Thursday, September 24, 2009

चंद्रयान ने खोजा चांद पर पानी

भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी की मौजूदगी के प्रमाण खोज निकाले हैं। चंद्रयान-1 के साथ भेजे गए नासा के उपकरण 'मून मिनरलोजी मैपर' ने परावर्तित प्रकाश की तरंगदै‌र्ध्य का पता लगाया जो ऊपरी मिट्टी की पतली परत पर मौजूद सामग्री में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक संबंध का संकेत देता है। चंद्रयान-1 द्वारा जुटाए गए विवरण का विश्लेषण ने चंद्रमा पर पानी के अस्तित्व की पुष्टि कर दी है। इस खोज ने चार दशक से चले आ रहे इन कयासों पर विराम लगा दिया है कि चंद्रमा पर पानी है या नहीं। यह दावा उन्होंने अपोलो अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा स्मृति के रूप में धरती पर लाए गए चंद्र चट्टानों के नमूनों के अध्ययन के बाद किया था, लेकिन उन्हें अपनी इस खोज पर संदेह भी था क्योंकि जिन बक्सों में चंद्र चट्टानों के अंश लाए गए, उनमें रिसाव हो गया था। इस कारण यह नमूने वातावरण की वायु के संपर्क में आकर प्रदूषित हो गए थे।वैज्ञानिकों का मानना है कि नाभिकीय विखंडन के परिणामस्वरूप चंद्रमा पर चट्टानों और मिट्टी में मौजूद ऑक्सीजन की प्रोटोन्स के रूप में सूर्य द्वारा उत्सर्जित हाइड्रोजन के साथ हुई अंत:क्रिया से पानी बना होगा। जैसे ही ए प्रोटोन चंद्रमा से टकराते हैं, वे ऑक्सीजन को मृदा तत्वों से अलग कर देते हैं। जहां स्वतंत्र ऑक्सीजन और हाइड्रोजन एक साथ होते हैं, वहां इस बात का पता लगाने के अधिक अवसर होते हैं कि वहां पानी बनेगा।उपकरण ने पानी के तत्वों की पहचान के लिए इस बात का विश्लेषण किया कि चंद्रमा की सतह पर सूर्य का प्रकाश किस तरह परावर्तित होता है जिसमें वैज्ञानिकों ने पानी जैसे रासायनिक संबंधों वाले तत्वों को पाया।वैज्ञानिकों ने विभिन्न खनिजों की विभिन्न तरंदैध्र्यो में परावर्तित प्रकाश का अध्ययन किया और इन अंतरों का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि ऊपरी मिट्टी की पतली परत में क्या मौजूद है। टीम का मानना है कि उनकी खोज का खास महत्व है, क्योंकि चंद्रमा पर जाने की मानव की इच्छा लगातार बनी हुई है। भारत के पहले मून मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी ढूंढ़ लिया है। चंद्रयान अपने साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मून मैपर लेकर गया था। मून मैपर को चांद की सतह पर पानी के सबूत मिले हैं। चांद की सतह पर पानी झील या तलाब के रूप में नहीं है बल्कि चट्टान और धूलकणों में भाप के रूप में फंसा हुआ है। जाहिर है पानी की मात्रा काफी कम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चांद धरती के किसी भी मरुस्थल से ज्यादा शुष्क है लेकिन इसकी मिट्टी में मौजूद नमी से पानी निकाला जा सकता है। इससे पहले चांद के पास उन गड्ढों में बर्फ पाई गई थी, जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती हैं। चंद्रयान के जरिए चांद पर पानी के सुराग मिलने को भारत के लिए बड़ी सफलता माना जा रहा है। चंद्रयान ने इसरो से संपर्क टूटने से पहले ही चांद पर पानी की तस्वीरें भेजी थीं। चांद पर पानी के बाद अब वहां जिंदगी होने की संभावना बढ़ गई है। इसरो प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान इसरो के लिए 100 फीसदी सफल रहा है। इसरो चंद्रयान द्वारा भेजे गए आंकड़ों का अध्ययन कर रहा है। अब हम चंद्रयान 2 मिशन के उपर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

2 comments:

Arvind Mishra said...

एक बड़ी उपलब्धि भारत की ....

महेन्द्र मिश्र said...

बहुत बड़ी उपलब्धि है हमारे देश की इस पर सभी को नाज है .