Saturday, January 2, 2010
नए साल में शेयर बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीद
नए साल में भारतीय शेयर बाजार में तेजी जारी रहने की उम्मीदें हैं और सेंसेक्स नई बुलंदियों को छू सकता है, लेकिन इसका लाभ आम निवेशकों तक भी पहुंचना चाहिए। शेयर बाजारों को नए साल में नरम कर प्रणाली, खुदरा निवेशकों की बढ़ी हुई भागीदारी तथा सरकारी विनिवेश कार्यक्रम में तेजी की उम्मीद है। वैश्विक आर्थिक मंदी के बावजूद वर्ष 2009 में शेयर बाजार के निवेशकों का धन दोगुना हो गया। भारतीय शेयर बाजार के नए वर्ष में और बढ़ने की क्षमता है और विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार लाभ केवल प्रवर्तकों और विदेशी निधियों तक पहुंचने के बजाय खुदरा निवेशकों तक पहुंचना चाहिए।वर्ष 2010 में लक्ष्य 21,206.77 अंक की अब तक की सर्वोच्च ऊंचाई (यह ऊंचाई 2008 में हासिल की गई थी) को फिर से हासिल करना और उससे भी आगे जाने का है। वर्ष 2009 के अंत में सेंसेक्स एक साल पहले के स्तर के मुकाबले 81 प्रतिशत या 7,817.50 अंक की बढ़त के साथ 17,464.81 अंक पर पहुंच गया। इस प्रक्रिया में बाजार में निवेशकों का धन लगभग दोगुना होकर 60,00,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। विदेशी निवेशकों ने दुनिया की दूसरी सबसे तेजी सी बढ़ती अर्थव्यवस्था के प्रति अपना भरोसा जताते हुए निवेश किया।अगर सब कुछ ठीक रहा, तो बाजार में निवेशकों का धन 1,00,00,000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने की क्षमता है।आज, भारत दुनिया भर में इक्विटी निवेशकों का तरजीही गंतव्य है जैसा कि विदेशी संस्थागत निवेशक और इस वर्ष प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह (35 अरब डालर) से स्पष्ट है।बाजार का उतार-चढ़ाव दर्शाने वाला इंडेक्स घटकर 20 अंक पर आ गया है जो वर्ष भर पहले करीब 80 अंक के स्तर पर था। यह बाजार में बढ़ते विश्वास की ओर संकेत करता है और इस प्रकार से जबर्दस्त प्रवाह के जारी रहने की उम्मीद है।हमारे खुद के लोग, विशेषकर खुदरा निवेशक भी इसकी पहचान कर सकते हैं तथा ऐसी अर्थव्यवस्था में निवेश करने का दीर्घावधि लाभ उठा सकते हैं जिसके आगे के कई वर्षो में 7.5 से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। हमें घर की मुर्गी को दाल बराबर नहीं समझना चाहिए। और अवसरों को नहीं चूकना चाहिए।नए साल से बाजार को जो उम्मीदें हैं उनमें कम कारोबारी लागत, दीर्घावधि पूंजी लाभ कर से जारी विस्तारीकरण और मुद्रास्फीति को अंकुश में रखने के उपाय शामिल हैं ताकि कम ब्याज दर की व्यवस्था कायम रहे।शेयर बाजार ने वर्ष 2009 में सरकार के राजकोषीय पैकेज और सतत पूंजी अंत:प्रवाह से ताकत हासिल की। भारत ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सात प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर अर्जित की जिसका श्रेय बढ़ी हुई विनिर्माण गतिविधियों को जाता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 80,000 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे जो रिकार्ड ऊंचाई है। हालांकि, खुदरा निवेशकों की भागीदारी कोई खास महत्वपूर्ण नहीं थी जिसका उल्लेख किया जाए।
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