Monday, December 28, 2009

कानून के दांव पेंच में उलझा रुचिका मामला

रुचिका गिरहोत्रा कांड में यौन शोषण के दोषी हरियाणा के पूर्व डीजीपी एस. पी. एस. राठौर ने आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप हटवा दिया था। इसके अलावा उसने इस मामले की जांच कर रहे एक पूर्व सीबीआई अफसर को रिश्वत देने की भी कोशिश की थी। इस बीच, रुचिका के परिवार ने ऐलान किया है कि इस मामले में राठौर के खिलाफ ताजा केस दायर किया जाएगा, जिसमें उस पर रुचिका को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया जाएगा। उनका यह भी आरोप है कि राठौर ने अपने रुतबे का इस्तेमाल करके रुचिका को उसके स्कूल से निकलवा दिया था। हालांकि रिपोर्ट में छेड़छाड़, आत्महत्या के लिए उकसाने, रिपोर्ट में फर्जी दस्तावेज लगाने के आरोप लगाए थे। लेकिन राज्य में पुलिस का सबसे बड़े अधिकारी के पद पर रहते हुए राठौर ने जांच को प्रभावित करने का पूरा प्रयास किया। केस हल्का क्यों किया गया । हालांकि यही रुचिका मामले का मुख्य बिंदु है जिसे लेकर न्यायालय भी सक के दायरे में आ गई है। लेकिन प्रश्न यह है कि सीबीआई जांच में इतनी देरी क्यों होती है। न्याय के क्षेत्र में यह कहावत प्रचलित है कि देर से न्याय होने से न्याय नहीं मिल पाता है। आईपीसी, सीआरपीसी और पुलिस अधिनियम में बड़े स्तर पर संशोधन करने की जरूरत है। जब तक लोकप्रिय संशोधन नहीं होंगे, आम जनता इसी तरह पिसती रहेगी। शक्तिशाली लोग अपराध करके पाक बने रहेंगे। देश का चारा घोटाला को ही ले लीजिए, एक दशक हो गया है लेकिन अभी तक दोषी कुर्सियों पर बैठे हैं। सत्ता का सुख भोग रहे हैं। पुलिस थाने पर एफआईआर आसानी से दर्ज नहीं होती है। आम जनता को थाने से भगा दिया जाता है। जब एफआईआर ही दर्ज नहीं होगी तो कोर्ट में वाद कैसे चलेगा। और जब एफआईआर दर्ज होती है, तो पुलिस ही तोड़ मरोड़ कर एफआईआर दर्ज करती है। देखा जाए तो नेताओं ने आम जनता को आगे न आने के लिए ही पुलिस का सहारा लेकर उन्हें गलत केसों में फसवा देते है। देश पर शासन करने वाले ही जब घटिया किस्म के नेता होंगे तो ऐसा ही होगा। आम जनता कभी भी एक जुट नहीं हो सकती है। और जिस दिन यह एक हो गए उसी दिन देश की तस्वीर भी बदल जाएगी। यदि रुचिका का परिवार राठौड़ को कड़ी सजा दिलवाना चाहता है तो राठौड़ भी कम कलाकार नहीं है कि वह चुप बैठा होगा, वह भी एक कदम आगे चल रहा होगा। इसके अलावा राठौर की सहायता करने वाले कुछ तत्व भी थे जो यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उसके खिलाफ ऐसे आरोप न लगें। रुचिका के पिता ने कहा कि सीबीआई ने पहले यह आरोप नहीं लगाया इसी लिए राठौर कड़ी सजा से बच गया। अब आईपीसी की धारा 306 के तहत राठौर के खिलाफ केस दर्ज करेंगे। इस मामले में राठौर के वकील अजय जैन ने कहा है कि रुचिका मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने की कोशिश कामयाब नहीं होगी क्योंकि ये आरोप तथ्यों के सामने ठहर नहीं पाएंगे।

1 comment:

Udan Tashtari said...

दांव पेंच में उलझा देना ही ताकतवरों और रसूखदारों का शगल है...


यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी