महात्मा गांधी के रंग में रंगे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को भारत की संसद में राष्ट्रपति बनकर खड़े होने का श्रेय ही राष्ट्रपिता को दे दिया और धन्यवाद से लेकर जय हिंद तक के नारे से देश का दिल जीत लिया।
अपने भाषण के अंत में तो ओबामा सीधे भारतीय जनता से संवाद करने लगे और उनसे कहने लगे कि उन्हें अपना मुस्तकबिल खुद तय करना होगा और इस सफर में अमेरिका उन्हें अपना अपरिहार्य सहयोगी मानता है। पूरे भाषण में उन्होंने महात्मा गांधी को केंद्र में रखा और उनके प्रेम और अहिंसा के संदेश तथा इंसाफ के लिए अहिंसा का अस्त्र उठाने को अपनी मूल प्रेरणा बताया। उन्होंने कहा कि युवा मार्टिन लूथर किंग भारत आकर आपके राष्ट्रपिता के यही सिद्धांत लेकर गए थे और अगर मैं आज राष्ट्रपति बनकर आपके सामने खड़ा हूं तो यह उसी प्रेरणा का परिणाम है।
अपने भाषण की शुरुआत ही उन्होंने भारतीयों से मिले आतिथ्य के लिए बहुत धन्यवाद कहते हुए की और जय हिंद से जब उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया तो संसद के गुम्बद तालियों से देर तक गूंजते रहे। शून्य से लेकर सूचना टेक्नोलॉजी और ई-पंचायत से लेकर सूचना के अधिकार तक ओबामा भारत की सभ्यता विविधता की शक्ति और सभी को साथ लेकर लोकतांत्रिक ढंग से प्रगति करने की अगाध प्रशंसा करते रहे।
ओबामा ने कहा कि मैं हर भारतीय नागरिक से कहना चाहता हूं कि आपकी प्रगति के सफर में अमेरिका सिर्फ दूर खड़े होकर तालियां नहीं बजाएगा। मैं आपके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहूंगा। हमें इस भारत के भविष्य पर यकीन है और हमें इस बात पर भी भरोसा है कि भविष्य वैसा ही बनता है जैसा हम बनाना चाहते हैं।
स्वामी विवेकानंद से लेकर संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर तक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि हम कहीं भी रहते हों और कहीं से भी आते हों पर हम अपनी ईश्वर प्रदत्त क्षमताओं को साकार कर सकते हैं जैसे डा अम्बेडकर जैसे दलित नेताओं ने खुद को ऊपर उठाया और भारत का संविधान लिखा।
उन्होंने कहा कि हमारा यह भी मानना है कि हम कहीं भी रहते हों। भले ही वह पंजाब का कोई गांव हो या चांदनी चौक की कोई गली में रहता हो या कोलकाता की पुरानी सड़कों का बाशिंदा हो या बेंगलूर की ऊंची इमारत में रहता हो। हर किसी को सुरक्षा और शान से जीने का अधिकार है। शिक्षा और काम हासिल करने और अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने का अधिकार है।
राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि भारत और अमेरिका की कहानी एक है और वह यह है कि अपने मतभेदों के बावजूद सब मिलकर काम कर सकते हैं और सफल होकर गौरवशाली राष्ट्र बन सकते हैं। और आखिरी शब्दों तक ओबामा ने संसद को मंत्रमुग्ध किया। जब उन्होंने जय हिंद कहकर भाषण का समापन किया तो संसद के गुम्बद विभोर हो उठे। उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका की दोस्ती अमर रहे।
Monday, November 8, 2010
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