Monday, October 27, 2008

प्रकाश पर्व के महत्व को बनाए रखें

दीपावली का पर्व प्रकाश का प्रतीक है। यह पर्व हमें अच्छाई के रास्ते पर चलने के साथ ही राष्ट्रीय एकता बनाये रखने का संदेश देता हैं। प्रकाश का यह पर्व लोगों में भाईचारे की भावना को बढ़ाने वाला है और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमारी मिश्रित सभ्यता को सही मायने में प्रदर्शित करता है तथा शीत ऋतु और फसल बुआई की शुरूआत होने का भी संदेश देता है। अज्ञान एवं अशिक्षा के अन्धकार को दूर कर ज्ञान एवं शिक्षा का प्रकाश जन-जन के जीवन में संचित हो इसके लिये हम सबको मिल-जुल कर सेवा भाव से कार्य करने होंगे। मिल-जुल कर भाईचारे एवं मैत्री भाव से इस पर्व को मनाने से साम्प्रदायिक सदभाव सुदृढ़ होता है। सच बात तो यह है कि लंका नरेश रावण का बध करने के बाद जब भगवान राम अयोध्या वापस लौटे थे तब जीत का इजहार करने के लिए नगर में घर-घर दीप जलाए गए थे। राक्षस राज्य के अंत की खुशी में लोगों ने घी के दिए जलाकर राम, सीता और लक्ष्मण का जोरदार स्वागत किया। मुझे भी अपने अंदर की राक्षसी प्रवृत्ति का खात्मा करना होगा, तभी इस त्यौहार का मनाने का औचित्य है।

Tuesday, October 21, 2008

राज ठाकरे किस खेत की मूली हैं

भारत देश का ढाचा संघीय होने के कारण इसमें रहने वाले हर व्यक्ति को अधिकार है कि वह रोजगार के लिए किसी भी प्रांत में आ जा सकता है। इसे रोका नहीं जा सकता है। यदि कोई रोकने की कोशिश करता है तो इसके लिए भारतीय दंड संहिता में रोकने बालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही करने के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। भारत संघ में कानून से बढ़कर कोई भी नहीं है। संघीय ढाचे को बनाए रखने के लिए अदालत है, जिसके एक मात्र आदेश पर राज्य को कानून का उल्लंघन करने वाले के प्रति कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार है। फिर राज ठाकरे किस खेत की मूली हैं, इनसे पूछा जाए कि तुम्हें किसने यह अधिकार दिया है कि मुंबई में उत्तरी भारत के लोग रोजगार के लिए नहीं आ सकते हैं। भारतीय कानून संरक्षण भी देती है और दंड भी देती है। कोई इसके परे नहीं है। इससे और ज्यादा शर्मनाक घटना क्या हो सकती है कि जब रेलवे की परीक्षा देने गए अभ्यर्थियों को परीक्षा से रोका गया और मार-पीट भी की गई। महाराष्ट्र सरकार और उसकी पुलिस हाथ पर हाथ रखे रही। और जब झारखंड की एक कोर्ट ने हस्तक्षेप कर गैर-जमानतीय वारंट जारी किया तब मुंबई पोलिस की आंखें खुली। यह वारंट बहुत पहले जारी हुआ था लेकिन कल ही पोलिस ने स्वीकार किया कि मुझे कोर्ट का वारंट मिल गया है और उस पर तामील जल्द होगा सो उसे आज तामील किया गया। राज ठाकरे धरे गए। पुलिस को इसके खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने चाहिए जिससे अदालत से इन्हें रियायत न मिल सके। कभी राज ठाकरे कहते हैं कि मुंबई मेरे बाप की है। यह कितना बड़ा असंसदीय शब्द है, लेकिन न सरकार ने और न ही पुलिस ने इन पर कोई कार्यवाही की। मैं तो कहता हूं कि ऐसे लोगों के खिलाफ गुंडा ऐक्ट ही नहीं लगना चाहिए बल्कि राज को मुंबई छोड़ने का प्रशासनिक आदेश जारी होना चाहिए। आखिर मेरी समझ में नहीं आता कि उन पर कार्यवाही इतनी देरी से क्यों हो रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि कुछ राजनैतिक दल उन्हें हीरो बनाने के चक्कर में हों और बाल ठाकरे से अलग हुए धड़े का राजनैतिक दोहन किया जा सके। कुछ भी हो देश उन पर सख्त से सख्त कार्यवाही चाहता है जिससे यही नहीं बल्कि और भी लोग सबक ले सकें। गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे को रेलवे की परीक्षा में बैठने के लिए मुंबई आये उत्तर भारतीय परीक्षार्थियों पर उनके समर्थकों द्वारा किए गये हमले के आरोप में आज रत्नागिरी में गिरफ्तार किया गया और बांद्रा की अदालत ने उन्हें चार नवंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

Friday, October 17, 2008

सचिन के धमाके में हुए करोड़ों घायल

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में आज एक और पन्ना जुड़ गया। और वह पन्ना सचिन तेंदुलकर के रूप में जुड़ा जिसने ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया। मेरे विचार से सचिन द्वारा बना रिकार्ड अब जल्दी टूटने वाला भी नहीं है। सचिन की बल्लेबाजी से अनगिनत भारतीयों को रोमांचित भी किया। भारत एक बार फिर क्रिकेट जगत में विव्श्र रिकार्ड तोड़कर उभरा। टेस्ट क्रिकेट में रनों के शिखर पर काबिज होने के बाद सचिन तेंदुलकर ने 12 हजार टेस्ट रन बनाने वाला पहला बल्लेबाज बनकर एक और उपलब्धि हासिल की। यह उपलब्धि तेंदुलकर ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में 15वां रन लेते ही लारा का रिकार्ड तोड़ा और फिर 61वां रन पूरा करके 12 हजार रन का जादुई आंकड़ा छुआ। सचिन की यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने एकदिवसीय क्रिकेट में 16 हजार से अधिक रन बनाये हैं। इस स्टार बल्लेबाज ने अपना 50वां अर्धशतक भी पूरा किया। उनसे पहले केवल एलन बोर्डर (63), राहुल द्रविड़ (53) और स्टीव (50) ही अर्धशतकों का अर्धशतक पूरा कर पाये हैं। यदि वह इस अर्धशतक को शतक में तब्दील करते हैं तो फिर भारतीय सरजमीं पर सर्वाधिक शतक बनाने वाले बल्लेबाज बन जाएंगे। अभी यह रिकार्ड संयुक्त रूप से सुनील गावस्कर और उनके नाम पर है। आस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में दूसरे क्रिकेट टेस्ट से पहले तेंदुलकर को यह उपलब्धि हासिल करने के लिए 15 रन की दरकार थी और उन्होंने आज तेज गेंदबाज पीटर सिडल की गेंद पर तीन रन बनाकर ब्रायन लारा के 11,953 रन के रिकार्ड को पीछे छोड़ दिया। यह देखकर अच्छा लगता है कि एक भारतीय दुनिया में सर्वाधिक रन बनाने वाला बल्लेबाज है। अतीत में यह उपलब्धि सुनील गावस्कर के नाम थी और आज तेंदुलकर ने एक बार फिर हमारे लिए ऐसा किया। भारतीयों के लिए यह गर्व का मौका है। पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे क्रिकेट टेस्ट मैच के पहले दिन अपने करिअर के 7000 रन पूरे कर लिए। गांगुली ने जैसे ही अपना 39वां रन बनाया उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में सात हजार रनों का आंकडा पार कर लिया। इसी के साथ गांगुली ने टेस्ट क्रिकेट में सात हजार रन पूरे करने वाले दुनिया के 33 वें खिलाड़ी बनने का श्रेय हासिल कर लिया। इसके अलावा गांगुली ने सात हजार या उससे ज्यादा रन बनाने वाले भारत के चौथे बल्लेबाज बनने का गौरव हासिल कर लिया है। गांगुली ने अपने 111 वें टेस्ट मैच में यह प्रतिष्ठा हासिल की है। गांगुली से आगे भारत के तीन और बल्लेबाज शामिल हैं। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर 152 टेस्ट मैचों में 12000 से ज्यादा रन बनाकर इसमें शीर्ष पर हैं। पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ 121 टेस्ट मैचों में 10,341 रन बनाकर दूसरे नंबर पर, लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर 125 टेस्ट मैचों में 10,122 रन बनाकर तीसरे नंबर पर हैं। इस सीरीज के बाद संन्यास लेने की घोषणा करने वाले गांगुली नेअब 111 टेस्ट मैचों में 42.21 के औसत से सात हजार से ज्यादा रन बना चुके हैं। उनके टेस्ट मैचों में 15 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। इसी तरह गांगुली के 311 एकदिवसीय मैचों में 41.02 के औसत से 11,363 रन हैं। गांगुली ने वनडे मैचों में 22 शतक और 72 अर्धशतक लगाए हैं1 वह एकदिवसीय मैचों में 11 हजार से ज्यादा रन बनाने वाले दुनिया के चौथे बल्लेबाज हैं। उनसे ऊपर हमवतन सचिन (16,361),श्रीलंका के आक्रामक बल्लेबाज सनत जयसूर्या (12,785) और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक (11739) हैं।

Thursday, October 16, 2008

कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है

मंदी से निपटने के लिए कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है। यदि अच्छी तरह से होम वर्क किया गया होता तो आज छंटनी करने की नौबत नहीं आती। जेट एयरवेज को ही ले लीजिए, पहले तो इस कंपनी ने ढेर सारे विमान खरीद लिए और अब कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। भारत अभी विव्श्र की मंदी की चपेट में नहीं है, लेकिन कुछ शरारती कंपनियां इसी बहाने अपने कर्मियों की छंटनी कर रही हैं, जो सरासर गलत है और राष्ट्र हित में नहीं है। इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा। जगह-जगह प्रदर्शन होंगे, रास्ते जाम होंगे। वायुयानों की उड़ाने प्रभावित होंगी, क्योंकि आज ही जेट एयरवेज से निकाले गए कर्मियों ने प्रदर्शन किया और मुंबई में तो विमानों को उतरने भी नहीं दिया गया। इससे क्या सरकारी राजस्व में कमी नहीं आएगी। मंदी की समस्या से निपटने के लिए कंपनी कर्मचारियों की संख्या में कटौती का रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहिए। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मंदी के असर से एयरवेज न हो, लेकिन इसका विकल्प छंटनी नही है। मंदी का सामना कोई नहीं बात नहीं है। पहले भी सफलतापूर्वक मंदी का सामना करते रहे हैं और इस बार भी हम इससे उबरने का रास्ता ढूंढना होगा। इस्पात उत्पादक टाटा स्टील के विश्वभर में लगभग 82 हजार कर्मी हैं जबकि भारत में इसके कर्मियों की संख्या 33 हजार है लेकिन वह तो छंटनी नहीं कर रही है। एयरवेज के बहुत सारे कर्मचारियों ने आज यहां इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें कंपनी द्वारा नौकरी से हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया और एयर लाइंस प्रमुख नरेश गोयल और किंगफिशर एयर लाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के खिलाफ नारे लगाये। इसके साथ ही इन्होंने जेट एयरवेज द्वारा अपने करीब 1,900 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिए जाने के फैसले पर सरकार की चुप्पी की भी काफी भत्र्सना की। गौरतलब है कि जेट एयरवेज से हटा दिए गये कर्मचारियों में अधिकांश प्रोबेशनर और ट्रेनीज शामिल हैं। कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण घरेलू टर्मिनल पर जेट एयरवेज के काउंटर पर कार्य काफी देर तक बाधित रहा। नागरिक उड्डन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट किया कि एयर इंडिया में कोई छंटनी नहीं की जाएगी और वह अन्य एयरलाइंस से बातचीत करेंगे कि जेट एयरवेज की तरह उनमें बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त न की जाए।

Tuesday, October 7, 2008

'नैनो' हुई गुजरात की, टाटा ने मोदी से लड़ाए नैन


'नैनो' के नैन जब बुद्धदेव भट्टाचार्य से न लड़ सके, तो नैन लड़ाने के लिए कई लोग आगे आने की होड़ में लगे। इनमें प्रमुख कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड राज्य रहे। अंत में नैन लड़ाने के माहिर गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी टाटा की 'नैनो' से नैन लड़ा ही बैठे। मोदी इस बात को जानते हैं कि जब लखटकिया नैनो कार बाजार में उतरेगी तब गुजरात विव्श्र के मानचित्र पर उभरेगा और राज्य को कर के रूप में अधिक मुद्रा मिलेगी, क्योंकि इतना तो तय है कि इस कार की मांग अधिक होगी और जब मांग अधिक होगी तो कार का निर्माण भी तेजी से होगा, मांग-पूर्ति का ग्राफ को संतुलित करने के लिए। अधिक कारें जब बाजार में उतरेगी तो अधिक राजस्व भी राज्य को मिलेगा। क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नैनो परियोजना गुजरात प्रांत के सानंद में स्थापित होने जा रही है। गुजरात के सानंद जिले से जुड़े गांवों के किसानों ने टाटा द्वारा लखटकिया कार नैनो परियोजना को यहां स्थापित करने के निर्णय का स्वागत किया है। यहां के किसान इस परियोजना स्थल के लिए संपर्क मार्ग के निर्माण के संबंध में जमीन देने को तैयार हैं। राज्य सरकार यहां आनंद कृषि विश्वविद्यालय की 1,000 एकड़ जमीन कंपनी को देगी।

Monday, October 6, 2008

दुष्कर्म पीड़िता स्कूल से भी वंचित

आखिर उस लड़की का क्या कसूर था कि उसकी स्कूल से छुट्टी कर दी। कसूर तो उन छात्रों का है जिन्होंने अपने स्कूल की छात्रा को ही हबस का शिकार बना डाला। स्कूल से छात्रों को निकालना सही लगता है। अध्यापक भी कसूरवार हैं, क्योंकि अच्छे संस्कार घर व स्कूल से ही मिलते हैं। क्यों नहीं छात्रों को सांस्कारिक बनाया। अवश्य ही अध्यापक को भी अच्छे संस्कार देने में गलती हुई। अपना कसूर छिपाने के लिए खुद अध्यापक ने छात्रा पर आरोप लगाया कि वह शरारती हरकतों के लिए जानी जाती है। दिल को दहला देने वाली एक घटना हरियाणा के पंचकूला में घटित हुई है। जहां पर कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म और प्रताड़ना की शिकार एक लड़की को उसके स्कूल से निकाल दिया गया। पीड़िता चंडीगढ़ के निकट एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा है। स्कूल प्रबंधन कह रहा है कि मामले के निपटने और पूरी तस्वीर साफ होने के बाद हम उसे स्कूल में दोबारा प्रवेश देंगे। पीड़िता के एक रिश्तेदार का कहना है कि लड़की को अज्ञात नंबरों से कई धमकी भरे फोन आए हैं और लड़की को सुलह की एवज में लाखों रुपये के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं।

Sunday, October 5, 2008

जब अपने हो जायें बेवफा तो दिल टूटे

अच्छा ही हुआ कि पाकिस्तान की जेलों से लौटने तक वे अपनी सुध बुध खो बैठे अन्यथा वे अपनों की बेवफाई बर्दाश्त नहीं कर पाते। इसी साल मई में पाकिस्तान जिन भारतीय बंदियों की रिहाई हुई थी उनमें से ही कुछ ऐसे बदनसीब कैदी हैं जिनका नाम लेवा कोई नहीं। इन बंदियों में कुछ मूर्छारोग से पीड़ित है तो कई मूक तथा बधिर तथा याददाश्त खो बैठे। इन्हें पंजाब के पिंगलवाडा अनाथालय में बाकी जिन्दगी काटनी पड़ रही है। ऐसा ही एक अभागा मूर्छारोग से पीड़ित रिषीपाल मानावाला के समीप भगतपुरन सिंह पिंगलवाडा में अपनों के आने की आस लिये हुये कई महीने गुजार चुका लेकिन हिमाचल में उसके गांव से अब तक कोई उससे मिलने तक नहीं आया। किस्मत क्या रूठी अपने भी बेगाने हो गये। पिंगलवाडा के मनोचिकित्सक डा0 गुलशन कुमार के अनुसार प्रशासन ने हिमाचल सरकार से कई बार रिशीपाल के परिवार का पता लगाने के बारे में संपर्क किया लेकिन अब तक कोई सफलता हाथ नहंी लगी। धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति खराब होती जा रही है। उसे अपने परिवार के किसी सदस्य की याद तक नहीं है। वह इतना ही कहता है कि वह अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। वह पाक जेल में कैसे पहुंचा इसकी कोई याद नहीं। ऐसे ही तीन और बदनसीब हैं जिन्हें उनके अपनों ने भुला दिया। पिंगलवाडा की मुखिया डा0 इंद्रजीत कौर का कहना है कि हम उनकी देखभाल कर रहे हैं तथा उन्हें घर की कमी खले नहीं ऐसा हमारा प्रयास है। तीन और भी हैं जो स्वदेश लौटकर अपने घर का अता पता भूल गये हैं।

Saturday, October 4, 2008

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

जीवन जीने की कला है

नवरात्रि में व्रत रखकर नौ देवियों की नियमित पूजा लोग करते हैं। पुरुष ही नहीं महिलाएं भी व्रत रखती हैं। इनमें कुछ लोग पूरे नौ दिन का व्रत रखते हैं और कुछ लोग पहला और अंतिम दिन व्रत रहते हैं। लेकिन खास बात यह है कि व्रत का मतलब क्या है। व्रत में लोग सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा देने वाला भोजन ले रहें हैं। उदाहरण के तौर पर आटा के रूप में कुट्टू का आटा, नमक के रूप में सेंधा नमक, हरी मिर्च और घी तथा तेल के अलावा फलों व मिठाई का जमकर सेवन हो रहा है। फिर व्रत किस बात का जब सामान्य दिनों की तरह आप नमक, मिर्च, आटा, घी, तेल का सेवन करते हैं। एक बात मुझे याद है कि जब देश में खाद्यान्न की समस्या थी तब तत्कालीन प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा था कि पूरा देश एक दिन व्रत करना सीखे, अर्थात उस दिन भोजन नहीं किया जाए। इससे कई फायदे भी है। पहला तो यही कि एक दिन की भोजन सामग्री की बचत और दूसरा लाभ भोजन न करने से शरीर के कल पुर्जो को कम मसक्कत करनी पड़ेगी जिससे उनमें नवीन शक्ति पैदा होगी। लोग स्वस्थ रहेंगे। कई बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। कुछ बीमारियां तो आपके पास तक आ भी नहीं सकतीं। तो क्यों न हम व्रत का वह सूत्र अपनाएं जो आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से उत्तम है। यही दो क्षेत्र ऐसे हैं जो व्यक्ति के जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं। क्योंकि जीवन जीने की एक कला है और उस कला में निपुढ़ता हासिल करनी है। इसके बाद तो जीवन में अपने आप निखार आएगा। अस्सी साल के भी होकर जवान दिखेंगे। इसलिए व्रत में ज्यादा ऊर्जा वाला भोजन लेने की मनाही है। जीवन जीने की एक कला है और कलाकार आप हैं। आपको ही कलाकृति ऐसी बनानी है कि लोग देखकर फक्र महसूस करें।

Thursday, October 2, 2008

अहिंसा के पुजारी ही बने हिंसा के शिकार


देश और दुनिया को हिंसा और आतंक से मुक्ति तथा समृद्धि के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ने वाला खुद ही हिंसा का शिकार हुआ। रामराज्य का ले आउट तैयार कर चुके थे, किंतु यह ले आउट लागू नहीं हो सका। दिमाग में परिकल्पनाएं राष्ट्रहित की थी, किंतु उनके देहावसान के बाद सारी की सारी योजनाएं धरी की धरी रह गयीं। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जन्म तिथि है। नेता लोग उनकी समाधि पर जाकर दो फूल चढ़ा देते हैं। स्कूलों, बाजारों में बंदी रहती है। क्या कभी किसी नेता ने सोचा कि वह उसी समय आतंक, हिंसा को खत्म करना चाहते थे। इसका मतलब साफ है कि उस समय भी इस तरह की घटनाएं हो रही थीं। गांधी जी इनकी समाप्ति चाहते थे किंतु वह खुद भी हिंसा के शिकार हुए। गांधी जी के बाद कोई ऐसा ताकतवर नहीं मिला देश को जिसने हिंसा और आतंक की जड़ों का नामोनिशान मिटा दिया हो। उसके बाद तो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी हिंसा की शिकार हुए। आज भी देश में ही नही बल्कि विश्‍व में हिंसा और आतंक की घटनाएं जारी हैं। क्या कारण है कि विश्‍व स्तर पर भी कोई ऐसा नेता पैदा नहीं हुआ जिसने निर्दोंषों की हत्या करने वाले आतंकी संगठन का पूरी तरह तहस नहस कर दिया हो। आखिर ऐसा क्यों नहीं हो सका। इसमें अब तक क्यों सफल नहीं हो सके। विश्‍व को जबाव देना पड़ेगा। यदि गांधी जी के द्वारा छोड़े गए अधूरे कार्यो को तभी से पूरा कार्य करने का एक अभियान चलाया होता तो अब तक पूरे हो गए होते। योजनाएं तो बनी किंतु उन्हें सफलतापूर्वक क्रियांवित नहीं हुयीं। गांधी जी के नाम पर लोगों को ठगा गया और लोग ठगते चले गए। आखिर कब तक लोग ठगते रहेंगे। हिंसा, आतंकवाद, गरीबी, अशिक्षा, गांवों में आधे अधूरे विकास यह सब मुंह जबानी बोल रहें हैं कि देश अभी भी इन्हीं सबसे पिछड़ा हुआ है। आखिर कब तक पिछड़ा रहेगा। क्या नेता लोगों को संतुष्ट कर पाएंगे। मुझे उम्मीद है सत्य अहिंसा दया करूणा और परोपकार जैसे सर्वश्रेष्ठ मानवीय मूल्यों पर आधारित गांधी जी के विचार और आदर्श सम्पूर्ण मानवता के लिए हमेशा उपयोगी और प्रासंगिक बने रहेंगे।

Wednesday, October 1, 2008

गांधी जी महान थे, लेकिन सफल नहीं




ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में पहली बार किसी राजनेता पर डाक टिकट जारी किया था पह थे महात्मा गांधी जी। जबकि यही गांधी जी भारत में अंग्रेजों के खिलाफ देश छोड़ो अभियान में लगे हुए थे। गोरे लोगों की भारत में हुकूमत थी। विरोध करने पर नेताओं को जेल में बंद कर दिया जाता था, उनमें गांधी जी सबसे आगे थे और ब्रिटिश सरकार ने उन्हीं पर डाक टिकट जारी किया। यह उनकी महानता का प्रतीक था। उनके व्यक्तित्व का प्रतीक था। महात्मा गांधी की महानता पर कभी संदेह नहीं किया गया, लेकिन उनकी सफलता पर जरूर किया गया। मनुष्य को उसकी दुष्टता से मुक्त कराने में वह उसी तरह असफल रहें जैसे बुद्ध रहे, जैसे ईसा रहे। मगर उन्हें हमेशा ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया जायेगा जिसने अपना जीवन आगे आने वाले सभी युगों के लिए एक शिक्षा की तरह बना दिया। महात्मा गांधी ने हरिजन पत्रिका में लिखा था कि मैं प्रकृति के नियमों के बारे में अपने पूर्ण अज्ञान को स्वीकार करता हूं। लेकिन जिस प्रकार मैं संशयवादियों के समक्ष ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध करने में असमर्थ होने के बावजूद उसमें विश्वास करना नहीं छोड़ सकता। उसी प्रकार मैं बिहार के साथ अस्पृश्यता के पाप के संबंध को सिद्ध नहीं कर सकता। हालांकि मैं सहज ज्ञान के द्वारा इस संबंध को महसूस करता हूं।दो अक्टूबर एक और महान नेता की याद दिलाता है, वह हैं देश के पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी। इन्होंने ही जय जवान, जय किसान का नारा बुलंद किया था। सादा जीवन और ईमानदारी तो इनमें कूट-कूटकर भरी थी। जब देश में आस्ट्रेलिया व अन्य देशों से बमुश्किल लाल गेंहू ही आ पाता था क्योंकि भारत में खाद्यान्न संकट था। जनसंख्या के हिसाब से गेंहू की मांग अधिक होने से शास्त्री जी परेशान थे। उन्होंने ही कहा था कि देश का हर व्यक्ति एक दिन व्रत रहे जिससे गेंहू की बचत हो सके। और यही नहीं सर्वप्रथम उन्होंने ही व्रत रखना शुरू किया। और देश के सामने एक उदाहरण पेश किया। ताशकंद समझौते में जाने के लिए वह जिद पकड़े थे कि वह धोती, कुर्ता में ही जाएंगे, क्योंकि परिस्थितियों ने इनकी पोशाक को धोती, कुर्ता पर समेट दिया था। लेकिन अधिक दबाव में ही रातों रात उनके लिए कोट-पेंट सिला गया तब वह ताशकंद पहुंचे। एक बार की बात है जब उनकी सरकारी गाड़ी उनके पुत्र सुनील शास्त्री घूमने के लिए ले गए थे जब वह वापस आए तो ड्राइवर से कहा कि गाड़ी की लोग बुक में इसकी इंट्री है, तो ड्राइवर घबराया। उन्होंने ड्राइवर को सख्त निर्देश दिया कि जितनी दूर घूमने गए उसका पैसा मैं खुद भरूंगा और याद रहे यह गाड़ी मुझे सरकारी कार्यो को निपटाने के लिए दी गयीं हैं, निजी कामों के लिए नहीं। उस दिन के बाद से सुनील शास्त्री ने कभी भी सरकारी गाड़ी का अपने लिए प्रयोग नहीं किया। यह थे उनके विचार और सिद्धांत। मुझे इस तरह के नेताओं को नमन करना चाहिए और मैं करता हूं। दो अक्टूबर गांधी जी और शास्त्री जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।