Sunday, August 3, 2008
फ्रेंडशिप डे सिर्फ दिखावा
आज लोग फ्रेंडशिप डे मना रहें हैं। लोग गुलाब का फूल देकर, एसएमएस भेजकर या फिर मोबाइल पर हेपी फ्रेंडशिप डे कहकर इस डे की इतिश्री कर लेते हैं। क्या यही है फ्रेंडशिप डे। मित्रता तो राम और सुग्रीव ने भी की थी। कहा जाता है कि मित्रता की है तो निभानी ही पड़ेगी। ऐसे कितने लोग हैं जो मित्रता को निभाते हैं। मित्र के साथ छल कपट करके अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। आपके पास पैसा है तो ढ़ेर सारे मित्र बन जाऐंगे और जब कमी हुई तो यही मित्र आपके पास आएंगे भी नहीं, क्या इसी को मित्रता कहते हैं। मित्र तो वह होता है जो सुख-दुख सहित हर परिस्थिति में साथ दे। मित्रता में निस्वार्थ की भावना छिपी रहती है, उसके अंदर आपके प्रति गलत भावना नहीं रहती है। अच्छे मार्ग पर चलने के लिए हमेशा प्रेरणा देते हैं, गलत रास्ते पर जाने से रोकना ही एक मित्र का दायित्व होता है। इस दायित्व को आज कितने लोग निभा रहे हैं। मित्रता कभी टूटती नही हैं, वह आजीवन भर चलती है। जो टूट गया वह मित्र नहीं है। मित्रता में भावना ही सर्वोपरि होता है। यही मित्रता समाज को अच्छे मार्ग की तरफ ले जाता है। आज समाज में विकृतियां इसलिए आ गयीं हैं क्योंकि अच्छे मित्रों का पूरी तरह अभाव नजर आ रहा है। लोग एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हुए हैं। एक दूसरे को नीचा दिखाने पर लगे हैं, फिर भी हम फ्रेंडशिप डे मनाते हैं। यह सिर्फ दिखावा
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2 comments:
सही कह रहे है,
पर कोई बधाई दे रहा है तो मना तो कर नही सकते ?
आज के युग की जैसी मित्रता है, वैसा ही मित्रता दिवस मना रहे हैं लोग. हर साल एक दिन कुछ देर के लिए मित्रता का दिखावा कर लेते हैं.
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