मेट्रो शहरों में हो रहे सीरियल बम धमाकों ने तो लोगों का जीना ही मुश्किल कर दिया। कब किस शहर में धमाके हो जाएं कहना मुश्किल है। भारत के गृह मंत्री (घर मंत्री) के देश (घर) की सुरक्षा ही खतरे में पड़ी है। आए दिन हमले हो रहे हैं। दिल्ली में हमले हो रहे हैं, घर मंत्री अपने घर में पोशाकें बदलने में ध्यान दे रहे हैं। सामान्य तौर पर देखा गया है कि जब किसी पर परेशानी आती है तो लोग कपड़ों पर ध्यान नहीं देते हैं जिस भी अवस्था में लोग होते हैं उसी तरह सहायता के लिए दौड़ पड़ते हैं। हमारे गृह मंत्री पोशाकें बदलने में मस्त थे। शर्म आनी चाहिए थी कि निर्दोष लोग बम धमाकों की चपेट में आकर घायल होकर कराह रहे थे वह अपने घर में शरीर को संवार रहे थे। क्या ऐसा ही देश का गृह मंत्री होना चाहिए। जिसके सुरक्षा बलों तक को यह जानकारी नहीं थी कि दिल्ली भी आतंकियों की चपेट में है। सच ही है जैसा राजा वैसी प्रजा। देश की सुरक्षा-व्यवस्था के बारे में सोचने का समय जब मंत्री के पास ही नहीं है जो सुरक्षा एजेंसियों को निगरानी करने की क्या पड़ी, वह भी मौत-मस्ती कर रही हैं। देश की सुरक्षा भगवान के भरोसे चल रही है। पुलिस और केंद्रीय बल मिलकर सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। और देखिए कांग्रेस पार्टी उन्हें ग्रीन सिगनल भी दे रही है। आखिर दस जनपथ के नजदीकी हैं। सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। सरकारी दामाद बन के सुख भोगिए। सरकार का कार्य बस घोषणा भर रह गया है कि मरने वालों को इतना रुपए और घायलों को इतना रुपए।
Tuesday, September 16, 2008
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1 comment:
bhupendra ji,यह गृहमंत्री नपुंसक है ,हां, फैशन परेड में यह नेता सबसे टाप पर है।
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