Friday, August 15, 2008

इसकी शान न जाने पाए, चाहे जान भले ही जाए


देश आज आजादी की 62वीं वर्षगांठ मना रहा है। सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय तिरंगा झंडा न सिर्फ देश में ही बल्कि विदेशों में भी भारतीय दूतावासों आदि पर फहराए गए। आज हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे तक ने जिस झंडे को लेकर भारत की आन, बान और शान को बरकरार रखा, और शपथ खाई की इसकी शान नहीं जाने देंगे, चाहे जान भले ही जाए। इसी अवधारणा के तहत ही आजादी के लिए छेड़े गए आंदोलन के दौरान लोग तिरंगे को झुकने नहीं देते थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के शासक लोग इस तिरंगे को पैर से कुचला करते थे। किसी भी देश का झंडा उसकी शान हुआ करती है, उसकी पहचान हुआ करती है। आजादी के दीवानों ने इस तिरंगे की रक्षा करने में अपने प्राणों की बाजी तक लगा दी थी, हजारों लोग मारे भी गए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। तब जाकर देश को आजादी मिली। अब इस धरोहर को बरकरार रखना हमारा प्रमुख दायित्व बनता है। हर वर्ष आज के ही दिन हम कसम खाते है कि देश की आन, बान और शान के ढांचे को बरकरार रखेंगे। लोगों को आज के दिन विशेष संकल्प लेना चाहिये ताकि उन लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके, जिन्होंनें देश को आजाद कराने में अपनी कुर्बानी दी। बासठवें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक ऐसा नया भारत देखना चाहते है, जिसमें वैज्ञानिक सोच हो और जहां शिक्षा का फायदा समाज के हर तबके को मिलता हो। कश्मीर घाटी में कडे़ सुरक्षा प्रबंधों के बीच आज 62वां स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज 62वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले पर तिरंगा फहरानें के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि मैंने अपने जिंदगी के पहले दस साल एक छोटे से गांव में बिताए जहां न बिजली थी, न पीने का पानी का सही इंतजाम, न कोई डाक्टर, न सड़क, न ही फोन। मुझे मीलों पैदल चलकर स्कूल जाना पडता था। मुझे रात में मिट्टी क े तेल के लैंप की हल्की रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ती थी। आजादी मिलने के बाद ग्रामीण इलाकों में काफी विकास हुआ है फिर भी जिस तरह की जिंदगी मैंने बचपन में गुजारी थी वैसी ही जिंदगी अभी भी हमारे देश में बहुत से लोग गुजार रहे हैं। आज देश में जनसंख्या के अनुपात में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। और यह अभाव बना रहेगा क्योंकि जब तक देश के मंत्री, नेता ईमानदार होकर सरकारी धन को विकास योजना के लिए नहीं लगाएंगे तब तक उम्मीद करना बेकार है कि विकास होगा। केंद्र से आवंटित धन को राज्य सरकारें गलत ढंग से तैयार किए गए रजिस्टर के माध्यम से खा-पी रहीं है। यह देश का दुर्भाग्य है कि ईमानदार लोग नेता नहीं बन रहे है, और जो नेता है वह ईमानदार नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पर आज हम शपथ लें कि बेईमान, भ्रष्ट नेताओं को समाज में प्रमुख स्थान न दें, क्योंकि वह हमारा ही पैसा खाकर हमें ही विकास से दूर रख रहे हैं। आजादी के उन रणबांकुरों के प्रति, जिन्होंने अपने प्राणों को देश के प्रति न्यौछाबर कर दिए थे उनके लिए देश को आजाद कराना पहली प्राथमिकता थी, को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब आज के नेताओं को ईमानदारी, कानून का ज्ञान, समाज में रहने के तौर-तरीके व चरित्र को न गिरने देने की शिक्षा आ जाएगी।

2 comments:

सुनीता शानू said...

आपको व आपके परिवार को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
जय-हिन्द!

Udan Tashtari said...

स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.