Monday, January 26, 2009

पहली बार बिना पीएम के मनाया गया गणतंत्र दिवस


देश के साठवें गणतंत्र दिवस पर राजधानी में आयोजित परेड समारोह में पहली बार प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति खली। स्वास्थ्य कारणों से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अनुपस्थित थे। ऐसा पहली बार हुआ कि कोई प्रधानमंत्री गणतंत्र दिवस पर रहा। भारतीय गणतंत्र की साठवीं सालगिरह के मौके पर यहां राजपथ पर देश के सुरक्षा बलों के अप्रतिम शौर्य की गूंज के साथ ही देश की सैन्य शक्ति और विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत के रंगबिरंगे प्रदर्शन से देशवासी राष्ट्रीय गौरव की भावना से अभिभूत हो गए। अपने अदम्य साहस और शौर्य के बलबूते दुश्मनों के छक्केछुड़ा देने और देश की आन बान और शान की रक्षा के लिए शहीद हुए ग्यारह वीर सपूतों को इस अवसर पर 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया गया। रक्षा मंत्री एके एंटनी की ओर से इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ ही गणतंत्र दिवस समारोहों का शुभारंभ हुआ। करीब सवा दो घंटे चले इस कार्यक्रम के दौरान सशस्त्र सेनाओं के शौर्य और पराक्रम का नजारा मिलने के साथ देश की बहुआयामी संस्कृति की झलक भी देखने को मिली। सशस्त्र सेनाओं ने एक ओर जहां अत्याधुनिक उपकरणों का प्रदर्शन किया, वहीं सेना, नौसेना और वायुसेना के अलावा अ‌र्द्धसैनिक बलों ने मार्च पास्ट का बेहतरीन नमूना पेश किया। कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों ने भी सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। करीब ढाई किलोमीटर लंबे राजपथ पर आयोजित भव्य रंगारंग परेड की शुरुआत में राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल इस बार के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि कजाकस्तान के राष्ट्रपति नूरसुल्तान एबशिवच नजरवाएव के साथ सलामी मंच पर आसीन हुयीं। इसके बाद राष्ट्रपति और मुख्य अतिथि को इक्कीस तोपों की सलामी दी गयी। राष्ट्रपति के ध्वज फहराने और राष्ट्रगान के साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह शुरू हो गया। उत्कृष्ट बहादुरी और अनुकरणीय कर्तव्यपरायणता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ग्यारह वीर सपूतों को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किये जाने की घोषणा किए जाने के समय उपस्थित जनसमूह की आखें नम हो गयीं। .इस बार की गणतंत्र दिवस में झांकि यां और शस्त्र प्रदर्शनों की संख्या कम रखी गयी जिससे यह समारोह दस बजे से शुरू होकर सवा बारह तक निपट गया। ..इस बार भीड अपेक्षाकृत कम आयी। ..परेड के दौरान एक बच्चे का जूता निकल गया जिसे बाद में सफाई कर्मियों ने वहां से हटाया। ..भारीभरकम अग्नि तीन प्रक्षेपास्त्र जैसे ही राजपथ पर आया वहां आये जनसमूह ने एकबारगी आंखे खुली रह गयी। ..इस बार शक्तिशाली भीष्म टैंक की गड़गड़ाहट ने परेड की अगुवाई की। ..सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच जगह जगह लोगो की तलाशी ली गयी और लोगों को कुछ भी परेड स्थल पर ले जाने नहीं दिया गया। ..इस बार सूर्य किरण विमान का जलवा देखने से लोग वंचित रह गये। ..राष्ट्रपति के पति देवी सिंह शेखावत की सुंदर और लम्बी पगड़ी ने सभी का ध्यान खींचा। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को टेलीविजन पर साठवें गणतंत्र दिवस समारोह को देखा। बाइपास सर्जरी के बाद प्रधानमंत्री एम्स में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। राजधानी दिल्ली में यातायात प्रतिबंधों के बावजूद ऐतिहासिक राजपथ पर देश के साठवें गणतंत्र दिवस समारोह को देखने के लिए लोगों का जोश पूरे उफान पर था। हालांकि यातायात प्रतिबंध के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा और समारोह स्थल तक पहुंचने के लिये कम-से-कम तीन से चार किलोमीटर तक की पैदल यात्रा करनी पड़ी। सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए पुलिस ने बसों को दक्षिण दिल्ली में सफदरजंग मकबरा के पास ही रोक दिया और आटो को तुगलक रोड पुलिस स्टेशन से आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके बाद अलग-अलग श्रेणी के पासवालों को औरंगजेब रोड एवं तुगलक रोड से राजपथ तक की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ी। प्रशासन की ओर से शटल बसों की व्यवस्था तो थी लेकिन वह सीमित थी। इन मार्गो पर सुबह आठ बजे तक कोई शटल बस नजर नहीं आयी। उस पर भी बच्चों, बूढ़ों एवं महिलाओं को भी पैदल ही इतनी दूरी तय करनी पड़ी। इतना ही नहीं लोगों को निर्देशित करने के लिये विभिन्न जगहों पर खड़े पुलिसवालों को टिकट पर अंकित कतार नंबर तक पहुंचने के लिये रूटों का पता नहीं था और उन्हें लोगों को सही जानकारी देने में कठिनाई हो रही थी। इससे लोग प्रभावित हो रहे थे।

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