Thursday, September 23, 2010

अयोध्या: एक फैसला और 28 मुद्दे

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 24 को फैसला आएगा। पूरा देश यह जानना चाहता है कि आखिर इस विवादित जमीन पर किसका मालिकाना हक है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट की स्पेशल लखनऊ बेंच ने 28 मुद्दों को अपने फैसले का आधार बनाया है। यानी जमीन पर किसका मालिकाना हक इसको तय करने को लेकर कोर्ट ने इन 28 मुद्दों पर गौर फरमाया है। इस विवादित जमीन के लिए 5 मुकदमे चल रहे हैं। इसके अलावा कोर्ट एक दर्जन से ज्यादा मामला निपटा चुका है, जिसमें जमीन की मिल्कियत, पूजा-प्रार्थना के मामले को लेकर लोगों ने मुकदमें दायर किए थे। इस मामले में पहला मुकदमा 1885 में दायर किया गया था। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में यह मुकदमा दायर किया था। उन्होंने फैजाबाद कोर्ट से इजाजत मांगी थी कि उन्हें विवादित ढांचे के पास चबूतरा बनाने की इजाजत दी जाए, जहां पर भगवान की प्रार्थना की जा सके। लेकिन, कोर्ट ने इस मुकदमे को खारिज कर दिया था। कोर्ट का तर्क था कि 350 (1528) साल पहले यह विवाद हुआ था और आपने मुकदमा काफी लेट किया है। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल बादशाह बाबर के सिपहसलार मीर बाकी द्वारा 1528 में कराया गया था। हिंदू धर्माचार्यों का दावा है कि मीर बाकी ने हिंदू मंदिर को तोड़ कर वहां मस्जिद का निर्माण किया था। 1949 में कुछ लोगों ने विवादित ढांचे में जबरन भगवान राम की मूर्ति रख दी और पूजा की इजाजत मांगी, लेकिन प्रशासन ने उसे यथास्थिति बनाए रखा। इस मामले में 16 जनवरी 1950 को 2 अलग-अलग मुकदमे दायर हुए। ये मुकदमे हिंदू महासभा की तरफ से गोपाल सिंह विशारद और दिगंबर अखाड़ा की ओर से परमहंस रामचंद्र दास ने किए। जिस भी पार्टी के खिलाफ फैसला आएगा वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। यहां तक कि क्यूरेटिव पिटिशन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को भी चुनौती दिया जा सकता है। ये हैं 28 मुद्दे जिन के आधार पर फैसला होगा:- अयोध्या मसले पर अदालत का फैसला 24 सितंबर को आने वाला है। इस मामले में 28 मुद्दे शामिल हैं, जिन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फ्रेम किए हैं। आइए नजर डालें - क्या ढहा दिया गया ढांचा मस्जिद था, जैसा कि वादी मुस्लिम संगठन दावा करते हैं? अगर हां, तो यह कब और किसने बनावाया था-मुगल बादशाह बाबर ने या उनके अवध गवर्नर मीर बाकी ने। क्या यह एक हिन्दू मंदिर को ध्वस्त कर बनाया गया था? क्या मुसलमान बाबरी मस्जिद में अनंत काल से इबादत करते आए थे? क्या मुसलमानों ने 1528 में कथित रूप से ढांचा बनाए जाने के बाद इस जायदाद को खुले रूप से और निरंतर अपने कब्जे में रखा था? क्या मुसलमानों ने इसे 1949 तक अपने कब्जे में रखा था, जब उन्हें इससे बेदखल कर दिया गया? क्या इस पर केस बहुत देर से दायर किया गया? क्या प्रतिकूल और लगातार कब्जे के जरिए हिन्दुओं ने उस स्थल पर पूजा करने का अधिकार हासिल कर लिया है? क्या भूखंड राम का जन्मस्थान है? क्या हिन्दुओं ने अनंत काल से वहां राम जन्मस्थान के रूप में पूजा की है? क्या मूर्तियां और पूजा की अन्य चीजें ढांचे के अंदर 22-23 दिसंबर, 1949 की रात में रखी गईं, या वे वहां उससे पहले से ही थीं? क्या विवादित ढांचे से लगा ऊंचामंच जिसे राम चबूतरा कहते हैं और भंडार और सीता रसोई मुख्य ढांचे के साथ ही ढहा दी गई? क्या ढांचे से लगे पूर्व, उत्तर और दक्षिण के भूखंड पर एक पुरानी कब्रगाह और एक मस्जिद थी? क्या ढांचा ऐसी जमीन से घिरा हुआ है कि हिन्दुओं के पूजा स्थलों को पार किए बिना ढांचे तक नहीं पहुंचा जा सकता है? क्या इस्लामी नियमों के मुताबिक उस भूखंड पर मस्जिद नहीं बनाया जा सकता (क्योंकि वहां मूर्तियां रख दी गई हैं)? क्या ढांचा कानूनी रूप से मस्जिद नहीं हो सकता, क्योंकि उसमें मीनारें नहीं थीं? क्या यह ढांचा एक मस्जिद नहीं हो सकता, क्योंकि यह 3 ओर से एक कब्रगाह से घिरा है? क्या ढांचे के विध्वंस के बाद इसे अभी भी मस्जिद कहा जा सकता है? क्या ढांचे को ढहा दिए जाने के बाद मुसलमान खुली जगह का इस्तेमाल नमाज पढ़ने के लिए कर सकते हैं? क्या वादी मुस्लिम संगठन राहत पाने के हकदार हैं और अगर हां तो क्या

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