प्याज के दाम में आई तेजी से केंद्र सरकार पसोपेश में हैं। उसे समझ नहीं आ रहा है कि अचानक प्याज की कीमतों में आए उछाल को किस तरह कम किया जाए। नैफेड के एक उच्चाधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि हमारी तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि प्याज के रेट एकदम इतने कैसे बढ़ गए।
इधर, प्याज के मामले में सरकार में एकमत नजर नहीं आया। यूपीए के कई सीनियर कैबिनेट मंत्रियों ने शरद पवार के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया कि प्याज में तेजी बरसात में फसल खराब हो जाने के कारण आई है। इन मंत्रियों का मानना है कि पवार के इस बयान से लोगों में यह संदेश गया है कि सरकार ने सब कुछ बाजार पर छोड़ दिया है।
इस मामले में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बातचीत की है। इसके बाद प्रधानमंत्री ने खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय को पत्र लिखकर कारगर कदम उठाने को कहा। इसके अलावा, खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय से प्याज की पैदावार, सप्लाई और निर्यात के आंकड़े भी मांगे गए हैं ताकि पता लगाया जा सके कि आखिर प्याज की सप्लाई में इतनी कमी कैसे आ गई।
प्रणव मुखर्जी भी इस बात का जवाब चाहते हैं कि प्याज की सप्लाई अचानक इतनी कम कैसे हो गई। वह इस मामले में तुरंत उपाय करने के पक्षधर हैं। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा और गृह मंत्री पी. चिदंबरम भी मानते हैं कि सरकार को जल्द कुछ कारगर कदम उठाकर लोगों को यह संदेश देना चाहिए कि उसका मैनेजमेंट विफल नहीं हुआ है। सिर्फ डिमांड और सप्लाई की बात कहकर हालात को टाला नहीं जा सकता। यह देखना होगा कि डिमांड और सप्लाई में आखिर इतना अंतर कैसे आ गया है। हालांकि प्रणव ने साफ कहा कि कोशिश करनी होगी कि प्याज की डिमांड और सप्लाई के बीच के अंतर को किस तरह से भरा जाए। मैं इस सिलसिले में संबंधित मंत्रालय से बात करूंगा।
इधर, खाद्य और आपूर्ति मंत्रालय का मानना है कि पिछले कई दिनों से प्याज की डिमांड और सप्लाई में 18 से 20 पर्सेंट की कमी चली रही थी। मगर यह कमी अचानक 40 से 50 पर्सेंट हो जाएगी, इसका अनुमान नहीं था। यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं। जहां तक बरसात के कारण प्याज की फसल बर्बाद होने का मामला है, सिर्फ 20-22 पर्सेंट फसल बर्बाद हुई है। अब यह पता करने की जरूरत है कि आंकड़ा 22 से बढ़कर 40 पर्सेंट कब और कैसे पहुंच गया। इसके कारण प्याज की सप्लाई एकदम कम हुई और दाम अचानक बढ़ गए।
Wednesday, December 22, 2010
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