Thursday, December 30, 2010

इंजीनियरिंग के लिए 12 वीं के मार्क्स को मिलेगी वेटेज

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि सरकार इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (आईआईटी) के एंट्रेंस के पूरे सिस्टम को बदलने जा रही है। सिब्बल ने कहा कि बढ़िया स्टूडेंट्स के आईआईटी में दाखिले के लिए जरूरी है कि मौजूदा कोचिंग सिस्टम खत्म किया जाए।

शुक्रवार को आईआईटी काउंसिल की बैठक के बाद सिब्बल ने कहा कि इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम के पैटर्न में बदलाव की सिफारिश मंत्रालय ने पहले भी की थी। आईआईटी खड़गपुर के डायरेक्टर दामोदर आचार्य के तहत एक कमिटी बनी थी जिसने इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए 12वीं के रिजल्ट को वेटेज देने और जेईई से पहले नैशनल लेवल का एप्टिट्यूड टेस्ट लेने की बात कही थी। कमिटी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है और इस बात पर सभी रजामंद हैं कि एंट्रेंस एग्जाम के सिस्टम को बदलने की जरूरत है। नया सिस्टम कैसा हो, यह अभी फाइनल किया जाना बाकी है।

सिब्बल ने कहा कि हमें स्टूडेंट के 12वीं लेवल पर परफॉर्मेंस को भी देखना चाहिए... वरना कुछ राज्यों के स्टूडेंट्स तो आईआईटी में एडमिशन ले ही नहीं पाएंगे। 12वीं के एग्जाम के मार्क्स को वेटेज दी जाएगी और ये मार्क्स पूरे साल स्टूडेंट की परफॉर्मेंस के आधार पर तय होंगे। इससे कोचिंग का ट्रेंड अपने आप खत्म हो जाएगा।

सिब्बल ने कहा कि साइंस ऐंड टेक्नॉलजी सेक्रेटरी टी. रामासामी के तहत एक कमिटी बनाई गई है और यह अपनी रिपोर्ट तीन महीने में पेश करेगी। इसके बाद हम सभी आईआईटी के साथ रिपोर्ट पर चर्चा करेंगे। सभी आईआईटी ने कहा है कि वे जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम को जारी रखना चाहते हैं। पर अगर विकल्प दिया जाएगा तो वे अपनी फैकल्टी के साथ उसे डिस्कस करेंगे।

विदेशी स्टूडेंट्स और फैकल्टी: आईआईटी में विदेशी स्टूडेंट्स और परमानेंट विदेशी फैकल्टी को भी शामिल किया जाएगा। विदेशी स्टूडेंट्स का पर्सेंट 25 तक होगा और उन्हें पीजी लेवल पर ही एडमिशन मिलेगा। विदेशी फैकल्टी 10 पर्सेंट से ज्यादा नहीं रखी जाएगी। विदेशी स्टूडेंट्स की सीटें पहले से मौजूद भारतीय छात्रों की सीटों के अलावा जोड़ी जाएंगी।

मेडिकल स्ट्रीम भी जुड़ेगी: सिब्बल ने कहा कि आईआईटी में पीजी लेवल पर मेडिसिन और मेडिकल रिसर्च के कोर्स भी शुरू किए जाएंगे। चूंकि मेडिसिन फील्ड में इंजीनियरिंग तकनीक की बेहद जरूरत होती है, इसलिए आईआईटी में मेडिसिन कोर्स की जरूरत महसूस की गई। इस बारे में मेडिकल काउंसिल से अप्रूवल मिलने के बाद आईआईटी एक्ट में जरूरी बदलाव भी किए जा सकते हैं।

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