सरकारों की जिम्मेदारी बनती थी कि शरदीय नवरात्रि के आरंभ के पूर्व ही सुरक्षा व्यवस्था का ठीक तरह से जायजा लिया जाता, लेकिन जोधपुर स्थित चामुंडा देवी मंदिर में हुई भगदड़ ने सरकार की कानून-व्यवस्था के समक्ष सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। आज नवरात्रि का पहला दिन था और पहले दिन ही रोंगटे खड़े करने वाली घटना घटित हो गई। यदि जिला व पुलिस प्रशासन ने आने व जाने वालों के रास्ते अलग-अलग कर दिए होते और साथ में एक बात और ध्यान देने की है कि जब भी भीड़ होने की आशंका हो तब कोशिश करनी चाहिए कि भीड़ को कम आने दें और अंदर आए हुए श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा बाहर निकालना चाहिए। पूजा स्थल पर ज्यादा देर तक किसी को रोककर खड़ा नहीं करना चाहिए। मैं विव्श्रास के साथ कह सकता हूं कि भीड़ वाले जगहों को आराम से नियंत्रण में किया जा सकता है। इलाहाबाद कुंभ मेले में इसी पद्धति को अपनाया जाता है। आपने देखा होगा कि करोड़ों लोग बिना किसी अनहोनी घटना के स्नान करते हैं। आज की घटना राजस्थान प्रांत के जोधपुर में पहाड़ी की चोटी पर स्थित विख्यात मेहरानगढ़ किले में बने चामुंडा मंदिर में भगदड़ में 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी है और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए। सरकार और प्रशासन का वही रटा-रटाया वाक्य कि राहत कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ूगा और प्रभावित लोगों तथा परिवारों की हर संभव सहायता की जाएगी। यह स्तब्धकारी घटना है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पवित्र स्थल पर और त्योहार के मौके पर ऐसी घटना हुई। इस व्यवस्था को संभालने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इस तरह की घटना की पुनरावृति न हो।
Tuesday, September 30, 2008
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