Monday, October 6, 2008
दुष्कर्म पीड़िता स्कूल से भी वंचित
आखिर उस लड़की का क्या कसूर था कि उसकी स्कूल से छुट्टी कर दी। कसूर तो उन छात्रों का है जिन्होंने अपने स्कूल की छात्रा को ही हबस का शिकार बना डाला। स्कूल से छात्रों को निकालना सही लगता है। अध्यापक भी कसूरवार हैं, क्योंकि अच्छे संस्कार घर व स्कूल से ही मिलते हैं। क्यों नहीं छात्रों को सांस्कारिक बनाया। अवश्य ही अध्यापक को भी अच्छे संस्कार देने में गलती हुई। अपना कसूर छिपाने के लिए खुद अध्यापक ने छात्रा पर आरोप लगाया कि वह शरारती हरकतों के लिए जानी जाती है। दिल को दहला देने वाली एक घटना हरियाणा के पंचकूला में घटित हुई है। जहां पर कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म और प्रताड़ना की शिकार एक लड़की को उसके स्कूल से निकाल दिया गया। पीड़िता चंडीगढ़ के निकट एक निजी स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा है। स्कूल प्रबंधन कह रहा है कि मामले के निपटने और पूरी तस्वीर साफ होने के बाद हम उसे स्कूल में दोबारा प्रवेश देंगे। पीड़िता के एक रिश्तेदार का कहना है कि लड़की को अज्ञात नंबरों से कई धमकी भरे फोन आए हैं और लड़की को सुलह की एवज में लाखों रुपये के प्रस्ताव दिए जा रहे हैं।
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3 comments:
कन्या भ्रूण हत्या के कारण सारे उत्तर भारत में लड़कियों की ज़बर्जस्त कमी पड़ गई है, इससे भी बुरे दिन देखने पड़ेंगे. भविष्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध भयावह रूप से बढ़ेंगे.
अच्छा आलेख!
'lanet hai, bhut sharmnak'
regards
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