Thursday, May 2, 2013

सरबजीत: यातना के 23 साल

28अगस्त 1990 : सीमापार पाकिस्तान में गिरफ्तार। नौ महीने बाद परिवार को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिससे सरबजीत के पाकिस्तान में कैद होने का पता चला। 04 सितंबर 1990 : पाकिस्तानी पुलिस ने नौ दिन बाद लाहौर की स्थानीय अदालत में उसे मनजीत सिंह बता कर पेश किया और 'रॉ का एजेंट व सीरियल बम ब्लास्ट का आरोपी करार दिया। सरबजीत को लाहौर व मुल्तान में सीरियल बम ब्लास्ट में 14 लोगों की मौत का आरोपी बताया गया। 03 अक्टूबर 1991 : अदालत ने सरबजीत को फांसी की सजा सुनाई। 27 दिसंबर 2001 : पाकिस्तान के उच्च न्यायालय ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा। 30 अप्रैल 2008 : वर्ष 2007 में सरबजीत की फांसी की सजा को उच्च न्यायालय ने कन्फर्म करते हुए तीस अप्रैल 2008 फांसी की तिथि निर्धारित कर डाली। सरबजीत अपने वकील के माध्यम से फांसी माफी की दरखास्त पाक सर्वोच्च न्यायालय में ले गए। 24 जून 2009 : पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने सरबजीत के वकील के हाजिर न होने पर भी निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगाते हुए फिर से सरबजीत की दया याचिका इसलिए रद कर दी। 28 मई 2012 : सरबजीत ने पांचवी व अंतिम दया याचिका पाकिस्तान के राष्ट्रपति के पास की। 26 जून 2012 : पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दया याचिका स्वीकार करते हुए सरबजीत की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया। 27 जून 2012 : पाकिस्तान की तरफ से सरबजीत सिंह को रिहा करने की घोषणा की गई, लेकिन चार घंटे बाद ही स्पेलिंग मिस्टेक बताकर पंजाब के ही सुरजीत सिंह को रिहा करने का एलान किया गया। 26 अप्रैल 2013 : पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में कैदियों ने जानलेवा हमला किया। इसके बाद सरबजीत को लाहौर के जिन्ना अस्पताल में कोमा में भर्ती कराया गया।

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