Tuesday, January 5, 2010
रुचिका मामले में राठौड़ की समस्या और बढ़ी
हरियाणा पुलिस ने आज रुचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का ताजा मामला दर्ज किया। जिससे भविष्य में राठौड़ की समस्या और बढ़ सकती है।आईपीसी की धारा 306 के तहत राठौड़ और कुछ अन्य के खिलाफ तीसरी प्राथमिकी दर्ज की गई।पुलिस ने सिफारिश की है कि मामले की जांच 'विशेष जांच दल :एसआईटी:' को सौंपी जाए जो राठौड़ के खिलाफ दो अन्य नए मामलों की जांच कर रहा है। 1990 में रुचिका के साथ छेड़छाड़ के मामले में राठौड़ को हाल ही में छह माह की कैद की सजा सुनाई गई थी।एसआईटी राज्य सरकार से सिफारिश करेगी कि तीनों मामलों को सीबीआई को सौंपा जाए, जैसा कि रुचिका गिरहोत्रा परिवार ने मांग की थी। लोग खुश हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अपना वादा निभाया। पिछले हफ्ते हुड्डा ने संकेत दिया था कि राठौर के खिलाफ रुचिका के भाई आशु द्वारा दर्ज शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज हो सकती है।प्राथमिकी यह संकेत भी देती है कि राठौड़ का प्रभाव कम हो रहा है। इसके पूर्व राठौड़ ने हर कदम पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था।उम्मीद है कि जांच एजेंसियां समयबद्ध तरीके से काम पूरा करेंगी और अंतत: न्याय मिलेगा।कुछ दिन पहले आईपीसी की धारा 306 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी और हरियाणा के मुख्यमंत्री ने उस समय कहा था कि पुलिस इस पर कानूनी सलाह मांग रही है।जब तंत्र जागता है तो सबकुछ हो जाता है। केंद्र सरकार भी इस मामले में दबाव बना रही है ताकि ऐसा दोबारा नहीं हो। अपनी कार्रवाई से अब उन्होंने आम आदमी को दिखाया है कि इस देश में कानून है। रुचिका ने छेड़छाड़ की घटना के तीन साल बाद 1993 में आत्महत्या कर ली थी। उसके भाई आशु ने पंचकूला पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराकर राठौड़ और कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की थी। पहले दर्ज दो प्राथमिकियों में आरोप लगाया गया था कि पूर्व डीजीपी राठौड़ ने रुचिका के भाई आशु की हत्या की कोशिश की थी और रुचिका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की थी। आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में आईपीसी की धारा 306 के तहत अधिकतम सजा 10 साल की कैद दी जा सकती है।
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