Thursday, January 8, 2009

पाक फंसा अपनी ही कूटनीति में

पाकिस्तान ने मुंबई हमले में पकडे़ गये आतंकवादी अजमल कसाब के पाकिस्तानी नागरिक होने की बात कबूलने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल (सेवानिवृत्त) महमूद अली दुर्रानी को बर्खास्तगी करने केबाद अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र में अपने राजदूतों को स्वदेश बुला लिया है। जनरल दुर्रानी की बर्खास्तगी के बाद पाकिस्तान सरकार ने अचानक अमेरिका में अपने राजदूत हुसैन हक्कानी और संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि अब्दुल्ला हुसैन हारून को इस्लामाबाद बुलाने का फरमान जारी कर दिया। वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास और संयुक्त राष्ट्र से इन राजनयिकों के इस्लामावाद रवाना होने की पुष्टि कर दी गयी। इन राजनयिकों को जनरल दुर्रानी की बर्खास्तगी के बाद कसाब को पाकिस्तानी नागरिक के रूप में स्वीकार करने के कारण अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में किरकिरी होने के बाद आगे की कूटनीतिक व्यूहरचना के लिये इस्लामाबाद बुलाया गया है। पिछले दो दिनों में अचानक तेजी से बदले घटनाक्रम पर विचारविमर्श के बाद ही पाकिस्तान मुंबई हमले में भारत के दावों का प्रतिउत्तर देगा। इतना ही नहीं कसाब को अपना नागरिक स्वीकारने के बाद अमेरिका की नजर में भी जरदारी सरकार की अपने मंत्रियों और आला अधिकारियों पर मजबूत नियंत्रण न होने की बात भी उजागर हुयी है। मुंबई हमले जैसे अतिसंवेदनशील मामले में जरदारी सरकार अपने आला अधिकारियों और मंत्रियों की जुबान पर लगाम कस पाने में नाकाम रही और इससे अमेरिका के लिये भी असहज स्थिति पैदा होती दिखी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी को बर्खास्त कर दिया गया है। प्रधानमंत्री सैयद यूसुफ रजा गिलानी ने दुर्रानी को उनके पद से इसलिए हटाया क्योंकि उन्होंने मीडिया से मुंबई आतंकवादी हमलों में गिरफ्तार अजमल आमिर कसाब के पाकिस्तानी होने की पुष्टि की थी। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार दुर्रानी ने प्रधानमंत्री को विश्वास में लिए बिना यह बयान दिया था जो उनका गैर जिम्मेदाराना रवैया था। जबकि दुर्रानी को सच कबूलने की सजा मिली है। इससे स्पष्ट होता है कि पाक नेता झूठ बोलकर अपनी कुर्सी बचाए हुए हैं।

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