं बरसता तो हाहाकार मच जाता है, और बरसे तो भी। यह जल के कुप्रबंधन का ही नतीजा है कि हर दो तीन वर्षो में मानसून सरकार के छक्के छुड़ा देता है। लेकिन किसी सरकार ने इससे सबक लेने की जरूरत नहीं समझी। देश में करीब चार करोड़ 50 लाख किसान ऐसे हैं जो मानसून पर निर्भर हैं। इस साल जून-सितंबर के मानसून सीजन में इतनी कम बारिश हुई, जितनी पिछले कई दशक से नहीं हुई। देश के करीब 604 जिले यानी करीब आधा भारत सूखे से प्रभावित है। देश के सबसे गरीब प्रदेशों में एक बिहार ने 38 जिलों में 26 में सूखा को घोषित किया है। एक करोड़ 80 लाख की आबादी वाले उत्तर प्रदेश ने धान की फसल के अनुमान में 60 फीसदी कटौती की है। रबी की फसल के भी खराब रहने के अनुमान है। इसका कारण ये है कि ज्यादातर पानी के स्रोतों में कम पानी है। मानूसन सत्र के अंत में हुई बारिश से कुछ राहत जरूर मिलेगी। लेकिन इससे किसानों कोई विशेष फायदा नहीं होगा। किसानों के आत्महत्या करने की खबरें फिर आने लगी हैं। पिछले महीने आंध्र प्रदेश में 20 किसानों ने आत्महत्या कर ली। यह संख्या बढ़ भी सकती है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 18 फीसदी है। 1990 में यह 30 फीसदी था। इतना महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बावजूद देश का दुर्भाग्य देखिए कि यह महज 15 दिन की बढि़या बारिश पर निर्भर करता है। लेकिन देश में कम बारिश होना जितनी बड़ी समस्या है उससे कहीं अधिक बड़ी समस्या है ज्यादा बारिश हो जाना। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जुलाई तक देश के विभिन्न इलाकों में आई बाढ़ में करीब 992 लोगों की मौत हो चुकी है। हजारों बेघर हुए हैं। सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हुई है। बाढ़ का प्रभाव सबसे ज्यादा बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम और उत्तर प्रदेश पर पड़ा है। पश्चिम बंगाल में इस महीने की शुरुआत से अब तक 21 हजार लोग अपना घर छोड़ चुके हैं। यहां के पांच हजार 103 गांव और 10 हजार एकड़ कृषि भूमि इससे बर्बाद हो गई। बिहार में बाढ़ ने तीन लाख से ज्यादा लोगों को प्रभावित किया है। विडंबना देखिए कि गया और नालंदा जैसे क्षेत्र जो जून जुलाई तक गंभीर सूखा महसूस कर रहे थे, वहां बाढ़ ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया। देश की आबादी 2050 तक करीब 17 अरब पहुंचने के आसार हैं। पानी के कुप्रबंधन की समस्या से अगर भारत जल्द न निपटा तो भविष्य में स्थितियां विकराल हो सकती हैं। पानी के प्रबंधन में भारत की जनसंख्या और गरीबी बड़ी चुनौतियां हैं। पानी को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के बीच विवाद इस समस्या को और गहरा सकती है। सरकार को निश्चित ही इस दिशा में गंभीरता पूर्वक कदम उठाने होंगे।

Monday, September 14, 2009

बीजेपी ने दिया जोर का झटका

तीन राज्यों के विधानसभा उपचुनावों में बीजेपी अपनी सीटें बचाने में तो सफल रही ही गुजरात और मध्य प्रदेश में कांग्रेस से सीटें छीनकर उसे झटका भी दे दिया। उत्तराखंड में विकासनगर सीट फिर से हासिल करने से विधानसभा में बीजेपी को वहां अकेले ही बहुमत मिल गया है। 70 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के अब 36 विधायक हो गए हैं। गुजरात में 7 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव से एक बार फिर यह बात साबित हो गई है कि नरेद्र मोदी का जादू बरकरार है। यहां सत्ताधारी बीजेपी की झोली में 5 सीट गए हैं और कांग्रेस को मात्र दो जगह-धोराजी व कोडिनार में सफलता मिली है। लोकसभा और जूनागढ़ नगरपालिका चुनाव में बीजेपी को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने पर बीजेपी ने उपचुनाव के लिए हाई प्रोफाइल प्रचार अभियान नहीं चलाया था। इसके बावजूद तीन सीटें -देहगाम, जसदान और चोटिला कांग्रेस से छीन ली है। सामी विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी भावसिंह राठौड़ ने जीत दर्ज की है। वह विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर इसी सीट से चुनाव जीते थे, पर लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। उत्तरी गुजरात की देहगाम, दांता, सामी और सौराष्ट्र की कोडिनार, धोराजी, जसदान व चोटिला विधानसभा सीटों पर 10 सितंबर को उपचुनाव कराए गए हैं। इन सात सीटों में से कांग्रेस के पास छह सीटें थीं, जबकि कोडिनार सीट बीजेपी के पास थी। कांग्रेस ने बीजेपी का गढ़ मानी जने वाली सौराष्ट्र की कोडिनार विधानसभा सीट उससे छीन ली है और धोराजी सीट पर पार्टी ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। धोराजी में कांग्रेस प्रत्याशी जयेश रदादिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जयसुख थेसिया को 15,988 मतों के अंतर से हराया। जसदान सीट बीजेपी ने कांग्रेस के हाथों से छीन ली है। इस सीट पर बीजेपी के भरत भोगरा ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की भावना बावलिया को 14,774 मतों के अंतर से हराया। कांग्रेस को अपने गढ़ जसदान में जोर का झटका लगा है। आजादी के बाद इस सीट से कभी न हारने वाली कांग्रेस के हाथों से इस बार यह सीट निकल गई। इस सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी की विजय हुई है। सामी में बीजेपी के भाव सिंह राठौड़ को जीत मिली है। वह पिछली बार यहां काग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीते थे लेकिन इसबार उपचुनाव में पाला बदलकर बीजेपी प्रत्याशी बन गए। मध्य प्रदेश में दो विधानसभा सीटों में से एक पर बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है। बीजेपी ने तेंदूखेड़ा विधानसभा उपचुनाव जीतकर यह सीट कांगेस से छीन ली है। यहां बीजेपी के भैयाराम पटेल ने कांगेस के विश्वनाथ सिंह पटेल को 13 हजार से अधिक मतों से हराया। कांगेस ने गोहद विधानसभा उपचुनाव में विजय प्राप्त कर अपनी सीट बरकरार रखी है। यहां कांगेस के रणवीर सिंह जाटव ने बीजेपी के सोबरन जाटव को 22571 मतों से पराजित किया। निर्वाचन कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, रणवीर सिंह को 55442 तथा सोबरन जाटव को 32871 मत मिले। उत्तराखंड के देहरादून जिले के विकासनगर विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने जीत दर्ज की। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के नवप्रभात को 596 वोटों से हराया। राज्य निर्वाचन आयुक्त राधा रतूड़ी ने बताया कि कुलदीप कुमार को 24,934 वोट मिले। जबकि नवप्रभात के खाते में 24,338 वोट गए। इस सीट पर पिछले आम चुनाव में बीजेपी के टिकट पर विजयी रहे और इस बार निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ने वाले मुन्ना सिंह चौहान तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें सिर्फ 14,744 वोट मिले।

Sunday, September 13, 2009

तीसरे नंबर पर खिसका एक दिन का बादशाह

न्यूजीलैंड को त्रिकोणीय श्रृंखला के पहले मैच में पराजित करने के बाद पहली बार आईसीसी एकदिवसीय रैंकिंग में शीर्ष पर काबिज होने वाले भारत ने 24 घंटे के अंदर श्रीलंका के हाथों करारी हार से न सिर्फ अपनी बादशाहत गंवाई बल्कि वह आस्ट्रेलिया की इंग्लैंड पर लगातार चौथी जीत से तीसरे नंबर पर खिसक गया। भारत शुक्रवार को न्यूजीलैंड पर छह विकेट की जीत दर्ज करके एकदिवसीय रैकिंग में नंबर एक पर पहुंचा था लेकिन श्रीलंका के हाथों 139 रन की करारी हार से वह फिर से दक्षिण अफ्रीका के बाद दूसरे नंबर पर खिसक गया। रैंकिंग में उतार चढ़ाव का यह रोचक खेल यहीं पर समाप्त नहीं हुआ। भारत अभी एक पायदान नीचे खिसका ही था कि कुछ देर बाद ला‌र्ड्स में आस्ट्रेलिया ने चौथे एकदिवसीय मैच में इंग्लैंड को सात विकेट से हरा दिया। आस्ट्रेलियाई टीम ने इससे सात मैचों की श्रृंखला में 4-0 की अजेय बढ़त हासिल करने के साथ ही अपने रेटिंग अंकों की संख्या 125 पर पहुंचा दी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की इसके बाद जारी ताजा रैंकिंग तालिका के अनुसार भारत और आस्ट्रेलिया दोनों के 125 रेटिंग अंक हैं लेकिन दशमलव में गणना करने पर भारतीय टीम तीसरे नंबर पर खिसक गई। दक्षिण अफ्रीका के अब भी 127 अंक हैं और वह फिर से शीर्ष पर काबिज हो गया है। पाकिस्तान-109 चौथे, श्रीलंका-106 पांचवें, न्यूजीलैंड-105 छठे, इंग्लैंड-104 सातवें और वेस्टइंडीज-78 आठवें नंबर पर है।

Thursday, September 3, 2009

गणपति बप्पा जाते अपने गांव


'गणपति बप्पा मोरया' के नारे के साथ मुंबई के विभिन्न जगहों पर भगवान गणेश की प्रतिमा विसर्जित कर लाखों लोगों ने उन्हें विदाई दी। सड़कों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा और गिरगाम चौपाटी, जुहू बीच और शिवाजी पार्क जैसी जगहों पर भगवान गणेश के अंतिम दर्शन के लिए लोग इकट्ठा हुए। दस दिवसीय लंबे समारोह में लाखों लोग 'लालबाग के राजा' के दर्शन के लिए उमड़े। उन्हें कल सुबह गिरगाम चौपाटी में विसर्जित किया जाएगा जबकि आज दोपहर मध्य मुंबई के लालबाग से जुलूस निकला। महानगर के 105 जगहों पर भगवान गणेश की चार हजार से ज्यादा बड़ी मूर्तियां एवं करीब 35 हजार छोटी मूर्तियां विसर्जित किए जाने की उम्मीद है। महत्वपूर्ण जगहों पर हथियारबंद सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई है और वह विसर्जन प्रक्रिया के दौरान लोगों की भीड़ पर नजर रख रहे हैं। नौसेना और तटरक्षक बल ने समुद्र तटों पर आवश्यक सहायता मुहैया कराई ताकि समारोह शांतिपूर्वक संपन्न हो जाएं।
ब्रिटेन के लीसेस्टर स्थित श्री शक्ति मंदिर में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया गया। मंदिर में आठ फुट ऊंची गणेश प्रतिमा के दर्शन करने के लिए 18,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। 1994 से यहां गणेशोत्सव मनाया जाता है। ब्रिटेन के अन्य हिस्सों में भी गणेशोत्सव मनाया गया। ब्रिटेन में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं।

वंचितों का मर्म समझते थे, हार को भी हरा देते थे


पेशे से डाक्टर रहे सच्चे और करिश्माई नेता एदुगुरी संदिंती राजशेखर रेड्डी लोगों की नब्ज पकड़ कर उनका मर्म ही नहीं मस्तिष्क तक समझने में माहिर थे और उनकी इसी विशेषता ने लाखों किसानों और मजदूरों को उनका मुरीद और आंध्र प्रदेश के सर्वोच्च पद को उनके लिए सहज बना दिया। गांव गरीब और किसान के प्रति उनका प्रेम ही 'हार को भी हराने वाले' वाईएसआर के लिए जीवन की बाजी हारने का सबब बना। अपनी अंतिम यात्रा से ठीक पहले उन्होंने मीडिया से कहा था कि मैं सूखा राहत कार्यक्रम का जायजा लेने के लिए गांवों का औचक निरीक्षण करने की योजना बना रहा हूं। आंध्र प्रदेश के कडप्पा संसदीय क्षेत्र से चार बार लोकसभा और पुलिवेंदुला से पांच बार आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए राजशेखर रेड्डी 20 मई 2004 को राज्य के मुख्यमंत्री बने और पांच वर्ष के पहले कार्यकाल में किसानों और गरीबों के लिए शुरू की गई उनकी विकास योजनाओं ने राज्य की तस्वीर बदलने का काम किया। इसी का नतीजा था कि वह विकास की पतवार थामे एक बार फिर जनता के सामने पहुंचे और चुनावी वैतरणी पार कर गए। उन्हें इसी वर्ष 20 मई को एक बार फिर राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया। सुलझे हुए और इन्सानी जज्बात को समझने वाले राजशेखर रेड्डी के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का रास्ता नेता कभी मुश्किल नहीं रहा। उन्होंने सही समय पर सही फैसले किए और कदम दर कदम सत्ता के शीर्ष की ओर बढ़ते रहे।
वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर वाईएसआर ने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में समाज के सबसे निचले वर्ग तक अपनी पैठ बनाने के लिए 2003 में 1400 किलोमीटर की पदयात्रा की और उनके सीधे सादे व्यक्तित्व ने लोगों के दिलों में घर कर लिया। अगले ही वर्ष उनके नेतृत्व में कांग्रेस विधानसभा चुनाव लड़कर सत्ता तक जा पहुंची। आंध्र प्रदेश के पुलिवेंदुला में वीएस राजा रेड्डी और जयम्मा के यहां आठ जुलाई 1949 को जन्मे राजशेखर को समाजसेवा का जज्बा विरासत में मिला और उन्होंने अपने छात्र जीवन से ही राजनीति के गुर सीख लिए। एमआर मेडिकल कालेज में पढ़ाई के दौरान वह छात्र संघ के नेता बने और एसवी मेडिकल कालेज तिरूपति में हाउस सर्जन एसोसिएशन के अध्यक्ष बने। राजशेखर रेड्डी की धवल छवि, गहरी समझ, प्रशासनिक कौशल और उससे भी अधिक हर काम को पूरे समर्पण से करने की उनकी ईमानदारी ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का रास्ता दिखाया। एमबीबीएस करने के बाद वह जम्मालामदुगु मिशन अस्पताल में कुछ समय के लिए मेडिकल आफिसर के पद पर रहे। 1973 में उन्होंने अपने पिता के नाम पर पुलिवेंदुला में 70 बिस्तर का एक अस्पताल बनवाया जो आज भी चल रहा है। वाईएसआर को क्षेत्र के लोगों के इलाज के दौरान ही यह समझ में आने लगा था कि दरअसल पूरे समाज को ही इलाज और देखभाल की जरूरत है। इसीलिए उन्होंने 1978 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा। उनकी सेवा भावना और गरीबों की समस्या को दूर करने की ललक का ही नतीजा है कि उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान जितने भी चुनाव लड़े, उन्हें किसी में भी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा। उनके प्रशंसक ही नहीं बल्कि उनके विरोधी भी कहा करते थे कि वाईएसआर हार को भी हरा देते हैं।राजशेखर 1980 से 1983 के दौरान मंत्री रहे और ग्रामीण विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे मंत्रालय संभाले। इसके बाद उनका राजनीतिक कद और बढ़ गया और उन्हें 1983 में आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। वह 1985 तक इस पद पर रहे। 1998 से 2000 के बीच भी उन्होंने पार्टी प्रदेशाध्यक्ष का पद संभाला। 1999 से 2004 के बीच वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे हर तरह की बनावट और लाग लपेट से दूर वाईएसआर के व्यक्तित्व में दूर से ही भारतीयता का ओज दिखाई देता था। अपने दिल की जबान बोलने वाले राजशेखर रेड्डी हमेशा हैंडलूम की धोती और कुर्ता पहनते थे। प्रशासनिक कामकाज और राजकाज के कामों में माहिर राजशेखर रेड्डी सामाजिक और कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन में किसी तरह की ढील बर्दाश्त नहीं करते थे और सीधी सादी जबान बोलकर सीधी सादी जनता के सीधे दिल तक पहुंच जाते थे।

राजशेखर रेड्डी एक करिश्माई राजनेता थे


चमत्कार की उम्मीदें, उम्मीदें ही रह गईं और बुरी आशकाएं हकीकत बन गईं। हेलिकॉप्टर हादसे में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई। एस. राजशेखर रेड्डी की मौत हो गई। उनके साथ हेलिकॉप्टर में हैदराबाद से चित्तूर के लिए रवाना हुए चार अन्य लोगों की भी लाशें मिल गई हैं। इस बीच आंध्र प्रदेश के मौजूदा वित्त मंत्री के. रोसैया को राज्य का कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया है। हादसे में मुख्यमंत्री के साथ जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें प्रधान सचिव सुब्रमण्यम , मुख्य सुरक्षा अधिकारी ए . एस . सी . वेसले , पायलट कैप्टन एस . के . भाटिया और सह-पायलट कैप्टन एम . एस . रेड्डी शामिल हैं। रेड्डी का शव हैदराबाद आज ही लाया जाएगा और पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। वाईएसआर रेड्डी का अंतिम संस्कार कडप्पा जिले में मौजूद उनके पैतृक गांव पुलिवेंदुला में शुक्रवार को किया जाएगा। बुधवार सुबह साढ़े नौ बजे से ही मुख्यमंत्री का हेलिकॉप्टर लापता था और उसके बाद भारत में अब तक का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया गया। करीब 24 घंटे बाद गुरुवार सुबह वायु सेना की टीम को कुर्नूल से करीब 75 किलोमीटर पूरब में पहाड़ी पर हेलिकॉप्टर का मलबा मिला और थोड़ी ही देर में पांचों शव भी मिल गए।

जब आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू आईटी के रथ पर सवार होकर प्रदेश में विकास की बयार बहाने का दावा कर रहे थे , डॉक्टर येदुगुड़ी सन्दिंती राजशेखर रेड्डी उर्फ वाईएसआर ने गांव , खेत और किसानों की हिमायत की। समग्र विकास की उनकी इस अवधारणा का ही नतीजा था कि सन् 2004 में आंध्र प्रदेश पार्टी सत्ता में आई और वह मुख्यमंत्री बने। पांच साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने विकास के अपने इस दर्शन को कभी नहीं छोड़ा और समाज के दबे कुचले व उपेक्षित तबके की सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के जरिए राजनीति की दुनिया में खुद के लिए एक असाधारण स्थान बनाया।

डॉक्टर रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1949 को पिछड़ा माने जाने वाले रायलसीमा क्षेत्र के पुलिवेंदुला में हुआ था। वाईएस राजा रेड्डी के पुत्र डॉक्टर रेड्डी ने अपने स्टूडेंट लाइफ के दिनों से ही राजनीति में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी। जब वह एम । आर . मेडिकल कॉलेज , गुलमर्गा , कर्नाटक में पढ़ाई कर रहे थे तो स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष बने। एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए जम्मलमडुगु मिशन हॉस्पिटल में मेडिकल ऑफिसर के रूप में काम किया।

1973 में उन्होंने अपने पिता वाईएस राजा रेड्डी के नाम पर पुलिवेंदुला में 70 बेड वाला एक चैरिटी हॉस्पिटल भी खोला। उनके परिवार ने पुलिवेंदुला में एक पॉलिटेक्निक और एक डिग्री कॉलेज बनाया , जिन्हें बाद में प्रतिष्ठित लोयोला ग्रुप को सौंप दिया गया। डॉक्टर रेड्डी में एक बिजनेस मैन के गुण भी थे और उनकी उद्यमी कुशलताओं के साथ - साथ उनके भीतर मौजूद पारदर्शिता ने उन्हें बिजनेस की दुनिया में भी स्थापित किया। डॉक्टर रेड्डी को जनसेवा का जज्बा विरासत में मिला और उन्होंने इसी जज्बे के तहत राजनीति में 1978 में प्रवेश किया। वह चार बार राज्य विधान सभा के सदस्य रहे और चार बार ही लोकसभा के लिए भु चुने गए। डॉक्टर रेड्डी ने राज्य विधान सभा या संसद के जितने भी चुनाव लड़े , उन सभी में उन्होंने जीत हासिल की। अपने 25 वर्ष के राजनीतिक करियर में डॉक्टर रेड्डी ने अनेक भूमिकाओं में जनसेवा की है। वह 1983 से लेकर 1985 तक और फिर 1998 से लेकर 2000 तक आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष रहे। मुख्यमंत्री बनने से पहले वह कई विभागों के मंत्री भी रहे। डॉक्टर रेड्डी ने वर्ष 2003 में 1500 किलोमीटर की पदयात्रा करके आम लोगों की समस्याओं को उनकी ही भाषा में जानने - समझने की कोशिश की थी तब से वह काफी लोकप्रिय हो गए थे। उनका मानना था कि चूंकि देश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर करती है इसलिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ज्यादा प्रयास होने चाहिए।