Wednesday, January 21, 2009

कठिन हैं चुनौतियां, ओबामा युग आरंभ




बराक हुसैन ओबामा ने मंगलवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर अमेरिकी इतिहास की नई इबारत लिखी। अमेरिका के पहले अश्र्वेत राष्ट्रपति ओबामा ने देश के 44 राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। करीब 20 लाख लोग इस ऐतिहासिक पल के गवाह बने। आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे अमेरिका को बदलाव का नारा देने वाले ओबामा से बड़ी उम्मीदें हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने अपने पहले संबोधन में कहा भी कि देश युद्ध के दौर से गुजर रहा है। अर्थव्यवस्था संकट में है। लोगों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ रहा है। देश को इस स्थिति से उबारने के लिए कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेकेंगे। उम्मीद और बदलाव की लहरों पर सवार होकर अमेरिका को बदलने निकले ओबामा को अमेरिका ने पहली बार एक अश्र्वेत अफ्रीकी के बेटे को अपना मुखिया बनाकर दासता और रंगभेद के तकलीफदेह इतिहास का बदला लेने का संकल्प दिखाया। उत्तेजना, जोश और भावुकता से सराबोर यह माहौल इस बात की गवाही के रहा था कि एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। ओबामा को वह कर दिखाना है, जो उनकी पीढ़ी में किसी को नहीं करना पड़ा। अमेरिका को उनसे चमत्कार की उम्मीदें हैं। अमेरिका के इतिहास में आजतक किसी भी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में इतनी भीड़ नहीं जुटी। शपथ ली तो ऐसा लग रहा था कि मानो दुनिया के एक नए दौर में प्रवेश करने से पहले सबकुछ ठहर गया हो। उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि देश के सामने कई चुनौतियां हैं, लेकिन उन पर विजय पा ली जाएगी। भारत अपेक्षा करता है कि अमेरिका का नया प्रशासन भारत के साथ बढ़ते द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने वाला हो। वह आतंकवादी गुटों के सफाए के लिए पाकिस्तान पर और ज्यादा दबाव बनाए। असैन्य परमाणु सहयोग पर पहले की ही तरह पूरा समर्थन भारत को मिले। निशस्त्रीकरण पर भारत के रुख, खासकर परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने के फैसले को वह समझे। शपथ ग्रहण समारोह पर करीब 850 करोड़ रुपए खर्च हुए। ओबामा ने उसी बाइबिल पर शपथ ली जिस पर कभी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने शपथ ली थी। उन्हें देश के मुख्य न्यायाधीश जॉन जी रार्बट जूनियर ने शपथ दिलाई। अंतत: दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन गए अश्र्वेत केन्याई पिता और श्र्वेत अमेरिका मां के बेटे बराक हुसैन ओबामा बीस जनवरी को अमेरिका नए इतिहास का साक्षी बन गया। अश्वेत राष्ट्रपति बराक ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह के ऐतिहासिक पलों का गवाह बनने के लिये लगभग 20 लाख लोगों का हुजूम व्हाइट हाउस के इर्द गिर्द इकट्टा था। पिछले 70 सालों में सबसे भीषण आर्थिक दौर से गुजर रहे अमेरिकियों में उम्मीद की किरण पैदा करने वाले ओबामा के बदलाव की लहर पर सवार लाखों अमेरिकी देश के कोने-कोने से यहां इस यादगार लम्हें का हिस्सा बनने से लिये खिंचे चले आये। क्या गोरे और क्या काले इन सबके कदमों को कड़ाके की ठंड भी रोकने में नाकाम साबित हुई। इनके हुजूम को व्हाइट हाउस तक पंहुचाने के लिये एक हजार से अधिक बसों का इंतजाम किया गया था और ठसाठस भरी बसों में ये लोग दूर दराज के इलाकों से 12 घंटे तक का सफर तय कर यहां पंहुचे। देश के इतिहास में पहली बार किसी अश्वेत को दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति पद की शपथ लेते देखने के लिये ओबामा समर्थकों की भीड़ संसद भवन .केपिटल हिल. के बाहर तड़के ही एकत्रित होने लगी थी। मानो सभी को इस बात का पूरा एहसास था कि दिन निकलने का इंतजार किया तो पैर रखने की भी जगह नहीं मिलेगी। व्हाइट हाउस को दुल्हन की तरह सजाया गया था। ओबामा को अपनी ओर आकर्षित करने लिए। ओबामा व उनका परिवार श्वेत घर में प्रवेश कर चुका है। एक अश्र्वेत का श्वेत घर में प्रवेश करना इस बात का द्योतक है कि रंगभेद समाप्त हो चुका है। यहां पर रंगों को नहीं कामों को तबज्जो देंगे ओबामा। और इसी उम्मीद के साथ मैं उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

हमारी भी शुभकामनाऐं.