Wednesday, July 29, 2009

राजमाता गायत्री देवी नहीं रहीं


दुनिया की दस सबसे खुबसूरत महिलाओं में एक रही जयपुर की पूर्व राजमाता गायत्री देवी का आज लम्बी बीमारी के बाद यहां के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 90 साल की थी। गायत्री देवी को पेट और आंत की बीमारी के कारण लंदन से यहां लाकर सीधे अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।गायत्री देवी पिछले तीन दिनों से घर जाने का आग्रह कर रही थीं लेकिन उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हे छुटटी नहीं दी गई और दोपहर बाद उनका निधन हो गया। गायत्री देवी जयपुर की तीसरी महारानी थी और सवाई मान सिंह (द्वितीय) की पत्नी थीं।गायत्री देवी के पिता कूचबिहार के राजा थे। गायत्री देवी वर्ष 1939 से 1970 के बीच जयपुर की तीसरी महारानी थीं। उनका विवाह महाराज सवाई मान सिंह द्वितीय से हुआ। गायत्री देवी अपने अप्रतिम सौन्दर्य के लिए जानी जाती थीं। वह एक सफल राजनीतिज्ञ भी रहीं। यही वजह थी कि वह अपने समय की फैशन आइकन मानी जाती थीं। राजघरानों के भारतीय गणराज्य में विलय के बाद गायत्री देवी राजनीति में आयीं और जयपुर से वर्ष 1962 में मतों के भारी अंतर से लोकसभा चुनाव जीता। गायत्री देवी का जन्म 23 मई 1919 को हुआ था। वह अपने जमाने में दुनिया भर में अपनी अद्वितीय सुन्दरता के लिए चर्चा में रहीं। यही कारण था कि दुनिया की खूबसूरत दस महिलाओं में गायत्री देवी शामिल थीं। पूर्व महारानी ने सुन्दरता की दौड़ में अव्वल रहने के साथ साथ राजनीति क्षेत्र में भी अपना परचम लहराया और वर्ष 1967 और 1971 में भी उन्होंने जयपुर से लोकसभा सीट पर भारी मतों से जीत अर्जित की।लंदन में जन्मी गायत्री देवी कूच बिहार के महाराज जितेन्द्र नारायण की पुत्री थीं। उनकी मां राजकुमारी इन्दिरा राजे बडौदा की राजकुमारी थीं। गायत्री की आरभिंक शिक्षा शान्तिनिकेतन में हुई। बाद में उन्होंने स्विटजरलैंड के लाजेन में अध्ययन किया। उनका राजघराना अन्य राजघरानों से कहीं अधिक समृद्धशाली था। घुड़सवारी की शौकीन रही पूर्व राजमाता का विवाह जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय के साथ हुआ। गायत्री ने 15 अक्टूबर 1949 को पुत्र जगत सिंह को जन्म दिया। महारानी गायत्री देवी को बाद में राजमाता की उपाधि दी गई। जगत सिंह का कुछ साल पहले ही निधन हो गया था। जगत सिंह जयपुर के पूर्व महाराजा भवानी सिंह के सौतेले भाई थे। गायत्री देवी की शुरू से ही लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने में रुचि रही यही कारण रहा कि गायत्री देवी ने गायत्री देवी ग‌र्ल्स पब्लिक स्कूल की शुरूआत की। इस स्कूल की गणना जयपुर के सर्वोत्तम स्कूलों में आज भी है। पूर्व राजमाता ने जयपुर की 'ब्लू पोटरी' कला को भी जमकर बढ़ावा दिया। वह समाज सेवा से भी जुड़ी रहीं।

Sunday, July 26, 2009

कारगिल के शहीदों को श्रद्धांजलि, ये मेरे वतन के लोगो जरा याद करो कुर्बानी


कारगिल युद्ध की 10वीं वर्षगांठ पर शहीदों को आज पूरा राष्ट्र नम भरी आंखों के साथ श्रद्धांजलि दे रहा है।
देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। ऐसे शहीदों को मैं शेल्यूट करता हूं, जिन्होंने राष्ट्र के रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि दी। लड़ाई की वजह थी कि वर्ष 1999 की गर्मियों में जम्मू एवं कश्मीर में कारगिल की पहाडि़यों पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा जमा लिया था।कारगिल की चोटियों को दुश्मन से मुक्त कराने के लिए दस साल पहले हुई लड़ाई में वीरगति को प्राप्त हुए सेनानियों के परिजनों के आंखों में आंसू थे, लेकिन चेहरों पर विजय का गर्व साफ साफ झलका। उनके लाडलों ने देश के लिए अपना सर्वोत्तम बलिदान दिया था। 26 जुलाई 1999 को शुरू हुई यह लड़ाई 59 दिन तक चली। लड़ाई में भारतीय सेना ने बटालिक, कारगिल और द्रास सेक्टरों में पाकिस्तानियों की कमर बुरी तरह तोड़ दी थी। 26 जुलाई 1999 को भारतीय बलों ने अपनी विजय की घोषणा की। आज राष्ट्र कारगिल फतह को विजय दिवस के रूप में मना रहा है।10 साल पहले युद्ध में सेना के 610 अधिकारियों और कर्मियों ने बलिदान दिया जिनमें वायु सेना के पांच कर्मी तथा दो नागरिक भी शामिल थे। कारगिल लड़ाई विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्रों में से एक में लड़ी गई जिसके चलते भारत के लोग इस तरह एक होकर खड़े हो गए कि ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया। उस समय उमड़े राष्ट्रभक्ति के अपार ज्वार से देश मजबूत हुआ। भारतीय सेना दुश्मन के छक्के छुड़ाने में सक्षम है। मुझे अपनी सेना पर गर्व है। लेकिन मैं इतना ही कहूंगा कि जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी,ये मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी।

Wednesday, July 22, 2009

सूर्य को ढक लिए जाने की अद्भुत घटना


गुजरात से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक के कई शहर आज सूर्योदय के कुछ समय बाद ही सूर्य ग्रहण के पूर्णता पर पहुंचते ही अंधेरे में डूब गए।पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा के आ जाने के कारण खग्रास सूर्य ग्रहण की आकाशीय घटना घटित होते ही लोग रोमांचित हो उठे। असम के डिब्रूगढ़ में इकट्ठा हुए खगोलविद और आम लोगों ने सुबह 6:31 बजे से लेकर 6:34 बजे तक इस आकाशीय नजारे का लुत्फ लिया। लेकिन बिहार के तारेगना में लोग इतने भाग्यशाली नहीं रहे क्योंकि बादलों के कारण सूर्य पूरी तरह ढका हुआ था। इस स्थान को इस सदी के सबसे लंबे सूर्य ग्रहण को देखने के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक माना गया था। यह आकाशीय नजारा सुबह 5:45 बजे शुरू हुआ और इसे देखने के लिए देश भर के अधिकांश हिस्सों के लोग सुबह सवेरे जाग गए थे। इसका समापन 7:24 बजे हुआ। दिल्ली में बादल लुका छिपी खेलते रहे लेकिन सूर्य ग्रहण को देखने के लिए हजारों लोग अनेक स्थानों पर इकट्ठा हुए थे। बताया गया था कि शहर में सूर्य का 85 प्रतिशत हिस्सा चंद्रमा ढक लेगा। राजधानी में 6:26 बजे पर हंसिए जैसी आकृति लिए सूर्य का अधिकतम 83 प्रतिशत हिस्सा ढक चुका था। गुजरात में सुबह साढ़े छह बजे चंद्रमा ने सूर्य को पूरी तरह ढक लिया और खग्रास की इस स्थिति को कुछ मिनटों के अंतराल पर विभिन्न शहरों में देखा गया। गौरतलब है कि आज का यह सूर्य ग्रहण इस सदी का सबसे लंबे समय तक देखे जाने वाला ग्रहण था और इस दौरान आसमान में चांद के सूर्य को अपने आगोश में ले लेने के कारण यह छह मिनट 39 सेकेंड तक नजरों से ओछल रहा। इससे अधिक अवधि का सूर्य ग्रहण अब अगली सदी में 13 जून 2132 को देखना संभव होगा। कई स्थानों पर पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने के लिए इकट्ठा हुए लोग मायूस थे क्योंकि आसमान में बादल छाए रहने के कारण उन्हें ब्रह्मांड का यह अद्भुत नजारा देखने को नहीं मिला। नासा ने खग्रास सूर्य ग्रहण देखने के लिए बिहार के तारेगना को देश का सर्वश्रेष्ठ स्थल करार दिया था। यहां मौजूद लोगों को भी मायूसी का सामना करना पड़ा क्योंकि बादलों ने उन्हें इस खगोलीय नजारे से वंचित कर दिया। गुजरात में बुधवार सुबह पूर्ण सूर्यग्रहण को देखने के उत्सुक वैज्ञानिकों, पर्यटकों और स्कूली बच्चों को घने बादल छा जाने की वजह से मायूस होना पड़ा।सूरत में सुबह के समय 6.25 बजे से 6.27 के बीच कुछ अंधकार महसूस किया गया लेकिन घने बादल की वजह से पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं दिखा। मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में छाए बादलों ने सदी के सबसे बडे़ सूर्यग्रहण के नजारे को देखने से लोगों को वंचित कर दिया। वहीं कुछ स्थानों पर लोगों ने बनती हुई डायमंड रिंग देखी और कुछ समय के लिए तो सुबह के वक्त रात के नजारे का एहसास भी किया गया। कोलकाता में आज सुबह आकाश में बादल छाए होने के बावजूद पूर्ण सूर्य ग्रहण का 91 फीसद नजारा देखा गया। सदी के सबसे लंबे समय तक रहने वाले खग्रास सूर्य ग्रहण को सिक्किम में आज सुबह भारी बारिश के कारण लोग नहीं देख पाए। पूर्ण सूर्यग्रहण के चलते असम का डिब्रूगढ़ सूर्याेदय के कुछ समय बाद ही एक बार फिर अंधेरे में समा गया। डिब्रूगढ़ में लोगों ने सूर्य ग्रहण का नजारा देखा। डिब्रूगढ़ में सूर्य ग्रहण छह बजकर 31 मिनट पर शुरु हुआ कि छह बजकर 34 मिनट तक रहा। शताब्दी का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण आज पांच बजकर 46 मिनट पर शुरु हुआ लेकिन घने बादलों के चलते सूर्य ग्रहण के नजारे को नहीं देखा जा सका।
इक्कीसवीं सदी के सबसे लंबे समय तक होने वाले पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान प्रयोग और अध्ययन करने के अनूठे मौके का इस्तेमाल करने के लिए वैज्ञानिकों ने कोई मौका नहीं छोड़ा। इस पूर्ण ग्रहण को वैज्ञानिकों ने जीवन में सिर्फ एक बार घटित होने वाली खगोलीय घटना करार दिया है। जैसे ही सूर्य ग्रहण की शुरूआत हुई, सभी खगोलविदों ने अपनी दूरबीनों को आसमान की ओर केन्द्रित कर दिया ताकि वे चंद्रमा द्वारा सूर्य को ढक लिए जाने की इस अद्भुत घटना के एक एक लम्हे को देख सकें। इनमें से अनेक बिहार के तरेगना में इकट्ठा थे जिसे नासा ने इस घटना को देखने का सर्वश्रेष्ठ स्थान करार दिया था जबकि अन्य मध्य प्रदेश के कटनी की पहाडि़यों पर चढ़े हुए थे। यहां तक कि वाराणसी के विश्व प्रसिद्ध घाटों पर भी उन्होंने अपने साजो सामान के साथ मोर्चा जमाया हुआ था।

Tuesday, July 21, 2009

कल रूबरू होंगे लोग: शहर के हिसाब से समय भी अलग


चांद सितारों की दुनिया में दिलचस्पी रखने वाले तमाम लोगों का इंतजार कल खत्म हो जाएगा जब भोपाल, पटना, गया, वाराणसी, सूरत, उज्जैन, इंदौर, बड़ोदरा, सिलीगुडी, दार्जिलिंग जैसे शहरों में पूर्ण सूर्यग्रहण जबकि देश के अधिकांश क्षेत्रों में आंशिक सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा। गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पूर्ण सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा जबकि शेष भारत के लोग भी आंशिक सूर्यग्रहण को देख सकेंगे। मानसून का समय होने तथा क्षितिज पर सूर्योदय के समय दृश्यता कम रहने के कारण भारत में सभी स्थानों पर सूर्यग्रहण दिखने में संदेह है। देश की विभिन्न खगोलीय संस्थाओं के ब्यौरे के अनुसार भोपाल में सूर्य ग्रहण सूर्योदय के साथ ही शुरू हो जाएगा, हालांकि पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 22 मिनट 11 सेंकेण्ड पर शुरू होकर छह बजकर 25 मिनट 23 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा। इसी प्रकार, पटना में सूर्यग्रहण सुबह पांच बजकर 29 मिनट 57 सेकेंण्ड पर शुरू होगा जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 24 मिनट 37 सेकेंण्ड पर शुरू होकर छह बजकर 28 मिनट 24 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा। वाराणसी में सूर्यग्रहण पांच बजकर 30 मिनट 03 सेकेंण्ड पर शुरू होगा हालांकि पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 24 मिनट 10 सेकेंण्ड पर शुरू होगा और छह बजकर 27 मिनट 17 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा।गया में सूर्यग्रहण सुबह पांच बजकर 29 मिनट 34 सेकेंण्ड पर शुरू होगा जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 24 मिनट 26 सेकेंण्ड पर शुरू होकर और छह बजकर 27 मिनट 41 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा। सूरत में सूर्यग्रहण की शुरूआत सूर्योदय से पूर्व होगी हालांकि लोग पूर्ण सूर्य ग्रहण छह बजकर 21 मिनट 16 सेकेंण्ड पर शुरू होने के बाद छह बजकर 24 मिनट 33 सेकेंण्ड तक देख सकेंगे। इसी प्रकार उज्जैन में सूर्यग्रहण की शुरूआत तो सूर्योदय से पूर्व होगी लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 22 मिनट 51 सेकेंण्ड पर देखा जा सकेगा और यह छह बजकर 24 मिनट 30 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा। बड़ोदरा में सूर्यग्रहण सूर्योदय से पहले से शुरू हो जाएगा जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण का नजारा छह बजकर 22 मिनट 41 सेकेंण्ड पर देखा जा सकेगा और यह छह बजकर 23 मिनट 59 सेकेंण्ड पर खत्म होगा। सिलीगुड़ी में पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 26 मिनट 33 सेकेंण्ड पर शुरू होगा और छह बजकर 30 मिनट 23 सेकेंण्ड पर समाप्प्त हो जाएगा। दार्जिलिंग में पूर्ण सूर्यग्रहण छह बजकर 27 मिनट 01 सेकेंण्ड पर शुरू होने के बाद छह बजकर 29 मिनट 58 सेकेंण्ड पर समाप्त होगा। इसके अतिरिक्त खंडवा, मैहर, मिर्जापुर, मुजफ्फरपुर, पंचमढ़ी, पूर्णिया, रीवा, सागर, विदिशा, भरूच, कूचबिहार, कटिहार, दरभंगा, गंगटोक, बांकीपुर, सिलवासा, दमन, इटारसी, इटानगर, डिब्रूगढ़, जबलपुर जैसे इलाकों में पूर्ण सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा। हालांकि खगोलविदों का कहना है कि मानसून का समय होने के कारण भारत में सभी स्थानों पर सूर्यग्रहण देखे जाने में संदेह है लेकिन कई ऐसे स्थान हो सकते हैं जहां क्षितिज बादलों से मुक्त हो और सौभाग्यशालियों को इसका सुंदर नजारा देखने को मिले।यह वर्ष 2114 तक होने वाले ग्रहणों में दीर्घतम पूर्ण सूर्यग्रहण होगा, जो देश के पश्चिम तट से आरंभ होकर नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, बर्मा, चीन, जापान से होता हुआ प्रशांत महासागर में समाप्त होगा।

सूर्यग्रहण के दौरान खुलेगा गामा किरणों की बदलती तीव्रता का भेद


इक्कीसवीं सदी के सबसे लंबे पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान भारतीय वैज्ञानिक 22 जुलाई को गामा किरणों की बदलती तीव्रता की गुत्थी सुलझाने की कोशिश करेंगे। यह खास प्रयोग देश के दो शहरों-इंदौर और सिलीगुड़ी में एक साथ किया जा रहा है। इसके जरिए वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि दुर्लभ खगोलीय घटना के दौरान गामा किरणों की तीव्रता में कितना बदलाव आता है। इंदौर में इस प्रयोग का साक्षी राजा रमन्ना सेंटर फार एडवांस्ड टेक्नालाजी बन रहा है। इसमें टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च :मुंबई: और जेसी बोस इंस्टीट्यूट :कोलकाता: के वैज्ञानिक भी भाग ले रहे हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान गामा किरणों की तीव्रता में परिवर्तन का पता लगाने के लिए आरआरकैट में सोडियम आयोडाइड डिटेक्टर जैसे विकिरण मापी यंत्र तैनात किए गए हैं। इस दौरान गामा किरणों के साथ-साथ आवेशित कणों और न्यूट्रान की तीव्रता में बदलाव की भी थाह ली जाएगी।प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिक पिछले दस दिनों से यहां लगातार गामा किरणों की तीव्रता के आंकड़े जमा कर रहे हैं। इनकी तुलना पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान मिलने वाले आंकड़ों से की जाएगी।पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान इंदौर और सिलीगुड़ी से मिलने वाले आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण किया जाएगा। सिलीगुड़ी में प्रयोग की कमान टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च और नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के हाथों में है।पिछले पूर्ण सूर्यग्रहणों के वक्त गामा किरणों की तीव्रता में विविधता पाई गई है। यह किरणें वायुमंडल में उच्च ऊर्जा वाली कास्मिक किरणों की आपसी क्रिया से उत्पन्न होती हैं।

Monday, July 20, 2009

सूर्यग्रहण मेले के लिए सजी धर्मनगरी कुरुक्षेत्र

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र 22 जुलाई को पड़ने वाले सूर्यग्रहण मेले के लिए तैयार है। ब्रह्मसरोवर एवं सन्निहित सरोवर में स्नान कर श्रद्धालु पुण्य कमा सकेंगे। साथ ही यहां आने वाले लोगों के लिए तारामंडल में सूर्यग्रहण देखने का प्रबंध किया गया है। प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। हरियाणा स्थित धर्मनगरी कुरुक्षेत्र का अपना अलग ही महत्व है। यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। सूर्यग्रहण के दौरान ब्रह्मसरोवर घाट में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पवित्र स्नान के लिए आएंगे। इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मूलचंद गर्ग भी स्नान के लिए पहुंचेंगे। प्रशासन ने मेले में वीआईपी एवं वीवीआईपी की एंट्री के लिए अलग रूट रखे हैं। पुलिसकर्मियों की चप्पे-चप्पे पर नजर होगी।उधर, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए श्रीकृष्ण संग्रहालय 21 जुलाई को सुबह आठ बजे से लेकर 22 जुलाई रात आठ बजे तक खुला रहेगा। यहां आने वाले श्रद्धालु जैसे ही किसी झांकी के सामने जाएंगे उस पर लगे सेंसर के संपर्क में आने से उसकी लाइट जलेगी। साथ ही लगे साउंड सिस्टम से उसका पूरा ब्योरा सुनाया जाएगा। मेले को देखते हुए पैनोरमा एवं विज्ञान केंद्र भी साढ़े 36 घंटे तक लगातार खुला रखा जाएगा। कल्पना चावला तारामंडल दर्शकों के लिए भी पूरी तरह तैयार है। तारामंडल में श्रद्धालुओं को सोलर फिल्टर से सूर्यग्रहण दिखाने का प्रबंध किया गया है।

सूर्यग्रहण देखने को जुटेंगे विश्व भर से लाखों सैलानी

भारतीय खगोलविद आर्यभट्ट ने तारों की गति के अध्ययन के लिए लगभग एक हजार वर्ष पूर्व जिस स्थान पर शिविर लगाया था, उसी गांव में 21वीं सदी के सबसे लंबे सूर्य ग्रहण के दर्शन के लिए बुधवार को कई लोग एक बार फिर जुटेंगे। वह स्थान है बिहार की राजधानी पटना से 30 किलोमीटर दक्षिण में तरेगना। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना को देखने के लिए इसे सबसे उपयुक्त स्थान करार दिया है। गांव के नाम का अर्थ निकालने पर लगता है कि तारों की गिनती के कारण ही इसका यह नाम पड़ा होगा। संभावना जताई जा रही है कि विश्व भर से दो लाख से अधिक वैग्यानिक, अनुसंधानकर्ता और खगोल प्रेमी सैलानी यहां सूर्यग्रहण देखने को जुटेंगे। तरेगना में तीन मिनट 48 सेकेंड से अधिक समय तक सूर्यग्रहण दिखाई देगा। बहरहाल सबसे अधिक समय तक सूर्यग्रहण का नजारा प्रशांत महासागर में छह मिनट 38 सेकेंड तक दिखाई देगा।राज्य सरकार आगंतुकों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। पटना में होटलों के अधिकतर कमरे पहले से ही वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और पर्यटकों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं।पटना के तारामंडल में लोगों में विशेष चश्मे के लिए भीड़ देखी जा रही है। चश्मे 20 रुपए में बिक रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सूर्यग्रहण सुबह साढ़े पांच बजे से शुरू होकर दो घंटे तक रहेगा।इस दुर्लभ खगोलीय घटना को लेकर दर्शनार्थियों को चिंता हो रही है। मानसून के कारण इस आकाशीय घटना की दृश्यता को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं और वे सोच रहे हैं कि सूर्यग्रहण के समय आकाश साफ रहेगा या नहीं।आर्यभट्ट ने ग्रहों को देखने के लिए तरेगना में शिविर स्थापित किया था। जब उन्होंने 'आर्यभट्टीय' लिखा उस समय संभवत: वह पाटलीपुत्र में थे। यह पुस्तक गणित और खगोलविज्ञान के सिद्धांतों से संबंधित और बची हुई एक मात्र रचना है। उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल 1975 में तत्कालीन सोवियत संघ से भारत का पहला उपग्रह छोड़ा गया था और महान खगोलविद के नाम पर इसका नाम आर्यभट्ट रखा गया था।

Sunday, July 19, 2009

पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान हुए अनेक आविष्कार एवं खोजें


वैज्ञानिकों को विश्वास है कि बाईस जुलाई को पड़ रहे पूर्ण सूर्यग्रहण पर प्रकृति के अनेक रहस्यों पर से पर्दा हट सकेगा क्योंकि पिछली दो सदियों में पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही दुनिया को चौंकाने वाले आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धान्त का सफल प्रतिपादन हो सका था और हीलियम तत्व की खोज की गई थी। बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि पूर्ण सूर्यग्रहण का धार्मिक महत्व होने के साथ उसका कितना वैज्ञानिक महत्व है। बहुत कम लोगों को पता होगा कि 18 अगस्त, 1868 को भारत में पड़े पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान ही हीलिमय तत्व की खोज की गई थी। उस दिन भारत के गुंटूर में दुनिया को चौंकाने वाले इस तत्व की खोज की गई तो पूरे विश्व के वैज्ञानिक चमत्कृत रह गए। सूर्य ग्रहण एवं चंद्रग्रहण को भारतीय लोग सदियों से बहुत महत्वपूर्ण प्राकृतिक घटना मानते रहे हैं और इसका धार्मिक महत्व तो जितना भारत में है उतना शायद ही कहीं और होगा।
फ्रांसिसी खगोलविद पियरे जैनसन ने भारत के गुंटूर में 1868 में जब पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के क्रोमोस्फीयर के स्पेक्ट्रम में चमकीली पीली रेखा देखी तभी उन्होंने बता दिया कि 587 ़49 नैनोमीटर तरंग धैर्य की यह रेखा प्रकृति में मौजूद एक नए तत्व की वजह से है। बाद में अंग्रेज खगोलविद नार्मन लाकियर एवं अंग्रेज रसायनविद एडवार्ड फ्रैंकलैंड ने इस नए तत्व को धीरे धीरे हेलियो और फिर हीलियम नाम दिया। संभवत: यदि पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान जैनसन और फिर लाकियर ने सूर्य की किरणों एवं क्रोमोस्फीयर का वैज्ञानिक अध्ययन नहीं किया होता तो दुनिया को हीलियम के आविष्कार से आने वाले काफी वर्षो तक अछूता ही रहना पड़ा होता।वास्तव में पूर्ण सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के दौरान हुए वैज्ञानिक अध्ययनों से विश्व में अनेक आविष्कार एवं खोजें हुई हैं।इतना ही नहीं विश्व के अनेक अनोखे वैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन एवं उनकी पुष्टि भी पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान हुए अध्ययनों से हुई है। बीसवीं सदी के सर्वाधिक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सिद्धान्तों में से एक आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धान्त (थियरी आफ रिलेटिविटी) का परीक्षण 1919 में हुए पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों में हुआ था।
1919 के पूर्ण सूर्यग्रहण में किए गए इन प्रयोगों में ही पहली बार आइंस्टीन के सिद्धान्तों को साबित करते हुए यह पाया गया कि सूर्य के बिलकुल निकट प्रकाश का मार्ग मुड़ जाता था। इस बार बुधवार को भारत के जिस थोड़े से भाग में एक बार फिर पूर्ण सूर्यग्रहण स्पष्ट तौर पर देखा जा सकेगा उस पट्टी में सूरत, इंदौर, भोपाल, वाराणसी और पटना भी शामिल हैं।वैज्ञानिक शोध एवं अध्ययन के लिहाज से इस बार के पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान वाराणसी का विशेष महत्व होगा। इसे देखते हुए ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रोफेसर बी एन द्विवेदी, अमेरिका में कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी के भौतिकी एवं खगोल शास्त्र विभाग के प्रोफेसर डी पी चौधरी और बेंगलूर के भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के प्रोफेसर आर सी कपूर मिलकर पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान 'वाराणसी में सूर्य के लुप्त होने पर' की वैज्ञानिक घटनाओं का गंगा के किनारे अध्ययन करेंगे।22 जुलाई को वाराणसी में दिखने वाला पूर्ण सूर्यग्रहण इस सदी का सबसे लंबा दिखने वाला सूर्यग्रहण होगा जिसके चलते यह खगोलीय घटना अपने आप में नितांत अनूठी होगी। पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य के क्रोमोस्फीयर का वैज्ञानिक अध्ययन बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। भारत के अलावा भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार एवं चीन में दीखने वाला यह पूर्ण सूर्यग्रहण वाराणसी में लगभग छह मिनट, चालीस सेकेंड का होगा और यह यहां लगभग छह बज कर 26 मिनट से छह बजकर 32 मिनट के बीच दिखेगा।

Saturday, July 18, 2009

सूर्य ग्रहण 22 जुलाई को


आसमान पर निगाह रखने वाले लोग 21 शताब्दी के सबसे लंबे सूर्य ग्रहण का इंतजार कर रहे हैं। पश्चिम, मध्य, पूर्व और पश्चिमोत्तर भारत के लोग इस ऐतिहासिक मौके का नजारा 22 जुलाई को देखेंगे। पूर्ण ग्रहण तब लगता है जब सूर्य को चंद्रमा पूरी तरह से ढक लेता है। पृथ्वी पर एक संकरी सी पट्टी पर से ही इस पूर्ण ग्रहण को देखा जा सकता है। भारत और नेपाल सहित बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार और चीन से सूर्य ग्रहण को अच्छी तरह देखा जा सकेगा।
भारत में चांद की छाया सूरत, इंदौर, भोपाल, वाराणसी और पटना पर पड़ने वाली है। भूटान से गुजरने के बाद ग्रहण नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार में भारतीय समयानुसार सुबह के 6:35 बजे दिखेगा। चीन के सबसे बड़े शहर शंघाई में सूर्य ग्रहण पांच मिनट तक रहेगा। अगला पूर्ण सूर्य ग्रहण 11 जुलाई 2010 को दक्षिण प्रशांत, चिली और अर्जेंटीना में देखा जा सकेगा।

Thursday, July 16, 2009

आखिर क्यों सुलगा यूपी, दुष्कर्म को पैसों से नहीं तौला जाता है

उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी द्वारा उनके विरुद्ध की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर की गई है। यह टिप्पणी अक्षम्य है। मायावती ने कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी चपेटे में लेकर कहा कि उनके विरुद्ध जो भी कहा गया है उनके इशारे पर कहा गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा.जोशी के लखनउू स्थित आवास पर हुई तोड़फोड़ और आगजनी के पीछे कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का हाथ हो सकता है , जो ऐसा करके डा.जोशी की अमर्यादित और निन्दनीय टिप्पणी से जनता का ध्यान हटाना चाहते हैं।मायावती ने जोशी द्वारा की गई टिप्पणी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का समर्थन होने का आरोप लगाते हुए मांग की कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इसके लिए माफी मांगें। सोनिया के लिए ऐसा कहना मायावती की मानसिक विकृति का पता चलता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के घर पर हुई तोड़फोड़ में बसपा का नाम जोड़ना सही नहीं है क्योंकि हमारी पार्टी अत्यंत अनुशासित है और तोड़ फोड़ अथवा बंद में उसका कोई विश्वास नहीं है। ऐसा कह कर वह अपनी ही पार्टी का मजाक उड़ा रही हैं। यदि यह अनुशासित पार्टी होती तो दर्जनों दर्ज फौजदारी मामलों के नेताओं को बसपा में शामिल नहीं करतीं। बाहुबली नेताओं से अनुशासन की उम्मीद नहीं की जा सकती।मायावती ने कहा कि केन्द्र में अगर उनकी सरकार बनती है तो वह ऐसा कानून लाएगी जिसमें सर्वसमाज की महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वालों का अपराध अगर सिद्ध हो जाता है तो उन्हें आजीवन कारावास या फांसी की सजा देने का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे अपराध होने पर केवल अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को ही नहीं बल्कि सर्वसमाज की महिलाओं को आर्थिक मुआवजा दिया जाएगा। मायावती को भारतीय दंड संहिता की शायद पूरी जानकारी कम है, दुष्कर्म के मामले में आरोप सिद्ध हो जाने पर ताउम्र कैद का प्रावधान है।मायावती ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने जिस मामले को लेकर उनके खिलाफ आपत्तिजनक एवं अमर्यादित टिप्पणी की थी उस मामले में कानून केन्द्र की कांग्रेस सरकार का ही बनाया हुआ है और कांग्रेस ने ही महिलाओं के खिलाफ अपराध की भरपाई पैसों से करने की व्यवस्था की है। बसपा प्रमुख ने दावा किया कांगे्रस ने हमेशा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव किया है इसलिए उसने एससीएसटी कानून बनाया जिसमें दलित महिलाओं के साथ बलात्कार अथवा अन्य अपराध होने पर उनकी कीमत पैसों से चुकाने का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के खिलाफ अपराध की कीमत पैसों से चुकाने की परंपरा की शुरूआत की है। मायावती ने कहा कि अपराध की कीमत पैसों से चुकाने की व्यवस्था से बसपा सहमत नहीं है और इससे दलित अपमानित महसूस करते हैं। मायावती यह क्यों भूल जाती हैं कि देश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को आरक्षण कांग्रेस ने ही दिया है। इस आशय के साथ कि इस वर्ग का उत्थान हो सके। जहां तक बसपा की केंद्र में सरकार बनने का प्रश्न है, जैसा कि आज मायावती ने कहा, वह दिन में तारे देखने के बराबर है। संपन्न लोक सभा चुनाव में बसपा को जो कुछ भी सीटें आई हैं वह सिर्फ उत्तर प्रदेश से ही हैं। और देश के सारे कोने खाली रहे। इसके बावजूद भी पीएम का ख्वाब देख रहीं हैं। आज संसद के दोनों सदनों में भी रीता जोशी के विरुद्ध मामले दर्ज कर जेल भिजवाना मायावती की मानसिक विकृति का परिचय है। जोशी को जेल भिजवा कर वह क्या सिद्ध करना चाहती हैं।मायावती ने तो सोनिया पर भी निशाना साधा, पर सोनिया ने समझबूझ कर मायावती के बयान पर टिप्पणी की और कहा कि यूपी में गुंडाराज है। आखिर क्यों सुलगा यूपी। कहीं यह शह मात की लड़ाई तो नहीं है। लोकतंत्र में किसी की भावनाओं को दबाया नहीं जा सकता है। यदि गंभीरता से देखा जाए तो जोशी ने जो टिप्पणी दुष्कर्म को लेकर की वह गागर में सागर में है। दबी-कुचली महिलाओं के साथ हो रहे दुष्कर्म को जोर शोर से उठाकर मायावती को जोर का झटका देकर उसके एवज में ही जोशी पर केस दर्ज कर जेल भिजवाकर मानसिक विकृति का परिचय दिया।मायावती दुष्कर्म को पैसों से तोल रही हैं, यह पूरी तरह से गलत है। मायावती की सोच में फर्क है। प्रदेश में अब दुष्कर्म पर राजनीति गहरा गई है।

Tuesday, July 14, 2009

अज़हर ने स्ट्रेट ड्राइव से शुरू की लोकसभा की पारी


भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अज़हरूद्दीन ने अपने मशहूर स्ट्रेट ड्राइव के साथ राष्ट्रमंडल खेलों के सफल आयोजन के लिए वह मेहनत करे क्योंकि इससे देश की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अज़हर ने सदन में अपने पहले भाषण में कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन बहुत कठिन कार्य है। मंत्री को मेहनत करने की जरूरत है। यह आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने उन्हें सलाह दी थी कि लोकसभा की अपनी पारी की शुरूआत वह छक्का जमा कर करें लेकिन यह काम मैंने अपने दोस्त नवजोत सिंह सिद्धू के लिए छोड़ दिया है जो इसमें माहिर हैं। सिद्धू भाजपा की ओर से सदन के सदस्य हैं। छक्का मारने की बजाय अजहर ने स्ट्रेट ड्राइव का सहारा लेते हुए अपनी ही सरकार और मंत्री से साफ-साफ बात कहना ज्यादा बेहतर समझा। सदन में आम बजट पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि इन खेलों में बहुत से देश आ रहे हैं और इसके सफल आयोजन के लिए हमारी ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों का अगर हमने अच्छा आयोजन कर लिया तो हम फिर ओलंपिक खेलों के आयोजन की मांग कर सकते हैं। यह बहुत बड़ा सम्मान है और यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए।खेल मंत्री एमएस गिल सहित कई लोग राष्ट्र मंडल खेलों की धीमी गति से चल रही तैयारियों पर चिंता जता चुके हैं।अज़हर ने गिल को याद दिलाया कि वह खेल मंत्री से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त भी रह चुके हैं इसलिए उन्हें चाहिए कि वे विभिन्न खेल संघों के समय पर स्वतंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि खेल मंत्री अगर यह सुनिश्चित कर दें तो इसके अच्छे नतीजे निकलेंगे। उन्होंने कहा कि देश में क्रिकेट की बढि़यां देख भाल हो रही है लेकिन अन्य खेलों की स्थिति दयनीय है। इसके जड़ में जाते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न खेल संघों पर कुछ लोगों ने अपनी बपौती जमा रखी है। बरसों बरस वे वहां जमे रहते हैं। अगर यह हालात नहीं बदले तो खेल का भला नहीं होगा। खेल जीवन के दौरान हमेशा हल्के बल्ले से बल्लेबाजी करने वाले पूर्व क्रिकेट कप्तान ने भारतीय खेल प्राधिकरण की भारी बल्ले से खबर लेते हुए कहा कि एसएआई को दी जाने वाली राशि का अस्सी प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन में चला जाता है। यह धन की आपराधिक बर्बादी है। यह समय की आपराधिक बर्बादी है। खेलों का स्तर बढ़ाने की जोरदार वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि देश के लिए खेल ज़रूरी है। इनसे देश का सिर ऊंचा होता है। अज़हर ने देश के खेल की स्थिति पर स्ट्रेट ड्राइव करने के साथ सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी कुछ फ्लिक शार्ट लगाएं।ईमानदारी से कहा जाए तो राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना सहित सरकार की कई फ्लैगशिप परियोजनाओं में खामियां हैं जिन्हे दूर किए जाने की जरूरत है। क्रिकेटर से राजनीतिक बन चुकने का भी परिचय देते हुए अजहर ने लोकसभा के अपने पहले भाषण में अपने चुनाव क्षेत्र मुरादाबाद की समस्याओं को भी उठाया। उन्होंने वहां के मुरादाबादी बर्तन उद्योग को वैश्विक मंदी से बचाने और इस उद्योग के जुड़े शिल्पकारों के स्वास्थ्य पर खास ध्यान देने की सरकार से मांग की।मैं तो यही कहूंगा कि अजहर ने लोक सभा में पहला बजटीय भाषण में ही छक्का लगाकर फील्ड रूपी सदन के बुजुर्ग सांसद खिलाड़ी गेंद को लपकने के लिए तरसा दिया और छक्के पर छक्का लगाते गए, यह देखकर सदन स्तब्ध रह गया।

Saturday, July 11, 2009

मानसून की बेरूखी से लक्ष्य कठिन

जलवायु परिवर्तन एवं मानसून की बेरूखी से बारिश के लिए तरसते किसान और सूखे की आशंका के बीच उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार जैसे राज्यों में खरीफ फसलों की मामूली बुवाई से सरकार का नौ प्रतिशत के आर्थिक विकास दर और चार प्रतिशत कृषि विकास दर हासिल करने का चालू बजट में निर्धारित लक्ष्य पहुंच से दूर हो सकता है।इस वर्ष अभी तक पूरे भारत में 36 प्रतिशत कम बारिश हुई है जबकि कृषि प्रधान पश्चिमी उत्तरप्रदेश में 80 प्रतिशत कम वर्षा, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 52 प्रतिशत कम, हरियाणा में 62 प्रतिशत कम और पंजाब में 71 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। मानसून की बेरूखी के कारण पंजाब में अभी तक 19 लाख हेक्टेयर भूमि में बुवाई हुई है जो आमतौर पर 27.5 लाख हेक्टेयर होती थी। इसी प्रकार हरियाणा में पिछले वर्ष के तुलना में 55 प्रतिशत कम बुवाई हुई है जबकि उत्तरप्रदेश में 30 से 35 प्रतिशत क्षेत्र में ही रोपाई हुई है। इसके कारण खाद्यान्न उत्पादन में काफी कमी की आशंका व्यक्त की जा रही है। हालांकि, कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि मानसून की स्थिति धीरे धीरे बेहतर होती जा रही है और जल्द ही अच्छी वर्षा होगी। सरकार हर स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार है।आजादी के बाद हम अपनी नीतियों में कृषि को एक उद्योग की शक्ल देने और मानसून पर निर्भरता को कम करने में विफल रहे हैं।जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि पर गंभीर प्रभाव पड़ा है क्योंकि आजादी के 60 वर्ष गुजर जाने के बावजूद किसान खेती और सिंचाई के लिए आज भी मानसून पर निर्भर है।

भटकी भाजपा को संघ ने थमाया भविष्य का एजेंडा

भाजपा में भले ही नेतृत्व व वर्चस्व को लेकर घमासान मचा हो, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एजेंडा साफ है। संघ ने अपनी कमान बदलने के साथ भाजपा को भी भविष्य का नेतृत्व गढ़ने का एजेंडा थमा दिया है। उसने साफ कर दिया है कि भाजपा केवल युवाओं की बात न करे, बल्कि उनको सामने लेकर आए और अपने मूल मुद्दों से कतई न भटके। लोकसभा चुनाव में हार की समीक्षा व भविष्य की रणनीति के लिए अगले माह होने वाली चिंतन बैठक में पार्टी का मंथन इन्हीं दोनों बिंदुओं को केंद्र में रखकर होगा। लोकसभा चुनाव में हार के बाद जब भाजपा घमासान थामने के बजाए चिठ्ठियों की नई राजनीति में उलझी हुई थी तब संघ भाजपा की चिंता में डूबा हुआ था। उसकी तीन सदस्यीय समिति ने भाजपा की ताकत व कमियों का आकलन किया। इस समिति के निष्कर्ष भाजपा के दोनों शीर्ष नेताओं को बता भी दिए गए हैं। यह माना गया है कि भाजपा की यह दुर्दशा भटकाव के कारण हुई है। जिन मुद्दों पर उसने जनता में अपनी पैठ बनाई थी, वह उनसे भाग खड़ी हुई। मसलन उसके हिंदुत्व के एजेंडे को जनता को स्वीकृति तब मिली जब उसके मूल में राम मंदिर था। इसी तरह सुशासन व शुचिता से जनता तब तक प्रभावित थी, जब तक ईमानदारी थी। भ्रष्टाचार के किस्से सामने आने के बाद ईमानदारी की रट लगाने से उलटा असर हुआ। संघ का मानना है कि भाजपा को अब फिर से छूटी हुई राह पकड़नी होगी। उसे पिछली सदी के नब्बे के दशक की तरफ लौटना पड़ेगा। अपने मूल मुद्दों पर कायम रहना होगा और युवाओं को आगे लाना होगा।

Monday, July 6, 2009

ताकि बजट समझने में न आए बाधा


आपका भी मन आम बजट की बारीकियों को जानने के लिए जरूर मचलता होगा। ऐसे में आपकी जिज्ञासा शांत करने के लिए हम बजट की कठिन शब्दावली के बारे में जानकारी दे रहे हैं-बजट से मुख्यत: सरकारी राजस्व, उसके खर्चो, टैक्स तथा विभिन्न क्षेत्रों को धन आवंटन के बारे में जानकारी मिलती है। यह देश की वित्तीय सेहत को भी दर्शाता है।
शब्दावली-कर राजस्व : केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तमाम करों व शुल्कों से प्राप्त होने वाली धनराशि को कर राजस्व कहते हैं। आयकर, कारपोरेट टैक्स, सेवा कर, उत्पाद शुल्क इसी के तहत आते हैं।
गैर कर राजस्व या अन्य राजस्व : सरकारी निवेश पर ब्याज व लाभांश तथा सरकार की अन्य सेवाओं पर प्राप्त होने वाले तमाम शुल्क इसमें शामिल हैं।
राजस्व प्राप्तियां : कर राजस्व और अन्य राजस्व को मिलाकर प्राप्त होने वाली कुल धनराशि को सरकार की राजस्व प्राप्तियां कहते हैं।
राजस्व खर्च : सरकारी विभागों व विभिन्न सेवाओं के संचालन पर खर्च होने वाली राशि, सब्सिडी, सरकारी कर्ज पर ब्याज, राज्य सरकारों को अनुदान आदि इसमें शामिल हैं। राजस्व खर्चो से कोई भी परिसंपत्ति या भौतिक उपलब्धि हासिल नहीं होती है, यह इसका नकारात्मक पहलू है।
राजस्व घाटा : कुल राजस्व खर्च और राजस्व प्राप्तियों के अंतर को राजस्व घाटा कहा जाता है।
पूंजीगत प्राप्तियां(कैपिटल रिसीट) : सरकार द्वारा आम जनता व रिजर्व बैंक से लिए जाने वाले कर्ज, विदेशी सरकारों व संस्थानों से प्राप्त होने वाले कर्ज और राज्यों द्वारा वापस किए गए कर्ज इसमें शामिल हैं।
पूंजीगत भुगतान या पूंजीगत खर्च : जमीन, मकान,मशीनरी आदि की खरीद पर सरकारी खर्च और राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेशों, सरकारी कंपनियों को दिए जाने वाले कर्ज इसमें सम्मिलित हैं। इस तरह के खर्चो को सकारात्मक माना जाता है।
बजट घाटा : कुल राजस्व-पूंजीगत खर्चो और कुल राजस्व-पूंजीगत प्राप्तियों के अंतर को बजट घाटा कहा जाता है।
राजकोषीय घाटा : बजट घाटे को पाटने के लिए सरकार द्वारा लिए जाने वाले कर्ज व उस पर अन्य देनदारियों को ही राजकोषीय या वित्तीय घाटा कहते हैं। इसे कुछ अलग ढंग से भी समझा जा सकता है। मान लीजिए कि किसी व्यक्ति की कुल सालाना आय एक लाख रुपये है और उसका सालाना खर्च 1.20 लाख रुपये है तो उसे अपने खर्चो को पूरा करने के लिए 20 हजार रुपये का कर्ज कहीं से लेना ही पड़ेगा। इसका मतलब यही हुआ कि वह आदमी सालाना 20 हजार रुपये के घाटे के साथ अपना व परिवार का भरण-पोषण कर रहा है। यदि वह किसी अन्य वैध तरीके से अपनी आय नहीं बढ़ाएगा तो उसका यह घाटा बढ़ता चला जाएगा। ठीक यही बात सरकार पर भी लागू होती है। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए यह जरूरी होता है कि या तो वह अपने अनावश्यक खर्चो में कटौती करे या गैर जरूरी सब्सिडी नहीं दे, लोगों पर बगैर ज्यादा बोझ डाले तमाम स्त्रोतों से राजस्व बढ़ाए अथवा विभिन्न कर दरों को तर्कसम्मत बनाए।
प्राथमिक घाटा : कुल राजकोषीय घाटे से ब्याज बोझ को हटा देने के बाद जो राशि बचती है उसे ही प्राथमिक घाटा कहते हैं। दूसरे शब्दों में ब्याज बोझ को हटा देने के बाद जो मूल कर्ज बचता है उसे प्राथमिक घाटा कहा जाता है।
अनुदान मांग : विभिन्न मंत्रालयों व सरकारी विभागों के खर्च अनुमानों को अनुदान मांग के रूप में सालाना वित्तीय वक्तव्य में शामिल किया जाता है। इसे लोकसभा में पारित करवाना पड़ता है।
विनियोग विधेयक(एप्रोप्रिएशन बिल) : लोकसभा में अनुदान मांगों को मंजूरी मिलने के बाद इस धनराशि को कंसोलिडेटेड फंड आफ इंडिया (समेकित निधि) से निकाला जाता है। समेकित निधि से तभी कोई धन निकाला जा सकता है जब इसके लिए विनियोग विधेयक तैयार कर उसमें इस राशि को शामिल किया जाए और संसद की मंजूरी उसे मिल जाए।
समेकित निधि(कंसोलिडेटेड फंड आफ इंडिया) : सरकार द्वारा करों, कर्जो, बैंकों व सरकारी कंपनियों के लाभांश वगैरह के जरिए जुटाई जाने वाली राशि समेकित निधि में ही डाली जाती है। संसद की मंजूरी के बगैर इसका एक पैसा भी खर्च नहीं किया जा सकता।
सालाना वित्तीय वक्तव्य: बजट के कुल सात दस्तावेजों में से सबसे प्रमुख दस्तावेज को सालाना वित्तीय वक्तव्य कहते हैं। इसमें सरकार की तमाम प्राप्तियों व खर्चो या आवंटन का जिक्र किया जाता है।
वित्त विधेयक : नए टैक्स लगाने, मौजूदा कर ढांचे को स्वीकृत अवधि के बाद भी जारी रखने और कर ढांचे में संशोधन से संबंधित सरकारी प्रस्तावों को वित्त विधेयक के जरिए ही संसद में पेश किया जाता है ताकि उसकी मंजूरी मिल सके।
राष्ट्रीय ऋण : केंद्र सरकार पर घरेलू व विदेशी कर्जदाताओं के कुल कर्ज बोझ को राष्ट्रीय ऋण कहा जाता है।
सार्वजनिक ऋण : राष्ट्रीय ऋण के साथ-साथ राष्ट्रीयकृत उद्योगों और स्थानीय प्राधिकरणों के कुल कर्ज बोझ को सार्वजनिक ऋण कहा जाता है।
ट्रेजरी बिल : सरकार कम अवधि वाले कर्ज ट्रेजरी बिलों के जरिए ही जुटाती है।
पूंजीगत लाभ कर : किसी शेयर या परिसंपत्ति के खरीद मूल्य व उसके बिक्री मूल्य में अंतर यानी लाभ पर लगाए जाने वाले टैक्स को पूंजीगत लाभ कर कहते हैं।
मैट: यानी न्यूनतम वैकल्पिक कर के दायरे में वह कंपनियां आती हैं जो विभिन्न तरह की कर छूट के चलते कोई टैक्स अदा नहीं करतीं। मैट के तहत ऐसी कंपनियों को भी अपनी कमाई का एक न्यूनतम हिस्सा टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में देना पड़ता है।