Wednesday, August 13, 2008

स्वर्ण पदक विजेता महिला की मार्मिक कहानी


यह एक बेटी के पिता से बिछड़ने की मार्मिक कहानी है और यह बेटी कोई और नहीं बल्कि चीन की ओलंपिक चैंपियन गुआओ वेनजुन है जिसके पिता नौ साल पहले उससे बिछड़ गये थे। चौबीस वर्षीय गुआओ ने महिलाओं की दस मीटर एयर पिस्टल में नये ओलंपिक रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता और फिर अपनी कहानी सबके सामने बयां की और आशा जतायी कि इस सफलता से उनका दूसरा सपना सच हो जाएगा और वह फिर से अपने पिता को देख पाएगी। तभी से गुआओ के पिता को ढूंढने के लिये आनलाइन पर खोज अभियान शुरू हो गया है। चाइना डेली के अनुसार गुआओ जब 14 साल की थी तब उनके माता-पिता में तलाक हो गया था। उसने अप्रैल 1999 से अपने पिता को नहीं देखा है। गुआओ को अगले दिन सिचुआन प्रांत के चेंगदु में राष्ट्रीय एयर पिस्टल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये जाना था लेकिन उससे पहली रात उसके पिता चुपचाप उसे छोड़कर चले गये। इस निशानेबाज के पास अपने पिता की निशानी के तौर पर सलेटी रंग का कोट और उसके कोच हुआंग यानहुआ के लिये लिखा गया पत्र है। इस पत्र में उन्होंने लिखा था मैं बहुत दूर जा रहा हूं, मैं चाहता हूं कि आप मेरी पुत्री के साथ अपनी बेटी जैसा व्यवहार करो और उसे अपना सर्वश्रेष्ठ हासिल करने में मदद करो। अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य के लिए पिता का पत्र कोच को लिखा जाना मार्मिक घटना है, पिता धर्म निभाना है, किंतु उसे कोच के सहारे छोड़ कर घर से भाग जाना कहां की बहादुरी है। क्या यही पिता का धर्म होता है कि अपनी संतान को दूसरों के हवाले कर घर हमेशा के लिए छोड़कर चले जाना। लेकिन हिम्मत की दाद देनी होगी इस बेटी को जिसने हिम्मत न हारते हुए अपने लक्ष्य को पाया, क्योंकि ओलंपिक में हर खिलाड़ी का एक ही लक्ष्य होता है पदक जीतना, और यह पदक यदि सोना हो तो कहना ही क्या। कोच ने भी अपनी भूमिका अदा की, कि उसे इस काबिल बना दिया कि आज विश्व को उस पर नाज है। कर्तव्य विहीन पिता की उसे याद सालती रहेगी।

3 comments:

PREETI BARTHWAL said...

भगवान से दुआ करेंगे कि पिता को अपनी गलती का एहसास हो और वह अपनी बेटी के पास वापस आ जाए। आमीन!!!!!!

सुनीता शानू said...

पिता का इस तरह छोड़ कर चले जाना सचमुच अच्छा नही था,मगर जहाँ संकल्प लिये जाते है कुछ कर गुजरने के, उन्हे किसी सहारे की आवश्यकता ही नही पडती,और फ़िर उसे ज्ञान रूपी दीपक के रूप में गुरू जो मिल गये थे, शायद यही अच्छा था उसके लिये....

Udan Tashtari said...

इस तरह छोड़ देना दुखद है.