Monday, July 20, 2009
सूर्यग्रहण देखने को जुटेंगे विश्व भर से लाखों सैलानी
भारतीय खगोलविद आर्यभट्ट ने तारों की गति के अध्ययन के लिए लगभग एक हजार वर्ष पूर्व जिस स्थान पर शिविर लगाया था, उसी गांव में 21वीं सदी के सबसे लंबे सूर्य ग्रहण के दर्शन के लिए बुधवार को कई लोग एक बार फिर जुटेंगे। वह स्थान है बिहार की राजधानी पटना से 30 किलोमीटर दक्षिण में तरेगना। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी इस ऐतिहासिक खगोलीय घटना को देखने के लिए इसे सबसे उपयुक्त स्थान करार दिया है। गांव के नाम का अर्थ निकालने पर लगता है कि तारों की गिनती के कारण ही इसका यह नाम पड़ा होगा। संभावना जताई जा रही है कि विश्व भर से दो लाख से अधिक वैग्यानिक, अनुसंधानकर्ता और खगोल प्रेमी सैलानी यहां सूर्यग्रहण देखने को जुटेंगे। तरेगना में तीन मिनट 48 सेकेंड से अधिक समय तक सूर्यग्रहण दिखाई देगा। बहरहाल सबसे अधिक समय तक सूर्यग्रहण का नजारा प्रशांत महासागर में छह मिनट 38 सेकेंड तक दिखाई देगा।राज्य सरकार आगंतुकों को सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराएगी। पटना में होटलों के अधिकतर कमरे पहले से ही वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और पर्यटकों के लिए आरक्षित कर दिए गए हैं।पटना के तारामंडल में लोगों में विशेष चश्मे के लिए भीड़ देखी जा रही है। चश्मे 20 रुपए में बिक रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सूर्यग्रहण सुबह साढ़े पांच बजे से शुरू होकर दो घंटे तक रहेगा।इस दुर्लभ खगोलीय घटना को लेकर दर्शनार्थियों को चिंता हो रही है। मानसून के कारण इस आकाशीय घटना की दृश्यता को लेकर वैज्ञानिक चिंतित हैं और वे सोच रहे हैं कि सूर्यग्रहण के समय आकाश साफ रहेगा या नहीं।आर्यभट्ट ने ग्रहों को देखने के लिए तरेगना में शिविर स्थापित किया था। जब उन्होंने 'आर्यभट्टीय' लिखा उस समय संभवत: वह पाटलीपुत्र में थे। यह पुस्तक गणित और खगोलविज्ञान के सिद्धांतों से संबंधित और बची हुई एक मात्र रचना है। उल्लेखनीय है कि 19 अप्रैल 1975 में तत्कालीन सोवियत संघ से भारत का पहला उपग्रह छोड़ा गया था और महान खगोलविद के नाम पर इसका नाम आर्यभट्ट रखा गया था।
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1 comment:
जानकारी का आभार!!
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