Tuesday, October 7, 2008

'नैनो' हुई गुजरात की, टाटा ने मोदी से लड़ाए नैन


'नैनो' के नैन जब बुद्धदेव भट्टाचार्य से न लड़ सके, तो नैन लड़ाने के लिए कई लोग आगे आने की होड़ में लगे। इनमें प्रमुख कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, झारखंड राज्य रहे। अंत में नैन लड़ाने के माहिर गुजरात के मुख्य मंत्री नरेंद्र मोदी टाटा की 'नैनो' से नैन लड़ा ही बैठे। मोदी इस बात को जानते हैं कि जब लखटकिया नैनो कार बाजार में उतरेगी तब गुजरात विव्श्र के मानचित्र पर उभरेगा और राज्य को कर के रूप में अधिक मुद्रा मिलेगी, क्योंकि इतना तो तय है कि इस कार की मांग अधिक होगी और जब मांग अधिक होगी तो कार का निर्माण भी तेजी से होगा, मांग-पूर्ति का ग्राफ को संतुलित करने के लिए। अधिक कारें जब बाजार में उतरेगी तो अधिक राजस्व भी राज्य को मिलेगा। क्षेत्रीय लोगों को रोजगार मिलेगा। नैनो परियोजना गुजरात प्रांत के सानंद में स्थापित होने जा रही है। गुजरात के सानंद जिले से जुड़े गांवों के किसानों ने टाटा द्वारा लखटकिया कार नैनो परियोजना को यहां स्थापित करने के निर्णय का स्वागत किया है। यहां के किसान इस परियोजना स्थल के लिए संपर्क मार्ग के निर्माण के संबंध में जमीन देने को तैयार हैं। राज्य सरकार यहां आनंद कृषि विश्वविद्यालय की 1,000 एकड़ जमीन कंपनी को देगी।

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

नैनो, प्रौद्योगिकी में भारत के बढ़ते आत्मविश्वास का साक्षात रूप है। इसे आगे बढ़ाने से हमारा आत्मविश्वास स्थायी भाव में बदल सकता है। भविष्य की प्रौद्योगिकी में हम अग्रणी बन सकने की क्षमता रखते हैं।