पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा मुंबई हमले ने पूरे देश को ही नहीं अपितु अमेरिका तक को हिला कर रख दिया। तभी तो वहां की विदेश मंत्री कोंडलीजा राईस ने आज दिल्ली आकर स्पष्ट कर दिया कि भारत के साथ है अमेरिका। उन्होंने यह भी कहा कि पाक को भारत के साथ सहयोग करना ही होगा। इसके पूर्व पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि वह भारत द्वारा मांगे गए आतंकियों को नहीं सौंपेगा। मुंबई आतंकी घटना में पाक का कोई हाथ नहीं है। समस्या इस बात की है कि इस तरह के बयान इस वक्त क्यों आए। अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना ही होगा। मैं तो कहना चाहूंगा कि भारत को पाक के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर देने चाहिए। समझौता ट्रेन को भी तत्काल प्रभाव से बंद ही कर देना चाहिए। अब भारत को पाक जैसे गद्दार देश के साथ समझौता किसी भी बिंदु पर नहीं करना चाहिए। यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता तो कभी का इस पर निर्णय कर लिया गया होता। भारत को पाक के साथ दोस्ती के बदले दुश्मनी मिली। चाहे केंद्र में अटल विहारी की सरकार हो या फिर मनमोहन की, सभी ने पाक के साथ मुलायम रवैया अपनाया और पाक ने दिए कारगिल और मुंबई जैसी घटनाएं। धन्य हैं इंदिरा गांधी जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए सेना के हाथ खुले छोड़ दिए थे और सेना ने पाक के लगभग एक लाख सैनिकों को गिरफ्तार कर युद्ध जीता और पूर्वी पाकिस्तान की जगह पर बांग्लादेश का निर्माण हुआ। सोचिए जरा यदि आज पूर्वी पाक भी होता तो भारत की पूर्वी सीमा पर भी आतंकी खतरा जोरों पर होता। और यदि भारत आतंकी खतरों से ही लड़ता रहा तो फिर विकास के कामों को कौन करेगा। मुझे अब पाक के सामने झुकना नहीं होगा, सैनिकों के हौसले बुलंद करके चलना होगा। मोय कहा विश्राम की नीति अपनाकर आतंक को जड़ समेत उखाड़ फेंकना होगा। मैं देख रहा हूं कि मुंबई वाली घटना के बाद आतंक के नाम पर देश के नेताओं के जो बयान आए हैं वह आतंक को और बढ़ावा देता है। कोई भी नेता दूध का धुला नहीं है जो यह कह सके कि मुझसे से यह चूक नहीं हुई है। अब भी समय है संभलने का। भय बिन होए न प्रीत के तहत भारत को पाक के खिलाफ लड़ना होगा। पाक तो बेशर्म देश है पहले तो कहता था कि मेरे देश में आतंकी है ही नहीं, किंतु आज जरदारी के बयान से स्पष्ट होता है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि मैं भारत को आतंकी नहीं सौंपेंगे। इसका मतलब साफ है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं। और इन्हीं आतंकियों का पाक भारत के विरुद्ध प्रयोग कर रहा है। भारत को अब अपनी आंखें खोलनी होंगी। अमेरिका के बहकाबे में भी भारत को नहीं आना चाहिए। भारत खुद समर्थ है पाक पर आक्रमण कर जीतने के लिए। पाक ने हमेशा भारत के सामने घुटने टेके हैं। अब बारी है कि उसे इस तरह का कर दिया जाए कि वह घुटने टेकने लायक भी न रहे। आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सभी राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं और आतंकवाद केवल एके 47 से ही नहीं फैलाया जाता, बल्कि हर वह काम, जिससे आम आदमी के दिल में दहशत पैदा हो आतंक की श्रेणी में आता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि आतंकवादियों से किसी की जान के बदले में कोई सौदा नहीं किया जाए। आतंकवादियों के साथ कोई सौदेबाजी नहीं करनी चाहिए। आतंकवादियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि भारत आतंकवादियों से कोई समझौता वार्ता नहीं करेगा। कांगे्रस और भाजपा सरकारें आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह से नाकाम रही हैं। मुंबई पर आतंकी हमले ने कांग्रेस नीत संप्रग की अक्षमता जाहिर कर दी, जबकि भाजपा शासनकाल में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण की घटना ने सरकार को लाचार बना दिया था। हमें उस तरह से चलना होगा जैसे कि अमेरिका की एक घुड़की के सामने पाकिस्तान ढीला पड़ जाता है उसी तरह से परमाणु शक्ति संपन्न भारत को भी अपनी फिगर कुछ इसी तरह से पेश करनी होगी।
Wednesday, December 3, 2008
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