Sunday, December 21, 2008
पाकिस्तान हुआ बहरा
पाकिस्तान का ध्यान अब गांधी जी के तीन बंदरों की तरफ चला गया है। तीनों बंदर मुंह, कान और आंख बंद करके संदेश देते हैं कि किसी की बुराई मत कहो, बुराई मत सुनो और बुराई मत देखो। किंतु पाकिस्तान ने इनको इस रूप में लिया है कि मुझे किसी की बात नहीं सुननी है, चाहे अमेरिका ही क्यों न हो। मुंबई में घटित हुई आतंकी घटना के बाद भारत ने इसके लिए पाकिस्तान को सीधे जिम्मेदार ठहराया है पुख्ता सबूतों के आधार पर। गिरफ्तार आतंकी कसाब ने खुद स्वीकारा है कि मैं पाकिस्तान का ही रहने वाला हूं। इससे और बढ़ा सबूत क्या चाहिए पाक को। अब अमेरिका ने भी कबूल कर लिया है कि पाक ही मुंबई घटना के लिए जिम्मेदार है। इसलिए वह भी पाक से कह चुका है कि पाक की धरती से आतंकियों का सफाया हो जाना चाहिए, इधर भारत भी कह रहा है कि पाक को आतंकियों पर जल्द से जल्द कार्यवाही कर आतंक को जड़ से उखाड़ फेंके। किंतु इन सभी की बातों का पाकिस्तान पर कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। पाक अच्छी तरह से जानता है कि यदि आतंकियों को जड़ से उखाड़ फेंका तो सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा। इसके पूर्ववर्ती सरकारें भी आतंकियों को पनाह देती रही हैं, चाहे वह मुर्शरफ ही क्यों न हों। नवाज शरीफ ने तो कुछ बोलने की हिम्मत दिखाई है और कहा कि कसाब पाकिस्तान की ही रहने वाला है। यहां तक कि उसके पिता का भी बयान आ चुका है जिसने कहा है कि कसाब मेरा ही बेटा है। इसके पहले पाक कहता चला आया है कि भारत पहले सबूत दे तब कार्यवाही करूंगा अब सबूत दे दिए तो फिर कार्यवाही करने में देरी क्यों हो रही है। पाक की धरती पर ही आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जब यह प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं तो इन्हें पाक सेना की मदद से भारत में प्रवेश कराया जाता है आतंक फैलाने के लिए, निर्दोषों को मारने के लिए। पाक मदरसों में प्राथमिक शिक्षा ही भारत विरोधी दी जाती है जिससे शुरू से ही वहां के लोगों में भारत के विरूद्ध गलत भावनाएं पैदा हों। वहां की शिक्षा पद्धति में भी पाक सरकार को सुधार करना चाहिए। पाक को देखना चाहिए कि हमारी अर्थव्यवस्था धरती चाटने लगी है। यदि अब भी पाक नहीं सुधरा तो वह दिन दूर नहीं जब पाक भिक्षा मांगते-मांगते तबाह हो जाएगा। मुंबई घटना के बाद विश्व का पाक पर दबाव बना है। मैं तो यही कहूंगा कि पाकिस्तान पाक नहीं रहा क्योंकि पाक शब्द का अर्थ पवित्रता से होता है। अब पाकिस्तान को अपना नाम भी बदलना होगा। उसे अब आतंकिस्तान नाम रख लेना चाहिए। अन्यथा उसे विश्व के साथ कदम ताल मिलाना ही होगा। पूरे विश्व में पाक की जो बदनामी हो रही है उससे तो अच्छा होता कि चुल्लू भर पानी में डूब कर जाना। मुझे तो लगता है पाक को चुल्लू भर पानी भी नसीब नहीं होगा मरने के लिए। गांधी के देश में हिंसा कदापि बर्दास्त नहीं होगी।
Sunday, December 14, 2008
रूसी बाला ने जीती मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता, भारत दूसरे स्थान पर
दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में आयोजित मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में दुनियाभर की 100 से अधिक सुंदरियों ने भाग लिया था। भारत की सुंदरी पार्वती ओमानाकुट्टन के सिर पर मिस वर्ल्ड का ताज आते आते रह गया और रूस की क्सेया सुखिनोवा ने एक भव्य समारोह में इस खिताब को जीत लिया जबकि पार्वती को दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। प्रतियोगिता का आयोजन करने वाली मिस वर्ल्ड कमेटी की प्रमुख जूलिया मोरली ने कहा कि मिस वर्ल्ड 2008 रूस है। केरल के कोट्टायम की 21 वर्षीय पार्वती इस खिताब को जीतने वाली पांच भारतीय सुंदरियों रीता फारिया- 1966, एश्वर्य राय-1994, डायना हेडन-1997, युक्ता मुखी-1999 और प्रियंका चोपड़ा-2000 की कतार में शामिल होने से चूक गयी और उन्हें दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। आठ वर्षो में यह पहला मौका है जब भारतीय सुंदरी मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के फाइनल राउंड तक पहुंची। इस प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर त्रिनिदाद और टोबैगो की गैब्रियल वालकोट रही।
Tuesday, December 9, 2008
बलात्कार मामलों में भारत का तीसरा स्थान
बलात्कार के मामलों में दुनियाभर में भारत का स्थान तीसरा है। बलात्कार के सर्वाधिक मामले अमेरिका और फिर दक्षिण अफ्रीका में दर्ज किये जाते हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में इस वर्ष की पहली तीन तिमाही के दौरान बलात्कार के 18,359 मामले दर्ज किये गये थे जबकि अमेरिका में 93,934 और दक्षिण अफ्रीका में 54,926 मामले दर्ज किये गये। बलात्कार के सबसे कम मामले जार्डन में 78, लात्विया में 260, बुल्गारिया में 403 और फिनलैंड में 596 में दर्ज किये गये। जिन देशों में बलात्कार की घटनाएं अधिक दर्ज होती हैं उनमें जर्मनी 8,133, थाईलैंड 5,060, स्वीडन 3,787 और अर्जेटीना 3,447 शामिल हैं। भारत में इस अवधि के दौरान यौन उत्पीड़न के कुल 44,159 मामले दर्ज किये गये थे। कुल मामलों की संख्या में भी भारत का स्थान इंग्लैंड और जर्मनी के बाद तीसरा है जहां क्रमश: 62,100 और 47,070 मामले दर्ज किये गये थे।
Monday, December 8, 2008
चुनाव के सेमी फाइनल में कांग्रेस प्रथम श्रेणी में पास
चुनाव के सेमी फाइनल में कांग्रेस ने साठ फीसदी अंक हासिल कर प्रथम श्रेणी में चुनावी नैया पार कर ली है। पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों की गिनती में कांग्रेस ने दिल्ली, मिजोरम और राजस्थान को हथिया लिया है जबकि भाजपा ने सिर्फ दो राज्यों में ही जीत हासिल की है। मतदाताओं ने सरकार विरोधी मत न देकर उनके कार्यो का आत्ममंथन कर ही वोट दिया है जोकि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बहुत ही लाभदायक है। नेताओं के बहकावे में कभी नहीं जाना चाहिए। वह सत्ता हथियाने के लिए ही खेल खेलते हैं। सत्ता पा जाने पर मतदाता मूल्यविहीन हो जाते हैं। दिल्ली के चुनाव परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी को ही नहीं कांगे्रस को भी चौंकाया जरूर है लेकिन देश की राजधानी में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की उपलब्धि ने उसके उत्साह को कई गुना बढ़ा दिया है तथा अब वह कहीं अधिक विश्वास और जोश के साथ लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी। इन चुनाव परिणामों से भाजपा के सिकुड़ने तथा कांग्रेस के आगे बढ़ने की शुरूआत हो गयी है। इन चुनावों में आतंकवाद और मंहगाई का होवा खड़ा करने का प्रयास किया लेकिन देश के मतदाताओं ने उन्हें पूरी तरह ठुकरा दिया। अब वे सुशासन और विकास की बात करने लगे हैं। दिल्ली में कडे़ मुकाबले के सभी अनुमानों और भाजपा की आशाओं को झुठलाते हुए जनता ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की विकास की बात का समर्थन करते हुए कांग्रेस को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी की सत्ता सौंपी है। दिल्ली विधानसभा की 69 सीटों में से कांग्रेस ने 42 पर विजय प्राप्त कर हैट्रिक लगाई जबकि भाजपा को केवल 23 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। बहुजन समाज पार्टी दिल्ली में अपना खाता खोलने में सफल रही।
Sunday, December 7, 2008
20 हजार करोड़ का आर्थिक पैकेज घोषित
केंद्र सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिये आज 20 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च का एलान किया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिहं ने वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभालने बाद आर्थिक पैकेज पर चर्चा की और इसकी घोषणा कर दी गई। इसमें चालू वित्त वर्ष के दौरान योजनागत खर्च में 20 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की बात कही गई है। इस अतिरिक्त खर्च के साथ साल के बाकी बचे चार महीनों में योजना और गैर-योजनागत खर्च पर कुल करीब तीन लाख करोड़ रुपये का खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। उम्मीद है कि सरकार की तरफ से इतनी बड़ी राशि व्यय किये जाने से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। सरकार के योजना और गैर-योजनागत व्यय में वृद्धि के अलावा सरकार ने निर्यातकों, आवास क्षेत्र, लघु एवं मझौली इकाईयों और कपड़ा क्षेत्र के उद्योगों के लिये प्रोत्साहन उपाय भी घोषित किये हैं। सरकार ने केन्द्रीय मूल्य वर्धित कर दर में सभी उत्पादों पर चालू वित्त वर्ष के बाकी बचे चार महीनों के लिये चार प्रतिशत कटौती की घोषणा की है। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों और ऐसे उत्पाद जिन पर पहले से ही सेनवैट दर चार प्रतिशत से कम है उन्हें इस कटौती से अलग रखा गया है। इस पैकेज में कहा गया है कि टर्मिनल उत्पाद शुल्क अथवा केन्द्रीय बिक्री कर का पूरी तरह रिफंड करने के लिये 1100 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध कराई जायेगी। निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिये 350 करोड़ रुपये के अतिरिक्त आवंटन की बात भी इसमें कही गई है। निर्यातकों को कठिनाइयों वाले बाजारों में उत्पादों का निर्यात करने में मदद के लिये सरकार निर्यात ऋण गारंटी निगम को 350 करोड़ रुपये तक का गारंटी समर्थन देगी। इसके अलावा निर्यातकों को विदेशी एजेंटों के कमीशन पर दिये जाने वाले सेवाकर का 10 प्रतिशत तक रिफंड दिया जायेगा। इसके लिये निर्यात के लदान बाद मूल्य को आधार माना जायेगा। निर्यातकों को शुल्क वापसी योजना के लाभ के साथ साथ आउटपुट सेवाओं पर दिये जाने वाले सेवा कर का भी रिफंड दिया जायेगा। सरकार ने आवास क्षेत्र को अर्थव्यवस्था के लिये काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र बताया है। सरकार का मानना है कि आवास क्षेत्र में रोजगार के अवसरों के साथ साथ जनकल्याण के लिये भी काफी अहमियत है। देश में आज भी निम्न आय और मध्यम आय वर्ग के कई लोगों के पास अपना घर नहीं है। सरकार का विचार इंदिरा आवास योजना के तहत गतिविधियां तेज करने का है। पैकेज में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय आवास बैंक को 4000 करोड़ रुपये तक की पुनर्वित्त सुविधा जल्द ही शुरू करने की बात कही है इसके अलावा आवास क्षेत्र को समर्थन देने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी जल्द ही आवास ऋण की दो श्रेणियों के लिये पैकेज की घोषणा करेंगे। एक श्रेणी होगी पांच लाख रुपये तक का आवास ऋण लेने वालों की जबकि दूसरी श्रेणी पांच से लेकर 20 लाख रुपये तक का आवास ऋण लेने वालों की होगी। सरकार ने कहा है कि आवास क्षेत्र पर उसकी कड़ी निगरानी रहेगी और जब भी जरूरत होगी नए उपाय किये जायेंगे। लघु इकाइयों को ऋण गारंटी योजना में ज्यादा से ज्यादा कर्ज मिले इसके लिये योजना के तहत आने वाले कर्ज की लॉक इन अवधि 24 महीने से घटाकर 18 महीने कर दी गई पैकेज में कहा गया है कि सरकार सभी सार्वजनिक क्षेत्र के केन्द्रीय उपक्रमों और राज्य स्तरीय उपक्रमों के लिये निर्देश जारी करेगी कि वह लघु एवं मझौली इकाइयों के बिलों का भुगतान जल्द निपटायें। आर्थिक पैकेज में सरकारी विभागों से भी कहा गया है कि वह चाहें तो आवंटित बजट से सरकारी वाहनों को बदलकर नए ले सकते हैं।
Wednesday, December 3, 2008
पाक के सामने पहाड़ बनकर खड़ा होना होगा
पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा मुंबई हमले ने पूरे देश को ही नहीं अपितु अमेरिका तक को हिला कर रख दिया। तभी तो वहां की विदेश मंत्री कोंडलीजा राईस ने आज दिल्ली आकर स्पष्ट कर दिया कि भारत के साथ है अमेरिका। उन्होंने यह भी कहा कि पाक को भारत के साथ सहयोग करना ही होगा। इसके पूर्व पाकिस्तान के राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि वह भारत द्वारा मांगे गए आतंकियों को नहीं सौंपेगा। मुंबई आतंकी घटना में पाक का कोई हाथ नहीं है। समस्या इस बात की है कि इस तरह के बयान इस वक्त क्यों आए। अब भारत को पाक के साथ सख्ती से पेश आना ही होगा। मैं तो कहना चाहूंगा कि भारत को पाक के साथ राजनयिक संबंध खत्म कर देने चाहिए। समझौता ट्रेन को भी तत्काल प्रभाव से बंद ही कर देना चाहिए। अब भारत को पाक जैसे गद्दार देश के साथ समझौता किसी भी बिंदु पर नहीं करना चाहिए। यदि मैं भारत का प्रधान मंत्री होता तो कभी का इस पर निर्णय कर लिया गया होता। भारत को पाक के साथ दोस्ती के बदले दुश्मनी मिली। चाहे केंद्र में अटल विहारी की सरकार हो या फिर मनमोहन की, सभी ने पाक के साथ मुलायम रवैया अपनाया और पाक ने दिए कारगिल और मुंबई जैसी घटनाएं। धन्य हैं इंदिरा गांधी जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराने के लिए सेना के हाथ खुले छोड़ दिए थे और सेना ने पाक के लगभग एक लाख सैनिकों को गिरफ्तार कर युद्ध जीता और पूर्वी पाकिस्तान की जगह पर बांग्लादेश का निर्माण हुआ। सोचिए जरा यदि आज पूर्वी पाक भी होता तो भारत की पूर्वी सीमा पर भी आतंकी खतरा जोरों पर होता। और यदि भारत आतंकी खतरों से ही लड़ता रहा तो फिर विकास के कामों को कौन करेगा। मुझे अब पाक के सामने झुकना नहीं होगा, सैनिकों के हौसले बुलंद करके चलना होगा। मोय कहा विश्राम की नीति अपनाकर आतंक को जड़ समेत उखाड़ फेंकना होगा। मैं देख रहा हूं कि मुंबई वाली घटना के बाद आतंक के नाम पर देश के नेताओं के जो बयान आए हैं वह आतंक को और बढ़ावा देता है। कोई भी नेता दूध का धुला नहीं है जो यह कह सके कि मुझसे से यह चूक नहीं हुई है। अब भी समय है संभलने का। भय बिन होए न प्रीत के तहत भारत को पाक के खिलाफ लड़ना होगा। पाक तो बेशर्म देश है पहले तो कहता था कि मेरे देश में आतंकी है ही नहीं, किंतु आज जरदारी के बयान से स्पष्ट होता है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं क्योंकि उन्होंने कहा कि मैं भारत को आतंकी नहीं सौंपेंगे। इसका मतलब साफ है कि उस देश में आतंकी मौजूद हैं। और इन्हीं आतंकियों का पाक भारत के विरुद्ध प्रयोग कर रहा है। भारत को अब अपनी आंखें खोलनी होंगी। अमेरिका के बहकाबे में भी भारत को नहीं आना चाहिए। भारत खुद समर्थ है पाक पर आक्रमण कर जीतने के लिए। पाक ने हमेशा भारत के सामने घुटने टेके हैं। अब बारी है कि उसे इस तरह का कर दिया जाए कि वह घुटने टेकने लायक भी न रहे। आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए सभी राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं और आतंकवाद केवल एके 47 से ही नहीं फैलाया जाता, बल्कि हर वह काम, जिससे आम आदमी के दिल में दहशत पैदा हो आतंक की श्रेणी में आता है और इसे रोकने के लिए जरूरी है कि आतंकवादियों से किसी की जान के बदले में कोई सौदा नहीं किया जाए। आतंकवादियों के साथ कोई सौदेबाजी नहीं करनी चाहिए। आतंकवादियों को यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि भारत आतंकवादियों से कोई समझौता वार्ता नहीं करेगा। कांगे्रस और भाजपा सरकारें आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह से नाकाम रही हैं। मुंबई पर आतंकी हमले ने कांग्रेस नीत संप्रग की अक्षमता जाहिर कर दी, जबकि भाजपा शासनकाल में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण की घटना ने सरकार को लाचार बना दिया था। हमें उस तरह से चलना होगा जैसे कि अमेरिका की एक घुड़की के सामने पाकिस्तान ढीला पड़ जाता है उसी तरह से परमाणु शक्ति संपन्न भारत को भी अपनी फिगर कुछ इसी तरह से पेश करनी होगी।
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