Monday, August 11, 2008

सोने पर लगा निशाना

भारत की कभी हाकी में दुनिया में तू-तू बोला करती थी, लोगों में ऐसी आस्था बन गई थी कि हाकी का स्वर्ण तो भारत के खाते में ही जाएगा। और सच बात भी है कि ओलंपिक में भारत ने आठ स्वर्ण पदक सिर्फ हाकी में मिले थे, लेकिन व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत की झोली में कोई भी स्वर्ण पदक नहीं आए थे। इस कमी को आज भारत के सच्चे सपूत भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग प्रतियोगिता में पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर ओलम्पिक में इतिहास रच कर पहले भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं। भारत की झोली में 1980 के मास्को ओलंपिक में आखिरी स्वर्ण गिरा था जो हाकी टीम ने जीता था। एथेंस ओलंपिक में चूके चंडीगढ़ के इस निशानेबाज की मेहनत रंग लाई और खेलों के महासमर में भारत का यह योद्धा आखिरकार तीसरे प्रयास में नाकाम नहीं रहा। राजीव गांधी खेल रत्न प्राप्त बिंद्रा की यह उपलब्धि भारतीय खेलों की दशा और दिशा बदल देगी। यह भारत के इतिहास के महानतम दिनों में से एक है। अभिनव ने सोमवार को 10 मीटर रायफल शूटिंग प्रतियोगिता के लिए क्वॉलिफाई किया था। पूरे देश में खुशी की लहर है। हालांकि, भारत के ही गगन नारंग इसी प्रतियोगिता के फाइनल में प्रवेश करने से चूक गए। वह 600 में से 595 अंक जुटाकर प्रतियोगिता में नौवें स्थान पर रहे। नारंग ने 97 100 100 98 100 के राउंड खेले। वहीं, खेल रत्‍‌न से सम्मानित बिंद्रा क्वॉलिफाइंग राउंड में चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने 596 अंक के साथ फाइनल के लिए क्वॉलिफाई किया था। उन्होंने 100 99 100 98 100 और 99 के राउंड खेले। बिंद्रा ने 700.5 अंक हासिल कर स्वर्ण पर निशाना साधा। इनमें से 596 अंक क्वालीफाइंग मुकाबले में और 104.5 अंक फाइनल मुकाबले में हासिल किए। उल्लेखनीय है कि ओलम्पिक में हॉकी को छोड़कर भारत कभी किसी खेल में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया था। लेकिन ¨बद्रा ने नया इतिहास रचते हुए न केवल स्वर्ण जीता बल्कि भारत को बीजिंग ओलम्पिक की पदक तालिका में भी स्थान दिला दिया। 25 वर्षीय ¨बद्रा ने भारत को 28 साल के अंतराल के बाद ओलम्पिक में स्वर्ण पदक दिलाया है। भारत ने वर्ष 1980 के मास्को ओलम्पिक में हॉकी का स्वर्ण जीता था।

3 comments:

राज भाटिय़ा said...

बधाई हॊ जी

Udan Tashtari said...

जीत की बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं!

समयचक्र said...

जीत की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं...