Wednesday, August 20, 2008

ओलंपिक में भारत ने इतिहास दोहराया


दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ में रहने वाले व रेलवे में कार्यरत और महाबली सतपाल के शिष्य ने 2006 में दोहा एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय देते हुए सुशील कुमार ने इतिहास को दोहराते हुए पेइचिंग ओलम्पिक खेलों की फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पद्र्धा के 66 किलोग्राम वर्ग में कजाखस्तान के लियोनिद स्पिरिदोनोव को चित करके कांस्य पदक जीत लिया। इसके साथ ही 29वें ओलम्पिक में भारत के पदकों की संख्या एक स्वर्ण और एक कांस्य समेत दो हो गई है। इतिहास में ऐसा पहली बार है जब भारत ने एक ओलम्पिक में दो पदक हासिल किये हैं। इस ओलंपिक में ही अभिनव बिन्द्रा ने निशानेबाजी का स्वर्णपदक जीता है। सुशील ने भारत को साढ़े पांच दशक बाद कुश्ती में पदक दिलाया है। इससे पहले केडी यादव ने 56 साल पहले हुए हेलसिंकी ओलम्पिक में भारत को कुश्ती में कांस्य के रूप में एकमात्र पदक दिलाया था। ओलंपिक की कुश्ती स्पर्धा में पदक जीतने वाले सुशील दूसरे पहलवान हैं। जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। पहलवान सुशील कुमार का बीजिंग में कुश्ती में जीता गया कांस्य पदक भारत का ओलंपिक खेलों में कांसे का छठा और कुल मिलाकर 19वां तमगा है। यही नहीं सुशील की इस उपलब्धि ने भारतीय खेलों के इतिहास में एक नया अध्याय भी जोड़ दिया। यह दूसरा अवसर है जबकि भारत ने एक ओलंपिक खेलों में दो पदक जीते लेकिन यह ऐसा पहला मौका है जबकि भारत के नाम पर दो व्यक्तिगत पदक दर्ज हुए। सुशील से पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने दस मीटर एयर रायफल में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रचा था। भारत ने 1952 में हेलसिंकी में खेले गये ओलंपिक खेलों में भी दो पदक जीते थे। उस समय भारत ने हाकी में स्वर्ण जबकि कुश्ती में के डी जाधव ने कांस्य पदक जीता था। इस तरह से भारत कुश्ती में 56 साल बाद पदक हासिल हासिल करने में सफल रहा। बिंद्रा से पहले भारत ने आठों स्वर्ण पदक हाकी में हासिल किये थे।