Tuesday, February 24, 2009

स्लमडॉग मिलियनेयर ने कर दिया कमाल

अल्ला रक्खा रहमान वैसे तो सिर्फ एक नाम है लेकिन हिंदुस्तानी फिल्म संगीत से जुड़े लोगों के लिए यह नाम कुछ खास मायने रखता है। उन्नीस सौ बानवे में तमिल फिल्म 'रोजा' के संगीतकार के रूप में एक लंबे बालों वाले लड़के ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा और उस फिल्म के संगीत ने लोगों से एक वादा किया। यह वादा था फिल्म संगीत को आर्केस्टा की एकरस धुनों से निकाल कर एक ऐसे रूहानियत और पाकीजगी के मुकाम पर ले जाने का जहां वह ईश्वर से साक्षात्कार का माध्यम बन जाए। भविष्य में जब कभी हिंदुस्तानी सिनेमा का इतिहास लिखा जाएगा तो रहमान को सिर्फ इसलिए नहीं याद किया जाएगा कि उन्होंने दो-दो ऑस्कर पुरस्कार अथवा गोल्डन ग्लोब समेत अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। बल्कि उन्हें याद किया जाएगा एक ऐसे संगीतकार के रूप में जिसने समकालीन संगीत के मायने बदल दिए। जिसके संगीत में ईश्वरीय पुकार थी और था राष्ट्र गौरव। ए आर रहमान का जन्म चेन्नई में मलयाली फिल्मों के लिए संगीत रचना करने वाले संगीतकार आर.के. शेखर के बेटे ए.एस. दिलीपकुमार के रूप में हुआ था। महज नौ वर्ष की अवस्था में अपने पिता का सानिध्य खो देने वाले रहमान के परिवार को संगीत उपकरण किराए पर देकर अपना जीवन यापन करना पड़ा लेकिन संगीत तो उनकी रगों में बहता था। एक सूफी संत से प्रभावित रहमान के पूरे परिवार ने उन्नीस सौ नबासी में इस्लाम की दीक्षा ले ली और वर्ष उन्नीस सौ बानवे में उन्हें प्रसिद्ध फिल्मकार मणिरत्‍‌नम ने फिल्म 'रोजा' का संगीत देने के लिए आमंत्रित किया। उन्नीस सौ तिरानवे में तमिल फिल्म 'रोजा' के संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से शुरू हुआ यह सफर वर्ष दो हजार नौ में 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए ऑस्कर तक पहुंच चुका है।
सर्वश्रेष्ठ संगीत और गुलजार के साथ गीत रचना के दो ऑस्कर पुरस्कार हासिल करने के बाद रहमान ने कहा कि मेरी पूरी जिंदगी प्यार और नफरत के बीच झूलती रही, मैंने प्यार को चुना जिसकी वजह से आज मैं यहां हूं। टाइम मैगजीन द्वारा 'मोजार्ट ऑफ मद्रास' के नाम से पुकारे गए रहमान ने चेन्नई में केएम म्यूजिक कंजरवेटरी के नाम से म्यूजिक स्कूल खोला है, जहां वह संगीत का प्रशिक्षण दे रहे हैं। यही नहीं हाल ही में उन्होंने ए.आर. रहमान फाउंडेशन के नाम से उन्होंने एक संगठन की स्थापना की है जिसके सहारे वह देश से भूख और गरीबी का उन्मूलन करने के प्रयास कर रहे हैं। 'रोजा' के गीत 'दिल है छोटा सा, छोटा सी आशा' शुरू हुआ रहमान का सुरीला सफर 'बांबे', 'जींस', 'रंगीला', 'दिल से', 'ताल', 'लगान', 'जुबैदा', 'युवा' और 'रंग दे बसंती', 'गुरू' जैसी फिल्मों के सहारे जारी है।
मुंबई की पृष्ठभूमि पर आधारित ब्रिटिश निर्देशक डैनी बॉएल की फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' 81वें ऑस्कर पुरस्कार समारोह में छा गई। फिल्म को विभिन्न श्रेणियों में आठ पुरस्कार मिले हैं। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' भारतीय राजनयिक विकास स्वरूप की पुस्तक 'क्यू एंड ए' पर आधारित है। बॉएल को सवश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिला वहीं भारतीय संगीतकार ए.आर.रहमान को बेस्ट ऑरिजनल स्कोर (सर्वश्रेष्ठ संगीत) के लिए पहला ऑस्कर पुरस्कार मिला। इसके बाद उन्हें गीतकार गुलजार के साथ 'जय हो' गीत के लिए ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया। रहमान ने पुरस्कार प्राप्त करने के बाद कहा, ''मुझे इस समय एक हिंदी फिल्म का डॉयलॉग याद आ रहा है। जिसमें नायक कहता है कि मेरे पास मां है। मेरी मां यहां है, उनका आशीर्वाद मेरे साथ है। यह मेरे लिए खुशी की बात है।'' रहमान ने कहा कि मेरी पूरी जिंदगी प्यार और नफरत के बीच झूलती रही और मैंने प्यार को चुना, जिसकारण मैं यहां हूं। लास एंजेलिस के कोडक थियेटर में रविवार को आयोजित समारोह में साउंड मिक्सिंग के लिए रेसुल पोकुट्टी को ऑस्कर पुरस्कार से नवाजा गया है। पोकुट्टी ने इयान टॉप और रिचर्ड प्राइके के साथ ऑस्कर पुरस्कार ग्रहण किया। फिल्म के संपादन के लिए क्रिस डिकन्स को ऑस्कर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए एंथनी डॉड मैंटल को सर्वश्रेष्ठ सिनेमेटोग्राफी का पुरस्कार मिला। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद मैंटल ने कहा, ''मैं इस पुरस्कार के लिए हजारों लोगों का शुक्रिया अदा करता हूं, जिसके बिना यहां तक पहुंचना संभव नहीं था। मैं अपनी पत्नी, मां, पिताजी, भाई, बहन, डैनी बॉएल और उन सभी लोगों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने फिल्म के निर्माण में सहायता की। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' को सर्वश्रेष्ठ रुपांतरित पटकथा के लिए साइमन ब्यूफॉय को भी ऑस्कर पुरस्कार मिला है।
अब तक ऑस्कर पुरस्कार जीतने वाले भारतीयों के नाम-एक. भानु अथया - वर्ष उन्नीस सौ बानवे में आई रिचर्ड एटनबरो की फिल्म 'गांधी' में सर्वश्रेष्ठ वेशभूषा के लिए।
दो. सत्यजीत रॉय - वर्ष उन्नीस सौ बानवे में सिनेमा में जीवनपर्यत योगदान के लिए मानद 'लाइफटाइम अचीवमेंट' ऑस्कर।
तीन. ए.आर. रहमान - वर्ष दो हजार नौ में फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के गीत 'जय हो' के लिए दो ऑस्कर, सर्वश्रेष्ठ संगीत और सर्वश्रेष्ठ गीत (संयुक्त रूप से)।
चार. गुलजार - वर्ष दो हजार नौ में फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर (संयुक्त रूप से), रहमान के साथ।
पांच. रेसुल पोक्कुट्टी - वर्ष दो हजार नौ में फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंड मिक्सिंग का ऑस्कर।

Monday, February 16, 2009

रुपया कहां से आता है और कहां जाता है

सरकार के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा उधार से आता है और इसी तरह खर्च का एक बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में जाता है। सरकार के खजाने में आने वाले प्रत्येक एक रुपये में से उन्तीस पैसे उधार से, बाईस पैसे कारपोरेट कर से और बारह पैसे आयकर से आता है। बाकी में दस पैसे सीमा शुल्क से और बाकी के दस पैसे गैर-कर राजस्व मद से आते हैं। सेवा कर की हिस्सेदारी छह पैसे की होती है जबकि गैर-उधार पूंजी का हिस्सा एक फीसदी होता है। इसी तरह व्यय मद में प्रत्येक एक रुपये में बीस पैसे ब्याज पर खर्च होते हैं जबकि अट्ठारह पैसे केंद्रीय योजनाओं पर। केंद्र सरकार को प्रत्येक एक रुपये में से पंद्रह पैसे राज्यों को देने पड़ते हैं। अन्य गैर- बजटीय खर्च मद में चौदह पैसा जाता है। रक्षा मद में प्रति रुपये तेरह पैसे खर्च होते हैं जबकि खाद्यान, उर्वरक और ऊर्जा सब्सिडी के रूप में नौ पैसे खर्च होते हैं। राज्य व संघ शासित प्रदेशों की योजनाओं और गैर योजना सहयोग मद में क्रमश: सात और चार फीसदी खर्च होते हैं।

Sunday, February 8, 2009

इस साल का पहला चंद्रग्रहण नौ फरवरी को


इस साल का पहला चंद्रग्रहण सोमवार को होगा। इसे भारत समेत पूर्वी यूरोप, एशिया, आस्ट्रेलिया तथा उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी हिस्सों में देखा जा सकेगा। चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसार शाम छह बज कर आठ मिनट से शुरू होकर रात दस बज कर आठ मिनट पर खत्म होगा। प्लैनेटरी सोसाइटी आफ इंडिया के संस्थापक तथा सचिव रघुनंदन कुमार ने बताया कि रात आठ बज कर आठ मिनट पर चंद्रमा का करीब नब्बे प्रतिशत हिस्सा पृथ्वी के प्रकाशमान क्षेत्र की छाया से ढका होगा। चंद्रग्रहण देखने का सबसे अच्छा समय शाम साढ़े सात से साढ़े आठ बजे के बीच होगा। इस दौरान चंद्रमा के रंग में भी तब्दीलियां नजर आएंगी।

Tuesday, February 3, 2009

शहरों में गरीबी त्रुटिपूर्ण शहरीकरण से है


देश के शहरों में गरीबी की वजह गांवों में अत्यधिक गरीबी होना नहीं बल्कि इसका कारण है देश का त्रुटिपूर्ण शहरीकरण। यह तथ्य शहरी गरीबी पर जारी देश की पहली रिपोर्ट में उजागर किया गया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मदद से तैयार यह रिपोर्ट 'भारत शहरी गरीबी रिपोर्ट-2009' आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने जारी की। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 23.7 प्रतिशत शहरी आबादी झोंपडपट्टियों में बदहाली की हालत में रह रही है लेकिन सभी झोंपडपट्टीवासी गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग नहीं है। ये लोग कमजोर शहरी योजना, शहरी जमीनी प्रबंधन तथा कानूनों के कारण ऐसी स्थितियों में रहने को मजबूर हैं। शहरी गरीबी का तात्पर्य केवल पोषकता का अभाव नहीं बल्कि आवास, पानी, साफ सफाई, चिकित्सा, सुविधाएं, शिक्षा तथा धनउपार्जन के अवसरों की कमी से है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह रिपोर्ट शहरों में रहने वाले गरीबों पर नहीं बल्कि भारत में शहरीकरण की प्रक्रिया पर है जिसमें गरीबी को मुख्य बिन्दु की तरह रखा गया है।