Monday, April 6, 2009

लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएं

लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुनी गई सरकार जनता के लिए ही होती है, लेकिन जबसे राजनैतिक पार्टियों का जनाधार खिसकने लगा तो उन्होंने मतदाताओं में भय पैदा करने वाले बाहुबलियों, अपराधियों को टिकट देना आरंभ कर दिया और चुनाव जीतने पर यही पार्टियां बड़ी प्रसन्नता से घोषणा करती हैं कि जनता का बहुमत मेरे साथ है। सच तो यह है कि मतदाताओं ने बाहुबलियों की धमकी की वजह से डर कर उन्हें अपना वोट दिया। आखिर राजनैतिक दलों को इन बाहुबलियों का सहारा क्यों लेना पड़ा। क्या सच में उनका जनाधार खिसक गया है। यह बिल्कुल सच है कि जनाधार उन्हीं का खिसकता है जो नेता जनता से अपनी दूरी बढ़ा लेते हैं। वह सत्ता के सुख की दरिया में ऐसे डूबे रहते हैं कि उन्हें अपने क्षेत्र की जनता तक याद नहीं आती है। चुनाव लड़ने के समय किए गए वादों तक को भूल जाते हैं तो भला जनता भी उन्हें क्यों न भूले। जब ऐसे लोगों का जनाधार समाप्त होने लगता है तब राजनैतिक पार्टियां मतदाताओं में भय पैदा करती हैं और कमोवेश अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को टिकट देकर खिसका जनाधार को अपनी ओर लाने की कोशिश करती हैं ओर उन्हें सफलता भी मिलती है।लोकतंत्र में जनता की ताकत सर्वोपरि होती है। यदि वह चाह ले तो साफ सुथरे लोगों को ही देश के सबसे बड़े पंचायत भवन 'संसद' में पहुंचने दे। और बाहुबलियों को चुनावी दंगल में धूल चटा दे।अबकी बार न्यायपालिका ने भी लोकतंत्र की लाज बचाने के लिए कुछ हद तक आगे बढ़ा है और सजायाफ्ता लोगों को प्रत्याशी बनने से रोका है, किंतु उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गाजीपुर में खड़े प्रत्याशियों को भी रोका जाना चाहिए था, लेकिन कोर्ट ने पर्चा दाखिल करने से उन्हें नहीं रोका। जनप्रतिनिधि अधिनियम में भी संशोधन करना चाहिए जिसमें स्पष्ट व्यवस्था हो कि सजायाफ्ता मुजरिम, जिसे सजा कितने भी समय की हुई हो, और विचाराधीन कैदी देश के अंदर कोई भी चुनाव लड़ नहीं सकते हैं। उन्हें अयोग्य घोषित किया जाए। चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की जानी चाहिए। मेरे विचार से तो संसद के चुनाव के लिए परास्नातक और एलएल.बी. और विधान सभा के लिए स्नातक के साथ एलएल.बी. की योग्यता रखनी चाहिए। धर्म, जाति के नाम पर वोट मांगने वाले दलों से दूर रहना चाहिए। यह लोग समाज को धर्म, जाति के नाम बांट रहे हैं। मुझे इनके झंझावत में नहीं आना है। मैं तो क्षेत्र की जनता से यही कहूंगा कि अपना मत सोच-विचार कर सही उम्मीदवार को दें जो क्षेत्र के विकास के लिए सदैव चिंतित रहे। आपका वोट बहुमूल्य है। इसे बेकार न होने दें। मतदान के दिन बूथ पर जाकर मतदान अवश्य करें लेकिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए सही प्रत्याशी को ही चुनें।

2 comments:

संगीता पुरी said...

अच्‍छे आलेख के लिए धन्‍यवाद।

दिनेशराय द्विवेदी said...

मतदान तो जरूर करेंगे। पर हो सकता है नो-वोट कर आएँ।