Sunday, September 28, 2008

दिल्ली बनी आतंकी नगरी

दिल्ली में कब तक बम धमाके गूंजते रहेंगे। कब तक निर्दोषों की हत्याएं होती रहेंगी। कब तक आतंकी यहां शरण लिए रहेंगे। दिल्ली के माथे पर काले शनिवार के धब्बे का लगा कलंक कब मिटेगा। मैं आप को बता दूं कि यहां तीनों बम धमाके शनिवार के ही दिन हुए हैं। आखिर आतंकियों ने शनिवार का ही दिन क्यों चुना। दो सप्ताह पहले ही यहां सीरियल बम धमाके हुए थे। इसकी गुत्थी अभी तक सुलझ भी नहीं पाई थी कि दिल्ली के खाते में एक और धमाका आया। पुलिस के सामने यह सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिस को इस चुनौती को स्वीकार करनी पड़ेगी। उन्हें इसकी लड़ाई एक नई रूप रेखा बनाकर लड़नी पड़ेगी। योग्य व अनुभवी पुलिस वालों को इस टीम में शामिल कर एक योद्धा के रूप में काम करना होगा। मेरा आतंकियों के लिए भी एक सुझाव है कि वो अपने सारे हथियारों को जल्द से जल्द डाल दें। अच्छे मार्गो को अपनाएं। इस मार्ग पर चलने से न सिर्फ सुख शांति मिलती है बल्कि उम्र भी बढ़ती है। क्योंकि तब आप किसी का अहित नहीं करते हैं।

2 comments:

Anonymous said...

आपकी "दिल्ली बनी आतंकी नगरी" पोस्ट पढ़ कर अच्छा लगा , कृपया कुछ समय www.jagodelhi.com को भी दीजिये , धन्यवाद्

रंजन राजन said...

पुलिस ही नहीं, पूरे देश और पूरी व्यवस्था के सामने यह बड़ी चुनौती है। इसे कुचलना ही होगा।