Saturday, October 4, 2008

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

1 comment:

Udan Tashtari said...

सही सीख देता आलेख. यह वाला व्रत तो धार्मिक उद्देश्य से होता है मगर सही व्रत-जैसा आपने बताया.