Tuesday, August 19, 2008
हड़ताल से बेहाल लोग
लोगों के जीवन पर हड़ताल का इतना गलत प्रभाव पड़ता है कि पूरी दिनचर्या ही खराब हो जाती है। यदि कोई व्यक्ति बैंक जाता है और ताला लटका हुआ पाते हैं तो उसका गुस्सा वहीं पर फूट पड़ता है। बैंक कर्मी अपने निहित स्वार्थ के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं, उन्हें लोगों की परेशानियों से कोई मतलब नहीं होता। सरकार को इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा देना चाहिए। कल बैंकों में हड़ताल का दिन रहेगा। ट्रेड यूनियनों के साथ साथ सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर कल हड़ताल करने की घोषणा की है। इसका असर विशेषकर सार्वजनिक बैंकिंग परिचालन पर पड़ सकता है। सार्वजनिक बैंकों के कर्मचारियों के एक वर्ग ने विलय तथा बैंकिंग उद्योग में आऊटसोर्सिग के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की है। एसबीआई तथा रिजर्व बैंक के कर्मचारी इसमें शामिल नहीं होंगे। सार्वजनिक बैंकों के साथ साथ क्षेत्रीय ग्रामीण एवं सहकारी बैंकों के कर्मचारी भी इस हड़ताल में भाग लेंगे। सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र में एक ही हफ्ते में यह दूसरी बार हड़ताल होगी। उधर देश की आठ प्रमुख श्रमिक संगठनों ने सरकार की कतिपय श्रमिक विरोधी तथा नव उदारवादी नीतियों के खिलाफ कल हड़ताल की घोषणा की है। हड़ताल देशव्यापी होगी। एटक के अलावा सीटू ने भी इस हड़ताल का समर्थन किया है। इसी तरह केंद्र एवं राज्य सरकारों के 40 विभिन्न कर्मचारी संगठन भी इसमें शामिल होंगे।
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1 comment:
मेरा तो मानना है जो हड़ताल करे उसे बाहर करो उनकी जगह नए लोग व युवाओं को मौका दो. यदि दल हड़ताल करें तो उनकी मान्यता खत्म कर दो.
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