Sunday, January 4, 2009

झूठिस्तान या फिर आतंकिस्तान के नाम से जाना जाए पाक


मिलना और बिछुड़ना प्रकृति का सास्वत नियम है। फिर भी लोग उगते सूर्य को ही सलाम करते हैं। मिलना श्रंगार रस का द्योतक है। इसलिए नए तेवर, कलेवर के साथ नव वर्ष में जा चुके हैं और पुराना वर्ष स्वत: ही भूतकाल में जा पहुंचा। वर्ष ख्008 को आसानी से नहीं भुलाया जा सकता है। क्योंकि भारत की जमीन पर पूरे साल आतंकी हमले होते रहे हैं। आतंकी धमकियां मिलती रही हैं। यहां तक कि देश की राजधानी भी अछूती नहीं रही। वर्ष के ग्यारहवें महिने की ख्म् तारीख ने पूरे देश को ही नहीं बल्कि विश्र्व को हिला कर रख दिया। क्योंकि यह वही तारीख है जब मुंबई पर पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादियों ने हमले किए थे। और मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था धरी की धरी रह गई थी। मुंबई का ऐतिहासिक ताज होटल जिसमें आतंकवादी प्रवेश कर के एके ब्7 से अधाधुंध गोलियां चलायीं और लगभग दौ सौ निर्दोष लोगों ने अपनी जानें गवायीं। हमारे जांबाज कमांडो ने जो अदम्य साहस का परिचय दिया, तारीफ-ए-दिल है। लगभग तीन दिन चली मुठभेड़ में नौ आतंकी ढेर हुए और एक को पकड़ लिया गया। पकड़ा गया आतंकी कसब ने पुलिसिया पूछताछ में अपने को पाकिस्तान का नागरिक बताया। उसने वह सब रहस्य खोल दिए जिसका भारत को इंतजार था। किंतु इसके बावजूद पाकिस्तान कह रहा है कि कसब मेरे देश का नहीं है। झूठ बोलने की सीमा को भी पाक लांघ गया। सारे साक्ष्य पाक के खिलाफ हैं। पाक ने अमेरिका के दबाव में दिखावटी कुछ कार्यवाही की है, लेकिन वह नाकाफी है। भारत बार-बार कह रहा है कि पाक संदिग्ध आतंकियों को मुझे सौंपे किंतु पाक कह रहा है कि मैं नहीं सौंपूंगा। अब यह तो निश्चित हो ही गया कि पाक में भूले भटके लोगों को शिवरों में आतंकी बनने के लिए प्रशिक्षिण दिया जा रहा है। इसके पहले मुशर्रफ कहते चले आ रहे थे कि पाक में एक भी आतंकी शिविर नहीं हैं। पाक में नेताओं की झूठ बोलने की बहुतायत हो गई है।मेरा तो यही मानना है कि यह देश झूठिस्तान या फिर आतंकिस्तान के नाम से जाना जाए।नया वर्ष लोगों के लिए नई सौगात लेकर आए, देश पर कहीं आतंकी हमले न हों, निर्दोष लोग मारे न जाएं, देश फिर से सोने की चिडि़या बने यही मेरी शुभकामनाएं हैं।

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