संसदीय चुनाव की लहर पूरे देश में आरंभ हो चुकी है। राजनैतिक पार्टियां शतरंज की बिसात बिछाने में मशगूल हैं। सत्ता की बागडोर हासिल करने की नूरा-कुश्ती शुरू हो चुकी है। इसी डोर को हासिल करने के लिए राजनैतिक पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशी खड़े कर रही हैं। लगभग सभी राजनैतिक पार्टियों का एक ही मकसद रह गया है कि ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता प्राप्त की जाए। इसके लिए अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को उम्मीदवार बनाने से नहीं हिचकती हैं पार्टियां। इन लोगों के डर, भय से कांपते हैं लोग और देते हैं वोट। यदि वोट नहीं दिया तो चुनाव बाद परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना पड़ता है। इसका असर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा दिखाई पड़ता है जहां पर मतदाता कम पढ़े-लिखे हैं और अपराधियों से डरते हैं। इस तरह के लोग खड़े ही न हों इसके लिए संविधान मौन है। अपराधी प्रवृत्ति के लोग सांसद बनकर नीति-निर्धारण नहीं करते हैं, बल्कि संसद में गंभीर मसलों पर मौन धारण किए रहते हैं। पूरा सत्र निकल जाता है वह सदन में बोलते ही नहीं हैं। हां, हंगामा करवाना हो तो यह लोग संसद नहीं चलने देते हैं।
मैं तो कुल मिलाकर यही कहूंगा कि सबसे पहले सत्तालोलुप राजनैतिक पार्टियां ऐसे लोगों को टिकट न दें। यदि टिकट देतीं हैं तो इनको सही जगह पर पहुंचा दिया जाए। इन लोगों की सही जगह संसद नहीं है, बल्कि जेल ही इनकी सही जगह है। इसके लिए लोगों को जागरूप होना पड़ेगा। अपने दिल से डर निकाल कर सही उम्मीदवारों का चयन कर संसद पहुंचाएं। उत्तर प्रदेश को ही ले लीजिए बसपा ने बारह उम्मीदवार सिर्फ अपराधी-प्रवृत्ति के लोगों को टिकट दिए हैं, इनको हराने की जिम्मेदारी क्षेत्र के मतदाताओं की है। यदि सारे मतदाता एक होकर आवाज निकाल दें कि अब स्वच्छ छवि वाले ही क्षेत्र का प्रतिनिधि संसद में करेंगे तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि देश का सबसे बड़ा पंचायत भवन की तस्वीर ही बदल जाएगी। जब देश की ही तस्वीर बदलेगी तो समझिए आपके क्षेत्र की तस्वीर बदलना स्वभाविक है। लोग भय मुक्त होकर जीवन यापन कर सकते हैं। इसलिए अब मौका आ गया है अपनी सोच को बदले का, बदल डालिए और ध्वस्त कर दीजिए इन लोगों के मंसूबे।
Tuesday, March 24, 2009
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1 comment:
काबिलेतारीफ, इतना अच्छा लिखने के लिए आपको धन्यवाद।
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