लंदन में फिर से मिलने के वायदे के साथ गिरा बीजिंग ओलंपिक का पर्दा। आगाज जितना अद्भुत, अंजाम उतना ही अविश्वसनीय। मानो परीलोक जमीन पर उतर आया हो। बेहतरीन तकनीक, कलाकारों का हैरतअंगेज प्रदर्शन और आतिशबाजी का भव्य नजारा, सभी कुछ था बीजिंग ओलंपिक के समापन समारोह में। दिल की धड़कनों को बिजली की रफ्तार देने वाले अठारह दिनों के रोमांचक सफर के बाद चीन ने यादों के रंगबिरंगे गुलदस्तों के साथ मेहमानों को विदा किया और नए कीर्तिमानों और मीठी यादों के साथ ओलंपिक की ये विरासत लंदन को सौंप दी। चार साल बाद लंदन की मीठी शामें खेलप्रेमियों को नए रोमांच से भरेंगी। आतंकवाद, प्रदूषण और सफल आयोजन की चुनौतियों भी एशियाई सुपरपावर के संकल्प को नहीं डिगा पाई और उसने अपना वायदा बखूबी निभाया। इस खेल महाकुंभ में अमेरिकी बादशाहत को खत्म कर खेलों की नई महाशक्ति बने चीन की सफलता की धमक पूरे विश्व ने सुनी। भला किसने सोचा था कि जिस देश ने अपना पहला ओलंपिक पदक ही 1984 में जीता हो वो 24 साल में ही खेलों की दुनिया पर राज करेगा। चीन ने 51 स्वर्ण, 21 रजत, 28 कांस्य पदक सहित कुल 100 पदक अपने नाम कर ये उपलब्धि हासिल की। भारत के लिहाज से भी बीजिंग ओलंपिक यादगार रहा जब पहली बार वो किसी ओलंपिक से तीन पदकों के साथ लौटेगा। अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर पिस्टल में स्वर्ण, सुशील कुमार ने कुश्ती में 66 किग्रा. भारवर्ग में कांस्य और विजेंद्र कुमार ने मुक्केबाजी का पहला कांस्य भारत की झोली में डाला।समारोह की शुरुआत में चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के अध्यक्ष जैक्स रोगे रंग-बिरंगे माहौल में बर्ड नेस्ट स्टेडियम में अवतरित हुए। इसके बाद ड्रम वादकों ने अद्भुत प्रदर्शन की ऐसी छटा बिखेरी जिसे देखकर सभी ने खुद को दूसरी ही दुनिया में पाया। भव्यता के ओलंपिक की ये वो स्वप्निल दुनिया थी जहां सभी कुछ असाधारण था। कलाकारों ने जब एक के बाद एक शानदार प्रदर्शनों की झड़ी लगाई तो कोई भी आश्चर्यचकित हुए बिना न रह सका और जब सैकड़ो कुंगफू छात्र प्रदर्शन के लिए नेशनल स्टेडियम में उतरे तो पूरा स्टेडियम ही एकटक उनकी मेहनत को साकार होते हुए देखता रह गया। दुनिया के सबसे आबादी वाले देश ने मानव मीनार बनाकर अपनी पहचान को एक चेहरा दिया। इसके बाद ओलंपिक में भाग लेने वाले 204 देशों के ध्वजवाहक मैदान पर उतरे। भारतीय तिरंगा विजेंद्र के हाथों में था जो बीजिंग ओलंपिक में भारत की सफलता की कहानी बयां करता नजर आया। आयोजन समिति के अध्यक्ष लियु कुई और रोगे ने ओलंपिक ध्वज फहराए जाने और ओलंपिक गान से पहले खचाखच भरे स्टेडियम को संबोधित किया। बीजिंग से ओलंपिक ध्वज लंदन ने थाम लिया। लंदन की लाल दोमंजिली बस समूचे स्टेडियम में घूम गई। बस का ऊपरी हिस्सा खुला और टावर ब्रिज, बैटरसी बिजलीघर और पार्लियामेंट के पुतलों के बीच से लंदन मुस्कराने लगा। पाप गायक लियोना लेविस और गिटार वादक पेज ने इस शानदार शाम को यादगार बनाने में कोई कसर न छोड़ी। बस पर खड़े इंग्लैंड के पूर्व फुटबाल कप्तान डेविड बेकहम ने जैसे ही स्टैंड्स में भीड की ओर गेंद उछाली अचानक सबके सामने बर्मिघम पैलेस कौंध गया।इस एक पखवाड़े में कई ख्वाब परवान चढे़ और कितने ही धूल में मिल गए। बेशक अमेरिका के माइकल फेल्प्स ने वाटर क्यूब और जमैका के यूसैन बोल्ट ने बर्ड नेस्ट में खलबली मचा दी हो मगर उनके फौलादी इरादों को कामयाबी की जुबान चीन की धरती ने ही दी। फेल्प्स ने तरणताल में हर रिकार्ड डुबाया और रिकार्ड आठ स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास पुरुष बने जबकि बोल्ट दुनिया के सबसे तेज धावक बने और उन्होंने तीन विश्व रिकार्ड के साथ तीन सोने के तमगे अपने गले में डाले। बीजिंग के आयोजन ने लंदन के लिए आयोजन की नई चुनौती पेश कर दी है। शुक्रिया बीजिंग, गुडलक लंदन।
Monday, August 25, 2008
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