Saturday, November 8, 2008

ओबामा का संघर्ष काम आया


संघर्षशील व्यक्ति अपना रास्ता स्वयं ही खोज लेता है। वैसे तो महत्वाकांक्षी हर प्राणी होता है लेकिन सफलता सिर्फ उन्हीं को मिलती है जो संकट काल में भी धैर्य बनाकर लक्ष्य की ओर अग्रसर रहते हैं। क्योंकि उस पथ की पथिक पथिकता क्या, जिस पर बिखरे शूल न हों। उस नाविक की धैर्य कुशलता क्या जिसकी मझधार प्रतिकूल न हो। यह कर दिखाया अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार 47 वर्षीय ओबामा अश्वेत नागरिक अधिकार नेता मार्टिन लूथर किंग द्वारा अमेरिकियों को समानता के उनके सपने को स्वीकार करने की चुनौती दिये जाने के ठीक 45 साल बाद व्हाइट हाउस की दौड़ में विजेता बने हैं। राष्ट्रपति ओबामा उनकी पत्नी मिशेल और उनकी सुंदल लड़कियों को व्हाइट हाउस के दरवाजों से दाखिल होते देखना जबर्दस्त होगा। मैं जानता हूं कि लाखों अमेरिकी इस प्रेरणादायी क्षण पर गर्व से भर जायेंगे जिसके लिए कई ने इतने लंबे समय तक इंतजार किया। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति बराक ओबामा निश्चित ही मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक राहत योजना बनाएंगे। अमेरिका इस समय सबसे गंभीर आर्थिक मंदी का सामना कर रहा है। हमें इससे निजात पाने के लिए तेजी से काम करना होगा। ओबामा ने एक पीढ़ी के सपने को पूरा किया जिसने नस्लीय बराबरी के लिए नागरिक अधिकार आंदोलन को देखा। यह क्षण विशेष तौर पर अमेरिकियों की एक पीढ़ी के लिए बड़ा है जिन्होंने अपनी आखों से नागरिक अधिकार आंदोलन को देखा और चार दशक बाद एक सपने को पूरा होने देख रहे हैं। वैसे देखा जाए अन्याय पर न्याय की और असत्य पर सत्य की ही जीत हुई है। भारत और दक्षिण अफ्रीका में भी श्वेत और अश्वेत की लड़ाईयां लड़नी पड़ी, अपने अधिकार के लिए। निश्चत है कि जब किसी जाति विशेष पर जुल्म होने लगते हैं तो एक न एक दिन यही जाति राज्य पर शासन भी करती है। इसलिए मेरा तो यही कहना है कि सभी को समानता का अधिकार मिलना चाहिए। रंग भेद की नीति को हमेशा-हमेशा के लिए दभन कर देना चाहिए।

2 comments:

Vivek Gupta said...

सुंदर विचार | ओबामा की जीत में अमेरिकन युवा और महिलाओं का विशेष महत्त्व है | इन्ही के महत्वपूर्ण वोट से ये क्रांति सम्भव हुयी |

Udan Tashtari said...

उत्तम विचार!!!