Sunday, August 10, 2008

15 अगस्त को 165 वर्ष बाद पृथ्वी वरुण ग्रह के निकट पहुंचेगी

सौर परिवार के ग्रहों के निकट आने के संयोग तो कई बार बनते है लेकिन इनके परिवार में पृथ्वी तथा वरुण ग्रह करीब डेढ़ सौ वर्ष से अधिक समय बाद आगामी 15 अगस्त को अत्यधिक निकट आ जायेगें। सौरमंडल में प्रतिवर्ष ग्रहों के निकट आने की खगोलीय घटनाएं होती है और इसके चलते पृथ्वी के वातावरण एवं मौसम पर भी इसका काफी प्रभाव देखा जाता है लेकिन पृथ्वी 15 अगस्त को वरुण ग्रह के निकट पहुंच जायेगी। इसके निकट आने के संयोग के चलते पृथ्वी पर इसका आंशिक प्रभाव देखा जायेगा तथा वैज्ञानिकों के लिये इन ग्रहों की निकट आने की घटना अपने आप में महत्वपूर्ण होगी। यू तो पृथ्वी वरुण ग्रह के नजदीक से गुजरती है लेकिन वरुण ग्रह की कक्षा अंडाकार होने के कारण इस वर्ष 15 अगस्त को 165 वर्ष बाद दोनों ग्रहों की दूरी न्यूनतम हो जायेगी। यह घटना इसके पूर्व सन् 1843 को हुई थी। वरुण सौरमंडल का अंतिम व चौथा सबसे बड़ा नीले रंग का ग्रह है और यह हाईड्रोजन गैस से निर्मित है तथा इसकी सतह पर ठोस जमीन नहीं है। इस ग्रह के वातावरण में हवा दो हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से प्रचंड तूफान के रूप में बहती है। वरुण ग्रह का व्यास 48 हजार किलोमीटर एवं इसके दिन रात 15 घंटे 48 मिनट के होते है और इस ग्रह का तापमान माईनस 220 डिग्री सेंटीग्रेड है तथा इसके वातावरण में मात्र एक टुकड़ा सफेद बादल की तरह तैरता रहता है जिसे खगोल वैज्ञानिक स्कूटर के नाम से पहचानते है। पृथ्वी से इसकी अधिकतम दूरी चार अरब 80 करोड़ किलोमीटर होती है लेकिन 15 अगस्त को इसकी न्यूनतम दूरी चार अरब 35 करोड़ किलोमीटर हो जायेगी। हालांकि इसकी 45 करोड़ किलोमीटर की दूरी कम होगी और कभी कभी दिखने वालक वरुण ग्रह को कोरी आंखों से देखना असंभव है। पृथ्वी से इसको 15 अगस्त के दिन शक्तिशाली टेलीस्कोप से आसानी से देखा जा सकता है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस जानकारी के लिए.