Tuesday, July 21, 2009

सूर्यग्रहण के दौरान खुलेगा गामा किरणों की बदलती तीव्रता का भेद


इक्कीसवीं सदी के सबसे लंबे पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान भारतीय वैज्ञानिक 22 जुलाई को गामा किरणों की बदलती तीव्रता की गुत्थी सुलझाने की कोशिश करेंगे। यह खास प्रयोग देश के दो शहरों-इंदौर और सिलीगुड़ी में एक साथ किया जा रहा है। इसके जरिए वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि दुर्लभ खगोलीय घटना के दौरान गामा किरणों की तीव्रता में कितना बदलाव आता है। इंदौर में इस प्रयोग का साक्षी राजा रमन्ना सेंटर फार एडवांस्ड टेक्नालाजी बन रहा है। इसमें टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च :मुंबई: और जेसी बोस इंस्टीट्यूट :कोलकाता: के वैज्ञानिक भी भाग ले रहे हैं। पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान गामा किरणों की तीव्रता में परिवर्तन का पता लगाने के लिए आरआरकैट में सोडियम आयोडाइड डिटेक्टर जैसे विकिरण मापी यंत्र तैनात किए गए हैं। इस दौरान गामा किरणों के साथ-साथ आवेशित कणों और न्यूट्रान की तीव्रता में बदलाव की भी थाह ली जाएगी।प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिक पिछले दस दिनों से यहां लगातार गामा किरणों की तीव्रता के आंकड़े जमा कर रहे हैं। इनकी तुलना पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान मिलने वाले आंकड़ों से की जाएगी।पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान इंदौर और सिलीगुड़ी से मिलने वाले आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण किया जाएगा। सिलीगुड़ी में प्रयोग की कमान टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च और नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के हाथों में है।पिछले पूर्ण सूर्यग्रहणों के वक्त गामा किरणों की तीव्रता में विविधता पाई गई है। यह किरणें वायुमंडल में उच्च ऊर्जा वाली कास्मिक किरणों की आपसी क्रिया से उत्पन्न होती हैं।

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