Sunday, September 14, 2008

दिल्ली धमाके: सुरक्षा-व्यवस्था को चुनौती


भारत की राजधानी नई दिल्ली में सीरियल बम धमाकों ने दिल्ली को फिर दहला के रख दिया। पुलिस की लचर सुरक्षा व्यवस्था ने ही आतंकियों के हौसले बुलंद किए हैं। वह मौका पाते ही देश के प्रमुख शहरों को लक्ष्य बना रहे हैं। धमाकों के बाद हाई अलर्ट घोषित कर दिया जाता है। सुरक्षा के नाम पर पुलिस वाहनों की चेकिंग करने में जुट जाती है और सीमाएं सील कर वह अपनी औपचारिक पूरी कर लेती है। जब कुछ समय बाद स्थिति सामान्य हो जाती है तो पुलिस अपना कर्तव्य भूल कर अन्य कामों में लगी रहती है। क्यों नहीं सीमाओं पर हमेशा वाहनों की चेकिंग होती है। सामान्य परिस्थितियों में तो आप आराम से दिल्ली में बिना चेकिंग के आ-जा सकते हैं। यदि यही स्थिति रही तो वह नारा खत्म हो जाएगा जिसके लिए कहा जाता है कि दिल्ली दिल वालों की है। जबकि देखा जाए तो दिल्ली अब सामान्य लोगों के लिए सुरक्षित नहीं रह गई है। सुरक्षा के नाम पर यहां कई प्रकार की सुरक्षा इकाईयां मौजूद हैं फिर भी आतंकी सिलसिलेवार बम धमाके करके सुरक्षित निकल गए, यह बड़े शर्म की बात है। नेताओं का तो सिर्फ एक ही रटा-रटाया वाक्य होता है कि मैं इस बम विस्फोटों की कड़े शब्दों में भ‌र्त्सना करता हूं इसके बाद फिर किसी नए शहर में बम धमाके हो जाते हैं। दिल्ली में इसके पूर्व 29 अक्टूबर 2005 में तब हुए थे जब पूरी दिल्ली दीपावली के त्यौहार को मनाने की तैयारी कर रही थी। दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर पांच विस्फोटों में तीस लोग मारे जा चुके हैं। बड़ी दर्दनाक मौतें हुई हैं। एक छात्रा बैंक की परीक्षा देने के लिए बडोदरा, गुजरात से आई थी किंतु कनाट प्लेस क्षेत्र में हुए बम विस्फोट की वह शिकार हो गई। वह हमेशा के लिए सो गई। करोलबाग के गफ्फार मार्केट, कनाट प्लेस और ग्रेटर कैलाश में थोडी-थोड़ी देर के अन्तराल पर विस्फोट हुए। पहला विस्फोट गफ्फार मार्केट में हुआ, इसके तत्काल बाद कनाट प्लेस कनाट प्लेस स्थित गोपालदास बिल्डिंग में दो विस्फोट हुए। एक अन्य विस्फोट दक्षिणी दिल्ली के पाश ग्रेटर कैलाश इलाके में स्थित पार्ट वन के एम ब्लाक मार्केट में हुआ। बम धमाकों की घटना को लेकर पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है।अब प्रश्न उठता है कि दिल्ली आम लोगों के लिए रहने के लिए सुरक्षित रह गई। या फिर नेताओं की नगरी बन कर रह गई। पुलिस बल का अधिक हिस्सा तो नेताओं की तामीरगीरी में लगा रहता है। वह दिल्ली को क्या खाक सुरक्षा प्रदान करेंगे। यहां पर कई प्रकार के इतने अधिक सुरक्षा बल मौजूद हैं फिर भी सीरियल बम धमाके हों, यह बहुत ही शर्म का विषय है।

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