Saturday, January 15, 2011

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता है बेमिसाल

दुनियाभर में आधुनिकता और सहिष्णुता की शिक्षा के प्रचार प्रसार के बावजूद मजहबी कट्टरपन बढ़ रहा है और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले हो रहे हैं। हालांकि भारत के मामले में ऐसा नहीं कहा जा सकता और दूसरे देश भारत की धार्मिक स्वतंत्रता को बेमिसाल मानते हैं।
धार्मिक स्वतंत्रता पर निगरानी रखने वाली अंतरराष्ट्रीय समिति के अनुसार कट्टरपंथी ताकतें अपने धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ मानकर दूसरे धर्म के अनुयायियों को दबाने की कोशिशें करती रहती हैं। विशेषज्ञ पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कबाइली इलाकों को इस बात का जीता जागता उदाहरण करार देते हैं जहां कट्टरपंथी तालिबान कभी अल्पसंख्यक सिखों को भयभीत करता है तो कभी उदार मुसलमानों को निशाना बनाता है। शियाओं की मस्जिदों और पीर-फकीरों की मजारों पर हमले कर निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार देता है।
धार्मिक स्वतंत्रता निगरानी समिति ने हाल ही में भारत में भी धार्मिक स्वतंत्रता का अध्ययन किया और कहा कि इस मामले में कुल मिलाकर भारत की स्थिति अच्छी है। समिति ने कहा कि भारत के लोग उदार हैं और अल्पसंख्यक निर्भीक होकर अपने धर्म का पालन करते हैं। उनकी धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। कुछ राज्य सरकारें धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाकर धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश करती हैं।
भारत धार्मिक स्वतंत्रता का जीता जागता उदाहरण है जहां सभी धर्म और संप्रदायों के लोग बिना किसी डर के अपने धार्मिक कार्य कलापों को अंजाम देते हैं।
देश में हालांकि कभी कभार धर्म के नाम पर दंगे हो जाते हैं लेकिन इनके पीछे धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का उद्देश्य नहीं होता। अमेरिका जैसा देश भी भारत की धार्मिक सहिष्णुता की दाद देता है। हाल ही में विकीलीक्स द्वारा सार्वजनिक किए गए एक गोपनीय अमेरिकी राजनयिक संदेश से भी विदेशों में भारत की धर्म निरपेक्ष छवि स्पष्ट हो जाती है।
अमेरिका भारत की धर्म निरपेक्षता से सीख ले सकता है जहां बहु धर्मीय बहु संस्कृति औ बहु जातीय समाज है तथा सभी स्वतंत्रता के साथ जीते हैं और अपने धार्मिक कार्यकलापों को स्वतंत्र होकर संपन्न करते हैं।
आज पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सूडान, इराक, यमन, नाइजीरिया और इनके अतिरिक्त बहुत से मुल्कों में हिंसा चरम पर है जिसके पीछे कहीं न कहीं धार्मिक कट्टरपन जिम्मेदार है।
भारत में धर्म के नाम पर कभी कभार दंगे बेशक होते हों, लेकिन फिर भी किसी की धार्मिक स्वतंत्रता पर कभी आंच नहीं आती जिसका श्रेय भारतीय जनमानस की उदारता और देश के संविधान को दिया जाना चाहिए।

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