Thursday, October 16, 2008
कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है
मंदी से निपटने के लिए कर्मचारियों की कटौती करना समय का तकाजा नहीं है। यदि अच्छी तरह से होम वर्क किया गया होता तो आज छंटनी करने की नौबत नहीं आती। जेट एयरवेज को ही ले लीजिए, पहले तो इस कंपनी ने ढेर सारे विमान खरीद लिए और अब कर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जिन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था। भारत अभी विव्श्र की मंदी की चपेट में नहीं है, लेकिन कुछ शरारती कंपनियां इसी बहाने अपने कर्मियों की छंटनी कर रही हैं, जो सरासर गलत है और राष्ट्र हित में नहीं है। इससे लोगों में गलत संदेश जाएगा। जगह-जगह प्रदर्शन होंगे, रास्ते जाम होंगे। वायुयानों की उड़ाने प्रभावित होंगी, क्योंकि आज ही जेट एयरवेज से निकाले गए कर्मियों ने प्रदर्शन किया और मुंबई में तो विमानों को उतरने भी नहीं दिया गया। इससे क्या सरकारी राजस्व में कमी नहीं आएगी। मंदी की समस्या से निपटने के लिए कंपनी कर्मचारियों की संख्या में कटौती का रास्ता अख्तियार नहीं करना चाहिए। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मंदी के असर से एयरवेज न हो, लेकिन इसका विकल्प छंटनी नही है। मंदी का सामना कोई नहीं बात नहीं है। पहले भी सफलतापूर्वक मंदी का सामना करते रहे हैं और इस बार भी हम इससे उबरने का रास्ता ढूंढना होगा। इस्पात उत्पादक टाटा स्टील के विश्वभर में लगभग 82 हजार कर्मी हैं जबकि भारत में इसके कर्मियों की संख्या 33 हजार है लेकिन वह तो छंटनी नहीं कर रही है। एयरवेज के बहुत सारे कर्मचारियों ने आज यहां इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उन्हें कंपनी द्वारा नौकरी से हटाए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया और एयर लाइंस प्रमुख नरेश गोयल और किंगफिशर एयर लाइन के अध्यक्ष विजय माल्या के खिलाफ नारे लगाये। इसके साथ ही इन्होंने जेट एयरवेज द्वारा अपने करीब 1,900 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिए जाने के फैसले पर सरकार की चुप्पी की भी काफी भत्र्सना की। गौरतलब है कि जेट एयरवेज से हटा दिए गये कर्मचारियों में अधिकांश प्रोबेशनर और ट्रेनीज शामिल हैं। कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण घरेलू टर्मिनल पर जेट एयरवेज के काउंटर पर कार्य काफी देर तक बाधित रहा। नागरिक उड्डन मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट किया कि एयर इंडिया में कोई छंटनी नहीं की जाएगी और वह अन्य एयरलाइंस से बातचीत करेंगे कि जेट एयरवेज की तरह उनमें बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की नौकरियां समाप्त न की जाए।
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