Tuesday, December 21, 2010

100 रुपए तक महंगी हो सकती है एलपीजी

तेल मंत्रालय बहुत जल्द आपके किचेन का बजट बढ़ा सकता है। अगस्त के बाद से रसोई गैस की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हुई 66 फीसदी की बढ़ोतरी के मद्देनजर मंत्रालय कुकिंग गैस के हर सिलिंडर पर 50-100 रुपए बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के राजनीतिक असर पर विचार-विमर्श करने के बाद सरकार अगले बुधवार को इस पर आखिरी फैसला लेगी। दरअसल, अगले साल इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के 20,000 करोड़ रुपए का एफपीओ जारी होने से पहले सरकार कंपनी के बहीखाते को मजबूत करना चाहती है।

अगस्त से अब तक एलपीजी के अंतरराष्ट्रीय दाम में दो-तिहाई की तेजी आ चुकी है, जिसका असर घरेलू तेल कंपनियों के बहीखाते पर पड़ा है, क्योंकि देश में सालाना 30 लाख टन लिक्विफाइड नेचुरल गैस (एलपीजी) आयात किया जाता है। इस मामले की सीधी जानकारी रखने वाले दो अधिकारियों ने बताया कि अगले साल 1 जनवरी से प्रति सिलिंडर सब्सिडी का बोझ बढ़कर 367 रुपए हो जाएगा है, जो राजधानी में सिलिंडर के मौजूदा रीटेल भाव 345.35 रुपए से भी ज्यादा है।

अधिकारियों ने बताया कि तेल मंत्रालय 22 दिसंबर को होने वाली बैठक में मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह (ईजीओएम) से एलपीजी की कीमत बढ़ाने की अनुमति लेगा। उम्मीद है कि इस बैठक में डीजल के दाम बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा। तेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, 'हम यह नहीं बता सकते हैं कि कुकिंग गैस और डीजल की कीमतों में कितनी बढ़ोतरी की जाएगी, क्योंकि इस पर ईजीओएम ही फैसला लेगा।' ईजीओएम का फैसला आखिरी होगा क्योंकि इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत नहीं है।

पूर्वी एशिया में एलपीजी का सबसे ज्यादा उपभोग भारत में होता है और इसकी आपूर्ति के लिए सालाना 30 लाख टन कुकिंग गैस का आयात किया जाता है। तेल मंत्रालय की शाखा पेट्रोलियम प्लानिंग ऐंड एनालिसिस सेल का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान देश में एलपीजी की मांग 1.40 करोड़ टन रहेगी। देश के एलपीजी उपभोग में सालाना 5-8 फीसदी की बढ़ोतरी होने से आयातित एलपीजी पर देश की निर्भरता बढ़ रही है। सरकारी तेल कंपनियां नई दिल्ली में 345.35 रुपए प्रति सिलिंडर बेच रही हैं। अधिकारियों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार भाव की तुलना में सरकारी तेल कंपनियों को घरेलू बाजार में एलपीजी सिलिंडर की बिक्री पर 1 जनवरी से 367 रुपए का घाटा होगा, क्योंकि अगले महीने से आयात और महंगा होने वाला है।

सरकारी तेल कंपनियों ने इस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया कि अगले महीने से वे किस कीमत पर एलपीजी कार्गो आयात कर रही हैं। उनका कहना है कि यह गोपनीय है। नाम जाहिर न करने की शर्त पर सरकारी तेल कंपनियों के एक विश्लेषक ने कहा कि इस साल अगस्त में वैश्विक बाजार में एलपीजी की कीमत 600 डॉलर प्रति टन थी, जो अब बढ़कर 1,000 डॉलर प्रति टन से ज्यादा हो गई है और अभी भी इसमें तेजी जारी है। पिछले हफ्ते तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में प्रति लीटर लगभग 3 रुपए का इजाफा किया था, लेकिन उन्हें डीजल, कुकिंग गैस और केरोसन की कीमतें बढ़ाने की छूट नहीं है।

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