Monday, August 18, 2008

एक तानाशाह का अंत


इतिहास गवाह रहा है कि दुनिया के तानाशाहों और ताकतवर शासकों का अंत हमेशा बुरा हुआ है। उन्हें या तो महाभियोगों का सामना करना पड़ा है या फिर इस्तीफा देना पड़ा है। कुछ को तो फांसी दे दी गई या फिर उनकी हत्या कर दी गई। पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव से पहले ही इस्तीफा देकर इतिहास को दोहराया है। मुशर्रफ से पहले हिटलर, मुसोलिनी से लेकर स्टालिन तक को इन्हीं रास्तों से गुजरना पड़ा है। हिटलर ने आत्महत्या कर ली जबकि स्टालिन को उनकी पार्टी ने उनके पद से हटा दिया। 19वीं सदी में अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के बाद राष्ट्रपति बने एंड्रयू जानसन को भी 1868 में महाभियोग का सामना करना पड़ा था। 1867 में अमेरिकी कांग्रेस ने कार्यालय अवधि कानून बनाया जिसके तहत राष्ट्रपति सीनेट की अनुमति के बगैर किसी अधिकारी को बर्खास्त नहीं कर सकता था, लेकिन राष्ट्रपति जानसन ने अपने सेक्रेटरी वाफ कर एडविन एम स्टैंटन को बर्खास्त कर दिया। इसलिए उन्हें इस कानून के उल्लंघन के मामले में महाभियोग का सामना करना पड़ा, लेकिन एक वोट की कमी से महाभियोग पारित नहीं हो पाया और 26 मई 1868 को जानसन इस आरोप से बरी हो गए। सात अक्टूबर 1998 को प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने कई वरिष्ठ अधिकारियों को दरकिनार कर मुशर्रफ को सेनाध्यक्ष नियुक्त किया था। 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट कर देश की बागडोर संभाली और 2001 में खुद को पांच साल के लिए देश का सैनिक राष्ट्रपति घोषित कर दिया। 2004 में सेनाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रपति बने रहे। आज पूरे पाक में खुशी का नजारा दिखाई दे रहा है। एक तानाशाह का अंत किसे अच्छा नहीं लगता है। वह सेना के बल पर देश पर हुकूमत करता रहा। लोकतांत्रिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर रख दी थी। तानाशाह शासकों का अंत हमेशा बुरा ही हुआ है। इसका गवाह न सिर्फ पाक है बल्कि अमेरिका समेत अन्य देश हैं। अब प्रश्न उठता है कि क्या गद्दी से हटकर मुशर्रफ देश में सुरक्षित रह पाएंगे। हो सकता है कि वह देश ही छोड़ दें। यदि देश छोड़ भी देते हैं तो कब तक उस देश में सुरक्षित रहेंगे, क्योंकि उनको तबाह करने वाले साए की तरह उनके पीछ पड़ेंगे और उनका मटियामेट करके ही मानेंगे। हो सकता मुशर्रफ को भी इसका आभास हो।

2 comments:

Amit Kumar said...

VERY NICE WRITE UP SIR. CARRY ON.

Udan Tashtari said...

बढ़िया आलेख..