Sunday, August 15, 2010

तिरंगा फहराने के कायदे-कानून


रखरखाव के नियम - आजादी से ठीक पहले 22 जुलाई, 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया गया। तिरंगे के निर्माण, उसके साइज और रंग आदि तय हैं। - फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के तहत झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जाएगा। - उसे कभी पानी में नहीं डुबोया जाएगा और किसी भी तरह नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। यह नियम भारतीय संविधान के लिए भी लागू होता है।प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-2 के मुताबिक, फ्लैग और संविधान की इन्सल्ट करनेवालों के खिलाफ सख्त कानून हैं। - अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसे कपड़ा बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद हुए आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे की इन्सल्ट माना जाएगा। - तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहन लेना भी गलत है। - अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगा बनाकर कोई कपड़ा पहनता हो तो यह भी तिरंगे का अपमान है। - तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। फहराने के नियम - सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच ही तिरंगा फहराया जा सकता है। - फ्लैग कोड में आम नागरिकों को सिर्फ स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर तिरंगा फहराने की छूट थी लेकिन 26 जनवरी 2002 को सरकार ने इंडियन फ्लैग कोड में संशोधन किया और कहा कि कोई भी नागरिक किसी भी दिन झंडा फहरा सकता है, लेकिन वह फ्लैग कोड का पालन करेगा। - 2001 में इंडस्ट्रियलिस्ट नवीन जिंदल ने कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नागरिकों को आम दिनों में भी झंडा फहराने का अधिकार मिलना चाहिए। कोर्ट ने नवीन के पक्ष में ऑर्डर दिया और सरकार से कहा कि वह इस मामले को देखे। केंद्र सरकार ने 26 जनवरी 2002 को झंडा फहराने के नियमों में बदलाव किया और इस तरह हर नागरिक को किसी भी दिन झंडा फहराने की इजाजत मिल गई। राष्ट्रगान के भी हैं नियम - राष्ट्रगान को तोड़-मरोड़कर नहीं गाया जा सकता। - अगर कोई शख्स राष्ट्रगान गाने से रोके या किसी ग्रुप को राष्ट्रगान गाने के दौरान डिस्टर्ब करे तो उसके खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 की धारा-3 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। - ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल की कैद का प्रावधान है। - प्रिवेंशन ऑफ इन्सल्ट टु नैशनल ऑनर ऐक्ट-1971 का दोबारा उल्लंघन करने का अगर कोई दोषी पाया जाए तो उसे कम-से-कम एक साल कैद की सजा का प्रावधान है।

Tuesday, August 10, 2010

कामन के वेल्थ के नाम पर नेताओं का अपना वेल्थ

नई दिल्ली में तीन अक्टूबर से आरंभ होने जा रहे कामनवेल्थ गेम्स को लेकर पैसे के मामले में घमासान मचा हुआ है। एक तो गेम्स की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। कोई भी स्टेडियम अभी तक पूरी तरह से फिट नहीं हैं। चौदह दिन के खेल के लिए लगभग 13 हजार करोड़ रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है। लगभग एक दिन में एक हजार करोड़ रुपये खर्च होने जा रहे हैं, यह सब उन कागजों का कमाल है जो नेताओं की फाइलों में बंद हैं। ऐसा नहीं है कि नई दिल्ली को गेम्स के लिए भरपूर समय न दिया गया हो। एशियाड 1982 के बाद देश की राजधानी में इतने बड़े गेम्स हो रहे हैं। नेताओं और अधिकारियों ने खेल से जुड़ी कई परियोजनाओं को जानबूझकर पूरा करने में देरी की है, जिससे निर्माण लागत बढ़ी। देखा जाए तो अबतक सारी परियोजनाएं पूरी हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मैं स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि गेम्स के बाद कामनवेल्थ गेम्स की आयोजन समिति के सभी पदाधिकारियों, अधिकारियों, मंत्रीगण आदि पर सीबीआई जांच बिठाई जाए। प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने पहले ही कह दिया था कि पैसे की कोई कमी नहीं होने दूंगा। लेकिन नेतागणों और अधिकारियों तथा ठेकेदारों के बीच पैसे का बंदरबांट चल रहा है।देखा जाए तो भारत में इस तरह के खेल के आयोजन के लिए जगह सही नहीं है। भारत में इस तरह के खेल के आयोजन नहीं होने चाहिए। जहां पर भ्रष्टाचार का बोल बाला हो।यदि ईमानदारी से और अच्छा होमवर्क करके कार्य किया गया होता तो आज यह दुर्दशा नहीं होती। जबकि कोई भी नए स्टेडियम नहीं बन रहे हैं। बने हुए स्टेडियमों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।