Monday, May 18, 2009

चौहदवीं लोकसभा इतिहास बनकर रह गया

चौदहवीं लोकसभा का परदा आज गिर गया। इतिहास में यह लोकसभा ऐसी कई बातों के लिए याद की जाएगी, जिन्हें सांसद और जनता भूलना ज्यादा पसंद करेंगे। कैबिनेट की सिफारिश पर तत्काल कार्रवाई करते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सदन को भंग कर दिया। इस प्रकार 15वीं लोकसभा के गठन का रास्ता तैयार हो गया है, जिसका गठन इस महीने के अंत तक होने की संभावना है। चौदहवीं लोकसभा में क्रिकेट की एक पूरी टीम बराबर ग्यारह सदस्यों को निष्कासित किया गया। संसद के इतिहास में यह अप्रत्याशित घटना है। इसी लोकसभा में 'नोट के बदले वोट' घोटाला हुआ और भाजपा के कुछ सांसद यह आरोप लगाते हुए नोटों के बंडल के साथ सदन में आ गए कि उन्हें विश्वास प्रस्ताव पर संप्रग सरकार के पक्ष में मतदान के लिए धन दिया गया है। भारत-अमेरिकी परमाणु करार पर वाम दलों के संप्रग सरकार से समर्थन खींचने के बाद सरकार ने लोकसभा में विश्वास मत हासिल किया। चौदहवीं लोकसभा में अपनी तरह का एकदम नया 'निष्कासन' देखने को मिला। लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को उनकी पार्टी माकपा ने निष्कासित कर दिया क्योंकि वाम दलों द्वारा संप्रग से समर्थन वापस लेने के बाद उन्होंने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था। चटर्जी पहले वाम नेता थे, जो लोकसभा के इस उच्च पद पर आसीन हुए। इसी लोकसभा में विपक्ष ने पूरे दिन सदन में अध्यक्ष का बहिष्कार किया, जो शायद अपने तरह की अभूतपूर्व घटना है।

1 comment:

Asha Joglekar said...

Is itihas ko bhulakar naya rachenge ab. jo achcha hee hoga.