Sunday, April 5, 2009
1620 में पहली बार जारी हुआ था घोषणा-पत्र
लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन दिनों हर पार्टी आए दिन अपने घोषणा-पत्र जारी कर रही हैं और जनता का वोट अपनी ओर खींचने के लिए लोक-लुभावने वादे भी कर रही हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस 'मैनीफेस्टो' शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई। दरअसल यह इटली का शब्द है जो लैटिन के 'मैनी फेस्टम' शब्द से निकला है। इसका इतिहास भी काफी पुराना है। विश्व इतिहास में 'मैनीफेस्टो' शब्द का पहली बार प्रयोग सौलह सौ बीस में अंग्रेजी में मिलता है। 'हिस्ट्री ऑफ द कौंसिल आफ ट्रेंट' नामक पुस्तक में इसका जिक्रआता है। इस पुस्तक के लेखक पावलो सार्पी थे। आधुनिक भारत का पहला घोषणापत्र राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की उन्नीस सौ सात में छपी पुस्तक 'हिन्द स्वराज' को माना जाता है। 'मैनीफेस्टो' शब्द का अर्थ दरअसल 'जनता के सिद्धान्त और इरादे' से जुड़ा है पर लोकतांत्रिक समाज में यह राजनीतिक दलों से जुड़ गया है। विश्व प्रसिद्ध चिंतक कार्ल मार्क्स की तथा फ्रेड्रिक एंजिल्स की अट्ठारह सौ अड़तालीस में छपी चर्चित पुस्तक 'द कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो' से पहले भी इस तरह का मैनीफेस्टो निकल चुका था पर वह किसी राजनीतिक पार्टी का घोषणा-पत्र नहीं था। मार्क्स ने अपने घोषणा-पत्र में दुनिया को बदलने का सपना देखा था। लातीनी अमेरिका के क्रांतिकारी साइमन वोलीवर ने अट्ठारह सौ बारह में ही 'कार्टेगेना मैनीफेस्टो' लिखा था। अट्ठारह सौ पचास में अराजकता वादियों का भी 'एनारकिस्ट मैनीफेस्टो' निकला था। उन्नीस सौ पचपन में रूस में हुई क्रांति को रोकने के लिये उस वर्ष 'अक्तूबर मैनीफेस्टो' भी छपा था। उन्नीस सौ उन्नीस में फासिस्टों का भी एक घोषणा-पत्र निकला था। उन्नीस सौ छब्बीस में नरभक्षियों का भी एक घोषणा-पत्र जारी हुआ था उन्नीस सौ चौंतीस में एडविन लेविस ने इसाइयों का घोषणापत्र निकाला। उन्नीस सौ उन्चास में लियाकत अली खां की पुस्तक 'द आब्जेक्टिव रेजोल्यूशन आफ पाकिस्तान' को भी पाकिस्तान का राजनीतिक घोषणा-पत्र माना जाता है। उन्नीस सौ पचपन में बट्रेंड रसेल और आइन्सटीन के घोषणा-पत्र को परमाणु हथियार और युद्ध के विरुद्ध घोषणापत्र माना जाता है। उन्नीस सौ अट्ठावन में पूंजी के लोकतांत्रिकरण के पक्ष में 'कैपटलिस्ट मैनीफेस्टो' निकला। वर्ष दो हजार चार में फ्री कल्चर संस्थान ने 'द फ्री कल्चर' घोषणापत्र जारी किया। वर्ष दो हजार आठ में भी 'द रिवोल्यूशन ए मैनीफेस्टो' किताब निकली जिसके लेखक रोन पॉल थे। इसके अलावा कला और तकनीकी के क्षेत्र में भी लोगों ने कई घोषणा-पत्र निकाले। भारत में भी पिछले चुनाव में भोपाल से हिन्दी के लेखकों ने अपना चुनावी घोषणा-पत्र जारी किया था।
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