Tuesday, September 23, 2008
पैर की जूतियां भी घिस जाती हैं
देश में लोग न सिर्फ मंहगाई की मार झेल रहे हैं बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों व नेताओं के यहां चक्कर काटते-काटते पैर की जूतियां भी घिस जाती हैं पर काम नहीं होता। यदि आपको अपनी जूतियां नहीं घिसवानी हों तो काम के बदले पैसा देना पड़ेगा। करोड़ों रुपयों की सरकारी योजनाओं को विकास के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन गांवों तक पूरा पैसा पहुंचता ही नहीं है। सूखा, बाढ़ के नाम पर भी केंद्रीय सहायता राज्यों को दी जाती है, उसको भी नेता व अधिकारी मिलकर बंदर बांट कर लेते हैं और दिखावे के नाम पर जनता को पैसा दे दिया जाता है। जनता के नुकशान की भरपाई होना तो दूर की बात है, जीने के लिए भी पैसा नहीं मिल पाता। विकास कि नाम पर देश में कई योजनाएं चल रही हैं लेकिन जनता को सीधे लाभ नहीं मिल पा रहा है। गांवों के विकास के नाम पर बनी योजनाओं का पैसा कहां चला गया। बीस साल पहले गांव जहां थे आज भी वहीं पर हैं। गांव में न तो पानी निकासी के लिए समुचित नालियां हैं, न ही पक्की सड़कें हैं, न ही स्कूलों और अस्पतालों की समुचित व्यवस्था है, बिजली की पर्याप्त आपूर्ति नहीं है। हम बात करते हैं गांवों के समुचित विकास की। लाल किले के प्राचीर से भाषण दिया जाता है गांवों के विकास पर। आम बजट पेश होता है गांवों के विकास पर साठ फीसदी खर्च होगा। आप खुद ही देखिए क्या गांवों में वास्तव में इतना बड़ा बजट पहुंचा है। यदि पहुंचा होता तो आज गांवों की वह दुर्गति नहीं होती जो आज है। लोग गांव छोड़कर शहरों की तरफ आ रहे हैं बेहतर जीवन यापन के लिए। बेहतर जीवन जीना किसे अच्छा नहीं लगता है। जब वोट मांगने का समय आता है तभी ढ़ेर सारे नेताओं के दर्शन ढ़ेर सारे वायदों के साथ गांवों में होते हैं। अपना उल्लू सीधा करने के बाद फिर वही ढाक के तीन पात। तभी तो भारत भ्रष्टाचार के मामले में दुनिया के अन्य देशों की तुलना में 12 पायदान और चढ़ गया है। दुनिया भर में भ्रष्टाचार का सूचकांक तैयार करने वाली संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी सूची में भारत में भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी की जानकारी दी गयी। रिपोर्ट में दुनिया भर के 180 देशों की सूची में भारत इस वर्ष 85 वें स्थान पर रहा। जबकि पिछले वर्ष भारत का 72वां स्थान था। इसके अलावा दुनिया का सर्वाधिक भ्रष्ट देश सोमालिया रहा। साथ ही डेनमार्क, न्यूजीलैंड और स्वीडन सूची में पहले स्थान पर रहने के कारण विश्व के सबसे ईमानदार देशों के रूप में सामने आये। जबकि सिंगापुर दूसरे और अमेरिका 18वें और ब्रिटेन 16वें स्थान पर रहे। इसके अलावा चीन पिछले वर्ष की तरह 72 वें स्थान पर ही कायम रहा। भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान की स्थिति में सुधार नहीं आया है पाकिस्तान इस साल 134 वें स्थान पर है।
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4 comments:
badhiya jaankari di aapne to..
इससे एक कदम आगे बढ़कर हर कदम पर भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये टिप्स (नुस्खे) बताने की जरूरत है। सूचना के अधिकार के अधिनियम के सही ढ़ंग से उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लोगों को भी भ्रष्टाचार का प्रतिरोध करने के विभिन्न तरीके सीखने चाहिये। इसमें मिडिया और पत्रकारों की बहुत बड़ी भूमिका है; शिक्षा की भी इसमें बूमिका है। भ्रष्टाचार से लड़ने के तरीके पाठयक्रमों में सम्मिलित किये जाने की आवश्यकता है।
भ्रष्टाचार के रहते ये देश आगे नहीं बढ़ सकता। आम जनता की तकलीफें भ्रष्टाचार के रहते कभी कम नहीं हो सकतीं। अपने देश में आतंक के सफ़ल होने के पीछे भी भ्रष्टाचार की महती भूमिका है।
आभार जानकारी के लिए.
बहुत दुख होता है यह सब सुन देख कर!
कमाल है...सोमालिया तक आगे निकल गया हमसे :)
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